भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा

Sooraj Krishna Shastri
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भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा

भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा । यह चित्र चार महत्वपूर्ण अध्यात्मिक घटनाओं को दर्शाता है: भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार, श्रीकृष्ण लीला का समापन, यदुवंश का विनाश, और भागवत का महत्व। यह चित्र गहन प्रतीकात्मकता और दिव्यता से भरपूर है। 



 भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा में भागवत पुराण के अष्टम से द्वादश स्कंध तक की कथा को संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है। इस दिन की कथा में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार, श्रीकृष्ण की लीला का समापन, यदुवंश का विनाश, और भागवत का महत्व बताया जाता है। यह दिन भक्ति, वैराग्य, और आत्मज्ञान का अंतिम संदेश देता है।

भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा 

1. समुद्र मंथन (अष्टम स्कंध)

कथा:

  • देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया।
  • भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लेकर मंदराचल पर्वत को स्थिर किया।
  • मंथन से 14 रत्न निकले, जिनमें विष (हलाहल) को भगवान शिव ने पी लिया।
  • अंत में अमृत निकला, जिसे भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को प्रदान किया।

श्लोक:

सुरासुराणां मत्स्येन्द्र रूपेण,

कूर्मावतारं कृत्वा विष्णुर्विजयी भवेत्।

अर्थ: "देवताओं और असुरों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म रूप धारण किया और विजय प्राप्त की।"

गीत:

"कूर्म रूप धर आए भगवान, देवों का संकट मिटाया।

समुद्र मंथन से निकला अमृत, धर्म का दीप जलाया।" 

2. वामन अवतार और बलि चरित्र

कथा:

  • राजा बलि ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया।
  • भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर भिक्षा में तीन पग भूमि मांगी।
  • वामन भगवान ने विराट रूप धारण कर तीनों लोकों को नाप लिया।
  • बलि को पाताल लोक भेजा गया और भगवान ने उन्हें अनंत भक्ति का वरदान दिया।

श्लोक:

त्रिविक्रमं नमस्यामि, विष्णुं लोकत्रयं गतः।

भक्तं बलिं प्रणम्याहं, धर्मं स्थापयति हरिः॥

अर्थ: "मैं त्रिविक्रम भगवान को प्रणाम करता हूं, जिन्होंने बलि को भक्ति और धर्म का आदर्श बनाया।"

गीत:

"वामन ने रूप दिखाया, बलि का अभिमान मिटाया।

भक्ति में जिसने सबकुछ दिया, भगवान ने उसे अपनाया।" 

3. श्रीकृष्ण की लीला का समापन (दशम स्कंध)

कथा:

  • भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा में कंस का वध कर धर्म की स्थापना की।
  • द्वारका नगरी की स्थापना की और रुक्मिणी सहित 16,108 रानियों से विवाह किया।
  • महाभारत युद्ध के बाद यदुवंश में आपसी कलह हुआ।
  • ऋषियों के शाप से यदुवंश का नाश हो गया।

श्लोक:

यं कृष्णं परमं धाम, धर्मं रक्षितुमागतम्।

स कृते यदुकुलं त्यक्त्वा, गतो धाम स्वयं हरिः॥

अर्थ: "श्रीकृष्ण ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया। अपने कार्य पूर्ण कर वे यदुकुल को त्यागकर अपने धाम को लौट गए।"

गीत:

"श्रीकृष्ण ने लीला रची, धर्म का दिया उपदेश।

यदुवंश का अंत हुआ, फिर लौटे हरि अपने धाम।" 

4. परीक्षित का मोक्ष और भागवत महिमा (द्वादश स्कंध)

कथा:

  • राजा परीक्षित ने तक्षक नाग के शाप के बाद भागवत कथा का श्रवण किया।
  • सात दिनों तक कथा सुनने के बाद उन्होंने भक्ति और ध्यान से भगवान को प्राप्त किया।
  • शुकदेव जी ने भागवत महिमा का वर्णन किया:
  • भागवत पुराण भगवान का स्वरूप है।
  • इसका पाठ और श्रवण सभी पापों को नष्ट करता है।

श्लोक:

श्रीमद्भागवतम् पुराणम् अमलं, यद्वैष्णवानां प्रियम्।
यस्य श्रवणमात्रेण, हरिः ह्यात्मा प्रसीदति॥

अर्थ: "श्रीमद्भागवत पुराण भगवान का प्रिय ग्रंथ है। इसके श्रवण मात्र से भगवान प्रसन्न होते हैं।"

गीत:

"भागवत है अमृतधारा, सबके पाप मिटाए।

श्रवण करें जो भी भक्त, भवसागर पार हो जाए।" 

5. कलियुग और भागवत धर्म

कथा:

  • कलियुग में धर्म का केवल एक चरण (सत्य) शेष रहेगा।
  • भागवत कथा और भगवान का नाम ही मोक्ष का साधन है।
  • भगवान कल्कि का अवतार होगा, जो अधर्म का नाश करेंगे।

श्लोक:

कलेर्दोषनिधे राजन्नस्ति ह्येको महान् गुणः।

कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तसङ्गः परं व्रजेत्॥

अर्थ: "कलियुग में अनगिनत दोष हैं, परंतु भगवान कृष्ण का नाम जपने से मोक्ष प्राप्त हो सकता है।"

गीत:

"हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे।" 

सप्तम दिन की कथा का उपसंहार

1. भक्ति की शक्ति: वामन अवतार और बलि की कथा सिखाती है कि भगवान भक्ति से प्रसन्न होते हैं।

2. धर्म का पालन: श्रीकृष्ण की लीलाएँ और यदुवंश का विनाश सिखाता है कि अधर्म का अंत निश्चित है।

3. मृत्यु का सत्य: राजा परीक्षित की कथा सिखाती है कि मृत्यु का स्मरण करते हुए भगवान का ध्यान करना चाहिए।

4. भागवत महिमा: भागवत पुराण कलियुग में मोक्ष का सर्वोत्तम साधन है।

भागवत सप्ताह के सप्तम दिन का गीत:

"भागवत कथा का अंत है प्यारा, सबने सुना यह ज्ञान का सहारा।

धर्म की ज्योति जली हर दिल में, भक्ति ने जीवन को पवित्र किया।" 

महत्व:

 भागवत सप्ताह के सप्तम दिन की कथा भगवान की लीला, धर्म की महिमा, और भक्ति की शक्ति को समझाती है। यह दिन श्रोताओं को जीवन के अंतिम लक्ष्य—भगवान की प्राप्ति—का मार्ग दिखाता है और संसार के बंधनों से मुक्ति पाने की प्रेरणा देता है।

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