Mahabharat ke Pramukh Nagon ke Naam aur Mahatva | महाभारत में प्रमुख नागों की सूची व महत्व
Mahabharat Nag List: शेषनाग, वासुकि, तक्षक, कालिय सहित प्रमुख नागों के नाम, उत्पत्ति और महत्व का विस्तृत विवरण। पौराणिक कथा व रहस्य।
🐍 महाभारत में नागों का स्मरण
(आदिपर्व, आस्तीकोपपर्व, अध्याय 35 से)
1. नाग-स्मरण मंत्र
सर्वप्रथम स्मरण के लिए महाभारत में जो श्लोक आता है —
👉 अर्थ: जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रातः और सायंकाल इन नौ प्रमुख नागों का स्मरण करता है, उसे सर्पदंश का भय नहीं रहता और वह सर्वत्र विजयी होता है।
2. नागों की उत्पत्ति
महाभारत के अनुसार, नाग प्रजापति कश्यप और कद्रू के पुत्र हैं। ये पृथ्वी पर तथा पाताल लोक में विचरण करने वाले दिव्य सर्प माने जाते हैं।
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Mahabharat ke Pramukh Nagon ke Naam aur Mahatva | महाभारत में प्रमुख नागों की सूची व महत्व |
3. प्रमुख नागों की सूची (आदिपर्व से)
नागों में सबसे पहले शेषनाग प्रकट हुए, फिर क्रमशः —
- वासुकि
- ऐरावत
- तक्षक
- कर्कोटक
- धनञ्जय
- कालिय
- मणिनाग
- आपूरण
- पिंजरक
- एलापत्र
- वामन
- नील, अनील
- कल्माष, शबल
- आर्यक
- उग्रक
- कलशपोतक
- सुमनाख़्य
- दधिमुख
- विमलपिण्डक
- आप्त
- कर्कोटक (द्वितीय बार भी नाम आता है)
- शङ्ख
- वालिशिख
- निष्टानक
- हेमगुह
- नहुष
- पिङ्गल
- बाह्यकर्ण
- हस्तिपद
- मुद्गरपिण्डक
- कम्बल
- अश्वतर
- कालीयक
- वृत, संवर्तक
- पद्म, पद्म (द्वितीय)
- शङ्खमुख
- कूष्माण्ड
- क्षेमक
- पिण्डारक
- करवीर
- पुष्पदंष्ट्र
- बिल्वक, बिल्वपाण्डुर
- मूषकाद
- शङ्खशिरा
- पूर्णभद्र
- हरिद्रक
- अपराजित
- ज्योतिक
- श्रीवह
- कौरव्य
- धृतराष्ट्र
- शङ्खपिण्ड
- विरजा
- सुबाहु
- शालिपिण्ड
- हस्तिपिण्ड
- पिठरक
- सुमुख
- कौणपाशन
- कुठर
- कुञ्जर
- प्रभाकर
- कुमुद, कुमुदाक्ष
- तित्तिरि
- हलिक
- कर्दम
- बहुमूलक
- कर्कर, अकर्कर
- कुंडोदर
- महोदर
👉 कुल मिलाकर यहाँ दर्जनों नागों के नाम आए हैं, जिन्हें “मुख्य-मुख्य” कहा गया है।
4. अन्य नागों की गणना क्यों नहीं की गई?
