Why Life Problems Never End? – एक साधु और भोलाराम की कथा
प्रस्तावना: जीवन और समस्याएँ
जीवन एक यात्रा है, जिसमें सुख-दुख, सफलता-विफलता, आशा-निराशा – ये सभी पड़ाव आते रहते हैं। हर व्यक्ति कभी-न-कभी कठिन परिस्थितियों का सामना करता है, और कभी-कभी ये समस्याएँ इतनी बढ़ जाती हैं कि हमें लगता है जैसे जीवन ही निरर्थक हो गया हो। परंतु वास्तव में समस्याएँ जीवन का अविभाज्य अंग हैं। यही सन्देश हमें राजस्थान के एक गाँव में रहने वाले एक सरल पुरुष भोलाराम की कथा से मिलता है।
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Why Life Problems Never End? – एक साधु और भोलाराम की कथा |
कथा प्रारंभ: भोलाराम की पीड़ा
राजस्थान के एक छोटे से गाँव में भोलाराम नामक एक व्यक्ति रहता था। वह अत्यंत सरल स्वभाव का, मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था। जीवन को ईमानदारी और परिश्रम से जीता था, किंतु उसका जीवन कष्टों की छाया में डूबा हुआ था।
- कभी आर्थिक तंगी उसे तोड़ देती,
- तो कभी पारिवारिक कलह उसे भीतर से खा जाती,
- और कभी समाज का तिरस्कार उसकी आत्मा को चोट पहुँचाता।
समस्याएँ जैसे उसका पीछा ही नहीं छोड़ती थीं। धीरे-धीरे उसका जीवन निराशा से भर गया। चेहरे पर चिंता की रेखाएँ थीं और हृदय में आशा की कोई किरण नहीं बची थी।
एक आशा की किरण
एक दिन गाँव में यह समाचार फैला कि कुछ साधु-संतों की मंडली गाँव में आई है। ये संत न केवल योग-साधना करते हैं, बल्कि जीवन की जटिलताओं को सरल भाषा में समझाते हैं। यह सुनकर भोलाराम के हृदय में एक आशा जागी। उसने सोचा, "शायद ये साधु मेरी परेशानियों का समाधान बता सकें।"
भोलाराम की गुहार
अगले दिन भोलाराम साधु-संतों की शरण में पहुँचा। वहां के मुख्य साधु महाराज, एक शांत, गंभीर और तेजस्वी व्यक्तित्व वाले महात्मा थे। भोलाराम ने उनके चरणों में प्रणाम किया और विनम्रता से कहा:
“हे महाराज! मेरा जीवन समस्याओं से घिरा है। न जाने कितनी कठिनाइयाँ हैं – आर्थिक, मानसिक, सामाजिक – हर ओर दुख ही दुख है। अब तो जीने की इच्छा भी नहीं बची। कृपा करके मेरा मार्गदर्शन कीजिए।”
साधु महाराज की परीक्षा
साधु महाराज ने शांत भाव से उत्तर दिया:
“भोलाराम, तुम कल सुबह हमारे पास पुनः आना। तब मैं तुम्हें तुम्हारी समस्याओं का समाधान दूँगा।”
अगले दिन भोलाराम समय पर साधुओं के पास पहुँच गया। तब साधु महाराज ने कहा:
“हमारी मंडली में 100 ऊँट हैं। आज रात तुम्हारा कार्य है कि इन 100 ऊँटों की रखवाली करो। जब ये सभी ऊँट एक साथ बैठ जाएँ, तभी तुम सो सकते हो।”
भोलाराम को यह कार्य सरल प्रतीत हुआ। उसने सोचा – "बस ऊँटों को बैठाना है, यह कौन सा बड़ा काम है!"
रात की चुनौती
रात होते ही भोलाराम ऊँटों की निगरानी करने लगा। शुरू में कुछ ऊँट बैठे हुए थे और कुछ खड़े। उसने खड़े ऊँटों को बैठाने का प्रयास किया। पर जैसे ही कुछ ऊँट बैठते, पहले से बैठे ऊँट खड़े हो जाते। यह क्रम पूरी रात चलता रहा –
- एक बैठता तो दूसरा खड़ा होता,
- दूसरे को बैठाता तो तीसरा उठ खड़ा होता।
रात भर की मशक्कत के बाद भी एक भी क्षण ऐसा नहीं आया जब सभी ऊँट एक साथ बैठे हों। भोलाराम थक गया, बेचैन हो गया, पर उसकी मेहनत व्यर्थ गई।
प्रातःकाल का बोध
सुबह थका-हारा भोलाराम साधु महाराज के पास पहुँचा। साधु ने मुस्कुराकर पूछा:
“कैसी रही रात? विश्राम मिला?”
भोलाराम ने थके स्वर में उत्तर दिया:
“नहीं महाराज! पूरी रात जागता रहा। ऊँट कभी एक साथ नहीं बैठे। एक को बैठाता तो दूसरा खड़ा हो जाता। पूरी रात कोशिश करता रहा, पर सफल न हो सका।”
साधु महाराज का उत्तर: जीवन का सत्य
अब साधु महाराज गंभीर स्वर में बोले:
“यही तुम्हारी समस्या का समाधान है, भोलाराम!
ऊँटों की तरह जीवन की समस्याएँ भी होती हैं। एक समस्या जाती है तो दूसरी आ जाती है। कुछ समस्याएँ सुलझ जाती हैं, लेकिन नई समस्याएँ फिर सिर उठा लेती हैं।
यदि तुम यह सोचोगे कि जीवन से सारी समस्याएं समाप्त हो जाएं, तब मैं चैन से जीऊँगा – तो वह दिन कभी नहीं आएगा।
सच्चा सुख वही है जहाँ धैर्य, विवेक और सहनशीलता हो। जब हम समस्याओं को स्वीकार कर उन्हें समझदारी से सुलझाते हैं, तभी शांति और संतोष मिलता है।”
भोलाराम का आत्मबोध
साधु महाराज के इन शब्दों ने भोलाराम की चेतना को झकझोर दिया। उसकी आँखों में आत्मबोध की चमक थी। उसने साधु महाराज को पुनः नमन किया और भावविभोर होकर कहा:
“महाराज! आपने मेरी आँखें खोल दीं। अब मैं समस्याओं से डरूंगा नहीं। धैर्य और विवेक के साथ हर चुनौती का सामना करूंगा।”
निष्कर्ष: जीवन का सन्देश
- एक समस्या हल होती है, तो दूसरी खड़ी हो जाती है।
- यदि हम हर समय पूर्ण समाधान की प्रतीक्षा करते रहेंगे, तो जीवन में चैन कभी नहीं मिलेगा।
- परंतु यदि हम धैर्य, समझदारी और आत्मविश्वास के साथ हर समस्या का सामना करें, तो जीवन सरल और संतुलित बन सकता है।
🌿 जीवन मंत्र:
❝ समस्याएँ जीवन का हिस्सा हैं – उनसे डरिए मत,उन्हें समझिए और सहनशीलता से उनका सामना कीजिए।सच्चा सुख समस्याओं की अनुपस्थिति में नहीं,बल्कि उनके बीच शांति बनाए रखने में है। ❞
➤ यह कथा एक जीवन-दर्शन है – सरल, परंतु अत्यंत गूढ़।