Makar Sankranti 2026 Date: 14 या 15 जनवरी? जानिये सही तारीख, Shubh Muhurat और Scientific कारण

Sooraj Krishna Shastri
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 मकर संक्रांति 2026 पर आधारित यह विस्तृत लेख यहाँ प्रस्तुत है। इसमें तारीख, शुभ मुहूर्त और इस पर्व के पीछे छिपे वैज्ञानिक व धार्मिक कारणों को विस्तार से समझाया गया है।


मकर संक्रांति 2026: सही तारीख, शुभ मुहूर्त और इसका वैज्ञानिक व धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसका खगोलीय और वैज्ञानिक महत्व भी बहुत गहरा है। साल 2026 में मकर संक्रांति की तारीख को लेकर अगर आपके मन में कोई भी संशय है, तो यह लेख उसे दूर कर देगा।


1. मकर संक्रांति 2026: सही तारीख और समय (Correct Date & Time)

साल 2026 में मकर संक्रांति 14 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी।

अक्सर मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी के बीच होती है। इसका निर्णय सूर्य के गोचर (राशि परिवर्तन) के समय पर निर्भर करता है। 2026 में पंचांग के अनुसार गणना कुछ इस प्रकार है:

  • संक्रांति तिथि: 14 जनवरी 2026 (बुधवार)
  • संक्रांति का समय (सूर्य का मकर राशि में प्रवेश): दोपहर 03:13 बजे (IST)
  • पुण्य काल (पूजा और दान का शुभ समय): दोपहर 03:13 बजे से शाम 05:45 बजे तक
  • महा पुण्य काल: दोपहर 03:13 बजे से शाम 04:58 बजे तक

चूंकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की दोपहर को हो रहा है, इसलिए पर्व और उससे जुड़े स्नान-दान इसी दिन किए जाएंगे।

Makar Sankranti 2026 celebration and kite flying या Makar Sankranti Puja Thali
Makar Sankranti 2026 celebration and kite flying या Makar Sankranti Puja Thali

2. वैज्ञानिक कारण: मकर संक्रांति का महत्व (Scientific Significance)

मकर संक्रांति उन गिने-चुने हिंदू त्यौहारों में से है जो सौर चक्र (Solar Cycle) पर आधारित हैं, जबकि अन्य त्यौहार चंद्र कैलेंडर (Lunar Calendar) पर चलते हैं।

सूर्य का उत्तरायण होना (Uttarayan)

खगोल विज्ञान (Astronomy) के अनुसार, इस दिन सूर्य अपनी आकाशीय स्थिति बदलते हैं।

  • मकर रेखा (Tropic of Capricorn): इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर बढ़ना शुरू करते हैं। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में सूर्य की किरणें सीधी पड़ने लगती हैं।
  • दिन बड़े और रातें छोटी: मकर संक्रांति के बाद से सर्दी कम होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं। यह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है।

तारीख 14 या 15 जनवरी क्यों होती है?

ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश अमूमन 14 जनवरी को होता है। लेकिन पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए एक “precession” (लट्टू की तरह डगमगाना) करती है, जिससे हर 70–80 वर्षों में सूर्य की स्थिति में थोड़ा अंतर आता है। यही कारण है कि भविष्य में यह त्यौहार धीरे-धीरे 15 जनवरी की ओर शिफ्ट हो सकता है, लेकिन 2026 में यह 14 जनवरी को ही है।


3. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व (Religious Significance)

धर्म और अध्यात्म की दृष्टि से मकर संक्रांति का विशेष स्थान है। इसे ‘मोक्ष का द्वार’ खुलने का समय भी माना जाता है।

खरमास की समाप्ति

हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य के धनु राशि में रहने के कारण पिछले एक महीने से चल रहा ‘खरमास’ (अशुभ समय) मकर संक्रांति के दिन समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे सभी मांगलिक कार्य पुनः शुरू हो जाते हैं।

भीष्म पितामह और मोक्ष

महाभारत की कथा के अनुसार, भीष्म पितामह ने बाणों की शैया पर लेटे हुए अपने प्राण त्यागने के लिए ‘उत्तरायण’ के सूर्य की प्रतीक्षा की थी। मान्यता है कि उत्तरायण में शरीर त्यागने वाली आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।

सूर्य और शनि का मिलन

ज्योतिष शास्त्र में मकर राशि के स्वामी ‘शनि देव’ माने जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य (पिता) अपने पुत्र शनि (मकर राशि) के घर जाते हैं। यह पिता और पुत्र के बीच के मतभेदों को भुलाकर प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।


4. पर्व मनाने का तरीका और परंपराएं

मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग हिस्सों में पोंगल, उत्तरायण, लोहड़ी (एक दिन पूर्व), और खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।

  • स्नान और दान: गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन तिल, गुड़, कंबल और खिचड़ी का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • खिचड़ी का भोग: इस दिन चावल और उड़द दाल की खिचड़ी खाने और दान करने की विशेष परंपरा है। इसे पाचन के लिए भी सुपाच्य और वैज्ञानिक दृष्टि से ऋतु परिवर्तन के अनुकूल माना जाता है।
  • पतंगबाजी: विशेषकर गुजरात और राजस्थान में इस दिन पतंग उड़ाई जाती है। इसका वैज्ञानिक लाभ यह है कि लोग सुबह की धूप में समय बिताते हैं, जिससे शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन डी मिलता है, जो सर्दियों में बहुत जरूरी होता है।

निष्कर्ष

मकर संक्रांति 2026 में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। यह पर्व केवल ऋतु परिवर्तन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने, शरीर को नई ऊर्जा देने और सामाजिक सौहार्द बढ़ाने का एक माध्यम है।

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