महाभारत स्पष्ट कहता है:
- नागों की संख्या असंख्य है।
- उनकी संतति और संतति की भी संतति अनगिनत है।
- हजारों, लाखों, करोड़ों नाग हैं — अतः उनकी गणना असंभव है।
5. सांस्कृतिक महत्व
- शेषनाग: विष्णु भगवान के शय्या और ब्रह्मांड धारण करने वाले।
- वासुकि: समुद्र-मंथन में नागराज रस्सी बने।
- तक्षक: महाभारत युद्ध के बाद राजा परीक्षित को दंश देने वाले।
- कालिय: जिनका कृष्ण ने कदम्ब वन में दमन किया।
- अनंत (शेष): अनंत काल का प्रतीक।
6. सार
महाभारत केवल नागों के नाम गिनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें सिखाता है कि —
- नाग दिव्य शक्तियों के प्रतीक हैं।
- उनका स्मरण भय निवारण और सुरक्षा देता है।
- उनकी संख्या असंख्य है, इसलिए केवल मुख्य नागों का उल्लेख ही किया गया है।
👉 इस प्रकार आदिपर्व में नागों की परंपरा न केवल पौराणिक कथा है, बल्कि यह संस्कृति, दर्शन और साधना का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।
🐍 महाभारत के प्रमुख नाग – नाम और महत्व
क्रम | नाग का नाम | विशेष महत्व / भूमिका |
---|---|---|
1 | अनंत / शेष | विष्णु भगवान की शय्या; ब्रह्मांड धारक; काल का प्रतीक |
2 | वासुकि | समुद्र-मंथन में रस्सी बने; नागराज |
3 | ऐरावत | इंद्र का हाथी (नाग वंश का एक रूप) |
4 | तक्षक | राजा परीक्षित को दंश देने वाले प्रसिद्ध नाग |
5 | कर्कोटक | नल-दमयंती कथा में उल्लेखित; नल को दंश दिया |
6 | धनञ्जय | प्रमुख नाग, नाम का अर्थ – विजयी |
7 | कालिय | कृष्ण द्वारा पराजित; यमुना में वास |
8 | मणिनाग | मणि धारण करने वाले दिव्य नाग |
9 | आपूरण | पातालवासी नाग |
10 | पिंजरक | पौराणिक नाग |
11 | एलापत्र | देव-नागों में गिने जाते हैं |
12 | वामन | छोटे आकार के नाग |
13 | नील / अनील | रंग-विशेष से प्रसिद्ध |
14 | कल्माष / शबल | धब्बेदार (चिह्नित) नाग |
15 | आर्यक | पांडवों के समय का उल्लेखित नाग |
16 | उग्रक | उग्र स्वभाव वाले नाग |
17 | कलशपोतक | कलश समान काया वाले |
18 | सुमनाख़्य | शुभ नाम वाले नाग |
19 | दधिमुख | दधि (दही) जैसा मुखरूप |
20 | विमलपिण्डक | निर्मल / स्वच्छ नाग |
21 | शङ्खपाल | रक्षक स्वरूप नाग; लोक-प्रसिद्ध |
22 | धार्तराष्ट्र | कुरुवंश के नाग, महत्त्वपूर्ण |
23 | वालिशिख | बालों जैसी फण वाले |
24 | नहुष | नाग रूप में प्रसिद्ध |
25 | पिङ्गल | पीले / सुनहरे वर्ण वाले |
26 | कम्बल | कम्बल जैसे वर्ण वाला नाग |
27 | अश्वतर | घोड़े समान आकृति वाले नाग |
28 | वृत / संवर्तक | विनाशकारी नाग |
29 | पद्म / पद्म (द्वितीय) | कमल के समान दिव्य नाग |
30 | कालीयक | कालिय का ही एक रूप |
31 | क्षेमक | कल्याणकारी नाग |
32 | करवीर | वनस्पति से सम्बद्ध नाग |
33 | पुष्पदंष्ट्र | फूल समान दांत वाले नाग |
34 | बिल्वक / बिल्वपाण्डुर | बिल्व वृक्ष से जुड़े नाग |
35 | मूषकाद | मूषक (चूहा) जैसा स्वरूप |
36 | पूर्णभद्र | मंगलकारी नाग |
37 | अपराजित | अजेय नाग |
38 | ज्योतिक | ज्योति (प्रकाश) धारण करने वाले |
39 | श्रीवह | ऐश्वर्य देने वाले नाग |
40 | शङ्खशिरा | शंखाकार मुख वाले |
41 | कौरव्य | नाग वंश का कुरुवंशी स्वरूप |
42 | विरजा | निर्मल (रज रहित) नाग |
43 | सुबाहु | विशाल भुजाओं वाले |
44 | सुमुख | सुंदर मुख वाले नाग |
45 | प्रभाकर | प्रकाश उत्पन्न करने वाले |
46 | कुमुद / कुमुदाक्ष | कमल की तरह सौम्य |
47 | हलिक | हल (हलधर बलराम से सम्बद्ध) |
48 | कर्दम | कीचड़ में निवास करने वाले नाग |
49 | कुंडोदर / महोदर | विशाल उदर (पेट) वाले नाग |
👉 यह सूची केवल मुख्य नागों की है। महाभारत स्पष्ट करता है कि इनसे अतिरिक्त हजारों-लाखों नाग हैं, जिनकी संतति असंख्य है।