संस्कृत श्लोक "विवेकः सह संयत्या विनयो विद्यया सह" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "विवेकः सह संयत्या विनयो विद्यया सह" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

यह श्लोक वास्तव में एक महान व्यक्तित्व के लक्षणों की चेकलिस्ट है। मैं इसे क्रमबद्ध और विस्तृत रूप में प्रस्तुत करता हूँ —


१. संस्कृत मूल

विवेकः सह संयत्या विनयो विद्यया सह ।
प्रभुत्वं प्रश्रयोपेतं चिह्नमेतन्महात्मनाम् ॥


२. अंग्रेज़ी ट्रान्सलिटरेशन (IAST)

vivekaḥ saha saṃyatyā vinayo vidyayā saha ।
prabhutvaṃ praśrayopetaṃ cihnam etan mahātmanām ॥

संस्कृत श्लोक "विवेकः सह संयत्या विनयो विद्यया सह" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "विवेकः सह संयत्या विनयो विद्यया सह" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण



३. पद-पद अर्थ (Word-by-Word Meaning)

पद अर्थ
विवेकः बुद्धि, सही-गलत की पहचान
सह संयत्या संयम के साथ
विनयः नम्रता
विद्यया सह विद्या के साथ
प्रभुत्वम् अधिकार, शक्ति
प्रश्रय-उपेतम् सरलता, विनम्रता से युक्त
चिह्नम् लक्षण, पहचान
एतत् यह
महात्मनाम् महान व्यक्तियों का

४. हिन्दी अनुवाद

सही विवेक हमेशा संयम के साथ होना चाहिए,
विद्या हमेशा विनय के साथ होनी चाहिए,
और शक्ति हमेशा नम्रता के साथ होनी चाहिए।
यही महान व्यक्तियों के लक्षण हैं।


५. English Translation

Wisdom must be accompanied by self-control,
Knowledge by humility,
and Power by modesty.
These are the marks of great souls.


६. व्याकरणिक विश्लेषण

  • विवेकः सह संयत्या — “सह” (के साथ) का प्रयोग, विवेक का वास्तविक मूल्य संयम के साथ ही है।
  • विनयो विद्यया सह — विद्यावान व्यक्ति में विनम्रता का होना आवश्यक है।
  • प्रभुत्वं प्रश्रयोपेतम्उपेतम् (युक्त) विशेषण है जो प्रभुत्व को विनम्रता से जोड़ता है।
  • तीनों भाग समानांतर रचना में हैं, जिससे काव्य की लय और स्मरणीयता बढ़ती है।

७. आधुनिक सन्दर्भ

  • विवेक + संयम → सिर्फ बुद्धिमान होना काफी नहीं, बल्कि उस बुद्धि को गलत उद्देश्यों में खर्च न करने का आत्म-नियंत्रण भी जरूरी है।
  • विद्या + विनय → डिग्री और प्रमाणपत्र के साथ अहंकार नहीं, बल्कि सरलता होनी चाहिए।
  • शक्ति + नम्रता → अधिकार मिलने पर अहंकारी बनने के बजाय लोगों के लिए सुलभ और सहयोगी बनना ही सच्चा नेतृत्व है।

८. संवादात्मक नीति कथा

कथा – “राजा और मंत्री”
एक बार एक राजा ने अपने नए मंत्री से पूछा —
राजा: “तुम्हारे पास विद्या, विवेक और शक्ति सब है, अब क्या चाहिए?”
मंत्री मुस्कुराकर बोला: “महाराज, अगर इन तीनों के साथ विनय, संयम और सरलता न हो, तो ये गुण अभिशाप बन जाते हैं।”
राजा ने कहा: “तुम सचमुच महान आत्मा हो, क्योंकि तुमने शक्ति से पहले विनम्रता को अपनाया है।”

नीति: महानता का असली मापदंड बाहरी उपलब्धि नहीं, बल्कि उसके साथ जुड़ी आंतरिक विनम्रता है।


९. सार-सूत्र (Takeaway)

गुण सहायक तत्व कारण
विवेक संयम ताकि बुद्धि का दुरुपयोग न हो
विद्या विनय ताकि ज्ञान अहंकार न बने
प्रभुत्व नम्रता ताकि शक्ति दूसरों की सेवा करे

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