बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है

Sooraj Krishna Shastri
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बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है

 प्रस्तुत सामग्री अत्यंत प्रेरक, संवेदनशील और विचारोत्तेजक है। यह केवल एक स्कूल असाइनमेंट नहीं है, बल्कि समाज को एक दर्पण दिखाने वाला और माता-पिता को जागरूकता की ओर ले जाने वाला अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश है।

नीचे इसी भावना को और संवेदनशील, सुव्यवस्थित, भावनात्मक और प्रभावी रूप में एक आलेख/प्रवचन शैली में प्रस्तुत किया गया है — ताकि इसे विद्यालय सभा, अभिभावक बैठक, या किसी जनमाध्यम में प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया जा सके:

बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है
बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है



🌿 माता-पिता के नाम एक अद्भुत 'गृहकार्य' 🌿

(एक विद्यालय की कलम से निकली जीवन की पाठशाला)

चेन्नई के अन्नाई वायलेट मैट्रिकुलेशन एवं हायर सेकेंडरी स्कूल ने एक अद्वितीय पहल करते हुए अपने विद्यार्थियों के लिए नहीं, बल्कि उनके माता-पिता के लिए एक होमवर्क (गृहकार्य) तैयार किया — जिसने पूरे देश और विश्व का ध्यान आकर्षित किया।

यह कोई गणित, विज्ञान या भाषा का असाइनमेंट नहीं था —
यह एक संवेदनात्मक दस्तावेज था — एक आत्मपरीक्षण की पुकार, जो सीधे हृदय से निकलती है और हृदय को छू जाती है।


📜 क्या लिखा था स्कूल ने?

"पिछले दस महीनों तक हम आपके बच्चों के साथ थे — अब दो महीने आप उनके साथ रहिए। इस समय को केवल छुट्टियों के रूप में नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों के बीजारोपण के अवसर के रूप में देखिए।"

और साथ ही, उन्होंने कुछ छोटे-छोटे किंतु गहरे सुझाव दिए:


🌱 संवेदनशील पालन-पोषण के 18 सुझाव —

  1. 🍽️ दिन में दो बार बच्चों के साथ बैठकर भोजन करें
    उन्हें किसानों का महत्व और भोजन की कद्र करना सिखाइए।

  2. 🧽 खाना खाने के बाद बच्चों से उनकी थाली खुद धुलवाएं
    ताकि वे श्रम की गरिमा समझें।

  3. 🥗 रसोई में उनकी भागीदारी बढ़ाएं
    उन्हें सलाद या छोटी सब्ज़ियाँ काटने दें।

  4. 🏘️ तीन पड़ोसियों से मिलें
    सामाजिकता, अपनत्व और सामुदायिक जीवन का पाठ सिखाइए।

  5. 👵👴 बच्चों को दादा-दादी या नाना-नानी के घर लेकर जाएं
    पीढ़ियों के स्नेह और अनुभव से बच्चों को जोड़िए।

  6. 🧑‍💼 उन्हें अपने कार्यस्थल पर एक दिन ले जाएं
    ताकि वे जान सकें कि माता-पिता कितनी मेहनत करते हैं।

  7. 🎉 स्थानीय त्योहारों, मेलों, बाज़ारों में भाग लें
    सांस्कृतिक जुड़ाव की जड़ें मजबूत करें।

  8. 🌿 एक किचन गार्डन बनाएं
    बच्चों को बीज बोने दें, अंकुरण देखें — प्रकृति से रिश्ता बनाएं।

  9. 📖 अपने बचपन की कहानियां सुनाएं
    ताकि वे जानें कि आप कहाँ से आए हैं और क्या खो गया है।

  10. 🏃‍♂️ बच्चों को बाहर खेलने दें, चोट लगने दें
    गिरकर सीखना उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है।

  11. 🐾 पालतू जानवर पालने की अनुमति दें
    सेवा, स्नेह और ज़िम्मेदारी के पाठ स्वयं सिखाता है पशु पालन।

  12. 🎶 लोक गीत सुनाएं
    संस्कृति की धुनों को कानों तक पहुंचाइए।

  13. 📚 रंग-बिरंगी कहानियों वाली किताबें उपहार में दें
    कल्पनाशक्ति को पंख दें।

  14. 📺 टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर से दूर रखें
    इनसे तो वे जीवन भर जुड़े रहेंगे, अभी उन्हें जीवन से जोड़िए।

  15. 🍬 जंक फूड से परहेज़ कराएं
    स्वाद से पहले स्वास्थ्य सिखाइए।

  16. 👁️ बच्चों की आंखों में आंखें डालें और ईश्वर को धन्यवाद दें
    आपने जीवन का सबसे बड़ा वरदान पाया है — यह स्मरण करें।

  17. 🧘 त्याग, सेवा, परोपकार के बीज बोइए
    ताकि एक सुंदर, सशक्त समाज का निर्माण हो।

  18. ❤️ बच्चों को 'समय' दीजिए — केवल 'सुविधाएं' नहीं।


📌 यह केवल एक असाइनमेंट नहीं है, यह एक 'दर्पण' है

हममें से कई माता-पिता की आंखें इस सूची को पढ़कर नम हो जाती हैं —
क्योंकि यह याद दिलाता है कि जो जीवन हमने जिया —
वो हमारे बच्चों के जीवन से गायब हो रहा है…

आज हम तकनीक, सुविधा, और भागदौड़ की दौलत तो दे रहे हैं,
पर संस्कार, संपर्क और संवेदना कहीं पीछे छूट रही है।


🌺 एक अंतिम विचार

"बच्चों को बड़ा करने का मतलब उन्हें सिर्फ स्कूल भेजना नहीं है,
बल्कि उनके हृदय, चरित्र और संवेदना को सींचना भी है।"

यदि यह संदेश आपकी आत्मा को स्पर्श करता है,
तो इसे केवल पढ़िए मत
अपने जीवन में उतारिए।
और यदि संभव हो तो — दूसरों तक पहुंचाइए।

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