7.3 असंभाव्यता प्रतिचयन (Non-Probability Sampling Methods)

Sooraj Krishna Shastri
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7.3 असंभाव्यता प्रतिचयन
(Non-Probability Sampling Methods)

प्रस्तावना: इसमें 'रैंडम' चुनाव नहीं होता। शोधकर्ता अपनी सुविधा या निर्णय के आधार पर लोगों को चुनता है। इसमें हर व्यक्ति के चुने जाने की संभावना बराबर नहीं होती, इसलिए इसमें पक्षपात (Bias) का खतरा रहता है।

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सड़क किनारे रिपोर्टर (Street Reporter Analogy):

टीवी रिपोर्टर सड़क पर किसी भी राहगीर को रोककर सवाल पूछता है। वह लॉटरी नहीं निकालता, बस जो सामने दिखा, जो बात करने को राजी हुआ, उसे चुन लिया।
यह असंभाव्यता (Non-Probability) है, क्योंकि शर्मीले या व्यस्त लोग कभी चुने ही नहीं जाएंगे।

A. इसके प्रमुख प्रकार (Key Types)

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1. कोटा प्रतिचयन (Quota Sampling)

यह 'Stratified' का सस्ता वर्जन है। जनसंख्या को ग्रुप्स में बांटा जाता है और हर ग्रुप से एक निश्चित कोटा (संख्या) तय किया जाता है, लेकिन चुनाव रैंडम नहीं होता।

उदा: "मुझे 10 पुरुष और 10 महिलाएं चाहिए।" (अब शोधकर्ता अपनी मर्जी से कोई भी 10-10 लोग चुन लेगा, लॉटरी नहीं करेगा)।
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2. स्नोबॉल प्रतिचयन (Snowball Sampling)

नेटवर्क या रेफरल आधारित। जब जनसंख्या को ढूँढना मुश्किल हो (जैसे नशा करने वाले, अपराधी)। आप एक को ढूँढते हैं, वह दूसरे का पता देता है।

उदा: एक जासूस जैसे कड़ी-से-कड़ी जोड़ता है। (बर्फ का गोला लुढ़कते हुए बड़ा होता जाता है)।
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3. सोद्देश्य/निर्णयात्मक (Purposive Sampling)

शोधकर्ता अपने 'विवेक' और 'उद्देश्य' के अनुसार उन लोगों को चुनता है जो उसे सबसे सही लगते हैं।

उदा: "सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी" पर शोध के लिए केवल पदक विजेताओं को चुनना।
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4. सुविधाजनक (Convenience Sampling)

जो सबसे आसानी से मिल जाए, उसे चुन लेना। यह सबसे कम विश्वसनीय है।

उदा: कॉलेज कैंटीन में बैठे दोस्तों से ही फॉर्म भरवा लेना।

B. संभाव्यता बनाम असंभाव्यता (Comparison)

आधार संभाव्यता (Probability) असंभाव्यता (Non-Probability)
चुनाव का तरीका रैंडम (Random) गैर-रैंडम (Non-Random)
समान अवसर सबके चुने जाने का चांस बराबर है। सबका चांस बराबर नहीं है।
निष्कर्ष पूरी जनसंख्या पर लागू (Generalizable) कर सकते हैं। पूरी जनसंख्या पर लागू नहीं कर सकते।
लागत महंगी और समय लेने वाली। सस्ती और तेज।
⚠️ ध्यान दें: गुणात्मक शोध (Qualitative Research) में अक्सर असंभाव्यता प्रतिचयन का ही प्रयोग होता है क्योंकि वहां हम 'गहराई' चाहते हैं, 'सामान्यीकरण' (Generalization) नहीं।

सारांश: "असंभाव्यता प्रतिचयन वैज्ञानिक रूप से कमजोर हो सकता है, लेकिन व्यवहारिक दुनिया में, जहाँ बजट और समय सीमित है, यह एक बहुत उपयोगी उपकरण है।"

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