यह अत्यंत प्रेरक और शिक्षाप्रद कथा है जो जीवन के मूल्यों, भक्ति, और लालच के प्रभाव को सरल भाषा में उजागर करती है। नीचे इसे भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया गया है:
Spiritual Healing through Bhakti: सेठ की बीमारी और मोची का भजन
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Spiritual Healing through Bhakti: सेठ की बीमारी और मोची का भजन |
सेठ और मोची का परिचय
एक गाँव में एक धनी सेठ रहा करता था। उसका विशाल बँगला था, नौकर-चाकर थे, और व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा था। उसी बँगले के पास एक साधारण सी झोपड़ी में एक गरीब मोची अपनी छोटी सी जूते सिलने की दुकान चलाया करता था।
मोची की खासियत यह थी कि वह जब भी जूते सिलता, तो बड़े भाव से भगवान के भजन गुनगुनाता। उसकी आवाज में कोई विशेष संगीत या प्रशिक्षण नहीं था, पर उसमें सच्ची श्रद्धा, प्रेम और आत्मिक लगाव था।
सेठ को इस भजन से कोई खास मतलब नहीं था। वह अपनी दुनिया में मग्न था, जहाँ धन ही सबकुछ था।
सेठ की बीमारी और भक्ति की पहली झलक
स्वास्थ्य में चमत्कारिक सुधार
भजन सुनते-सुनते उसके मन का बोझ कम होने लगा। उसे जैसे भीतर से कोई ऊर्जा मिल रही थी। कुछ ही दिनों में उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। अब उसका मन भी शांत रहने लगा। उसने सोचा कि वह मोची को धन्यवाद दे।
धन का भ्रम और भक्ति की हानि
इधर, सेठ की तबियत फिर से खराब होने लगी, क्योंकि अब मोची के भजन की गूंज सुनाई नहीं देती थी। उसे भी अपने भीतर खालीपन महसूस होने लगा।
पुनरागमन : आत्मा की पुकार
सेठ यह सुनकर अवाक् रह गया। मोची ने पैसे लौटाए और फिर अपनी दुकान पर जाकर, पहले की तरह भक्ति में तल्लीन हो गया।
निष्कर्ष :
यह कथा हमें बहुत बड़ी सीख देती है —
- भक्ति और संतोष ही सच्चे सुख के स्रोत हैं।
- धन कभी आत्मिक आनंद नहीं दे सकता, बल्कि कभी-कभी वह हमें उस मार्ग से भी भटका देता है जो हमारे जीवन का मूल उद्देश्य होता है।
- संसारिक लोभ हमें हमारी आत्मा से, हमारी सच्ची पहचान से दूर कर देता है।
- और कभी-कभी, कोई गरीब मोची, अपनी सच्ची भक्ति से एक राजा के भी जीवन में उजाला ला सकता है।
🌸 शिक्षा :
"धन से शरीर का उपचार हो सकता है, पर आत्मा की शांति केवल भक्ति और प्रेम से ही संभव है।"
"परमात्मा को पाने के लिए मन का निर्मल होना आवश्यक है, न कि जेब का भारी होना।"