महाराज भगीरथ के वंश का वर्णन (भागवत पुराण, नवम स्कंध, अध्याय 9-12 के आधार पर)
महाराज भगीरथ का वंश सूर्यवंश कहलाता है, जो भारतीय धर्म और इतिहास में अत्यंत प्रतिष्ठित है। इस वंश के सभी राजाओं ने धर्म, तप, और त्याग का पालन करते हुए अपनी महानता स्थापित की। भागवत पुराण के नवम स्कंध, अध्याय 9-12 में भगीरथ और उनके वंश का विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है।
सूर्यवंश की उत्पत्ति
भागवत पुराण में उल्लेख है कि सूर्यवंश की उत्पत्ति भगवान सूर्य से हुई। वैवस्वत मनु इस वंश के प्रथम राजा माने जाते हैं।
श्लोक:
वैवस्वतो मनुर्देवा लोकपालो महायशाः।प्रजापतिः समाख्यातो धर्मस्य च प्रवर्तकः।।(भागवत पुराण 9.1.1)
भगीरथ के पूर्वजों का वर्णन
1. राजा सगर
श्लोक:
मुनिं कपिलमासाद्य यज्ञं धारयितुं गताः।पुत्राः सगरराजस्य भस्मीभूताः किल शापतः।।(भागवत पुराण 9.8.6)
2. राजा अंशुमान
अंशुमान सगर के पौत्र और भगीरथ के परदादा थे। उन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रयास किया, लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर सके।
श्लोक:
सगरात्मजमोक्षार्थं गङ्गां प्रार्थयते सदा।तपः समारब्धमशक्तस्तं कारयितुं तदा।।(भागवत पुराण 9.8.20)
3. राजा दिलीप
दिलीप, अंशुमान के पुत्र और भगीरथ के पिता, धर्मप्रिय राजा थे। उन्होंने भी गंगा को लाने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे।
श्लोक:
दिलीपश्च तपस्तप्त्वा गङ्गायाः पथि संस्थितः।नाशकत् त्रातुमात्मानं पुत्रं भगीरथं तदा।।(भागवत पुराण 9.9.2)
महाराज भगीरथ की तपस्या और योगदान
महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए कठिन तपस्या की। उन्होंने भगवान ब्रह्मा और भगवान शिव को प्रसन्न किया। उनकी तपस्या के फलस्वरूप गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाया गया।
भगीरथ की तपस्या:
श्लोक:
ततः कृच्छ्रात्प्रणम्येदं तपसाऽऽप्याह वै भगीरथः।ब्रह्मणं भक्तिनम्रात्मा लोकानां कृपया यतः।।(भागवत पुराण 9.9.9)
भगवान शिव द्वारा गंगा का धारण:
ब्रह्माजी ने कहा कि गंगा का प्रचंड प्रवाह पृथ्वी सहन नहीं कर सकेगी। भगीरथ ने भगवान शिव की तपस्या की। शिवजी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर पृथ्वी पर छोड़ा।
श्लोक:
शम्भुर्जटाभिः संवीतो गङ्गां धृत्वा महीतले।व्यश्रामयत्कृपाविष्टो लोकानां हितमिच्छया।।(भागवत पुराण 9.9.13)
सगर के पुत्रों का उद्धार:
गंगा का प्रवाह भगीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम पहुँचा। गंगा के पवित्र जल से सगर के पुत्रों का उद्धार हुआ।
श्लोक:
गङ्गा भागीरथी देवी सगरात्मजमोक्षदा।त्रैलोक्यं पावयामास पुण्यं सलिलमृद्गतम्।।(भागवत पुराण 9.9.17)
गंगा का नाम "भागीरथी"
भगीरथ की तपस्या और प्रयासों के कारण गंगा को "भागीरथी" के नाम से भी जाना गया।
श्लोक:
भागीरथस्तु तस्यैव नाम्ना लोके प्रतिष्ठितः।गङ्गा त्रिपथगा लोके भागीरथीति विश्रुता।।(भागवत पुराण 9.9.19)
वंशानुक्रम (नवम स्कंध के अनुसार):
क्रम संख्या | राजा का नाम | विशेषता |
---|---|---|
1 | भगवान सूर्य | सूर्यवंश के आदिपुरुष। |
2 | वैवस्वत मनु | मानवता के रक्षक और धर्म प्रवर्तक। |
3 | इक्ष्वाकु | सूर्यवंश के प्रथम प्रतापी राजा। |
4 | सगर | 60,000 पुत्रों के कारण प्रसिद्ध। |
5 | अंशुमान | गंगा को लाने के प्रथम प्रयासकर्ता। |
6 | दिलीप | भगीरथ के पिता। |
7 | भगीरथ | गंगा को पृथ्वी पर लाने वाले महान राजा। |
निष्कर्ष:
भागवत पुराण के अनुसार, महाराज भगीरथ का वंश धर्म, तपस्या, और मानवता के कल्याण का प्रतीक है। उनकी तपस्या और प्रयासों ने न केवल उनके पूर्वजों का उद्धार किया, बल्कि गंगा जैसी पवित्र धारा को पृथ्वी पर लाकर संपूर्ण मानवता को पवित्रता का वरदान दिया।
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