हम हारे तुम जीते

Sooraj Krishna Shastri
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भगवन हम हारे तुम जीते ।

बहकाकर क्यों गये द्वारिका,

 तड़फत रह गयीं हिरणी सारिका, 

आओ केशव - आऔ केशव,

 कैसें निशिदिन बीते।

 भगवन हम हारे तुम जीते ।।1।।


छोड गये हो नील गगन में, 

ढूंढे हम तुमको बृज वन में,

आइ बुझाऔ यहाँ अगिन कूँ, 

जमुना कुआँ रीते।

भगवन हम हारे तुम जीते।।2।।


दरसन दे दो मोहन हमको,

कब तक पीयें हम इस गम को, 

चले गये तुम, भूख संग गई, 

खाते और न पीते।

 भगवन हम हारे तुम जीते ।।3।।


हम तुमकूं बदनाम करेंगी,

खाइके विष हम डूब मरेंगी, 

नैन अरे बेचैन हो रहे,

आइ जा कुँज गली ते। 

भगवन हम हारे तुम जीते ।।4।।


 _लेखक

 बीरपाल सिंह निश्छल

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