सती उत्तरा कथा – Uttara Story in Mahabharat | Abhimanyu ki Patni aur Parikshit ki Mata

Sooraj Krishna Shastri
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सती उत्तरा कथा – Uttara Story in Mahabharat | Abhimanyu ki Patni aur Parikshit ki Mata

महाभारत की सती उत्तरा कथा (Uttara Story in Mahabharat) पौराणिक इतिहास का अद्भुत प्रसंग है। उत्तरा, महाराज विराट की पुत्री और वीर अभिमन्यु की पत्नी थीं। महाभारत युद्ध में अभिमन्यु के वीरगति को प्राप्त होने पर गर्भवती उत्तरा ने मातृत्व और धर्म का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से जब पाण्डव वंश समाप्त होने की आशंका हुई, तब उत्तरा की करुण पुकार पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनके गर्भस्थ शिशु की रक्षा की और मृत जन्मे बालक को जीवनदान दिया। वही बालक आगे चलकर परीक्षित के नाम से विख्यात हुआ और पाण्डव वंश को जीवित रखा। सती उत्तरा कथा हमें भक्ति, धैर्य, धर्म और मातृत्व की महानता का संदेश देती है। Uttara ki Kahani केवल इतिहास ही नहीं बल्कि हर युग के लिए प्रेरणा है।


🌸 सती उत्तरा की महागाथा 🌸

1. विराट नगर में पाण्डवों का गुप्तवास

पाण्डव वनवास के अंतिम वर्ष में विराट नगर में अज्ञातवास कर रहे थे।

  • महाराज युधिष्ठिर कङ्क नामक ब्राह्मण बनकर पासा खेलने के सहायक बने।
  • भीम बलवन् नामक रसोइया बने।
  • अर्जुन बृहन्नला नामक नपुंसक नर्तक बने और राजकुमारी उत्तरा को नृत्य-संगीत की शिक्षा दी।
  • नकुल गौशाला अधिकारी बने।
  • सहदेव अश्वपालक बने।
  • द्रौपदी सैरन्ध्री (राजमहल की दासी) बनीं।

2. उत्तर की विजय और महाराज विराट का क्रोध

जब कौरवों ने विराट की गायें चुरा लीं, तब राजकुमार उत्तर ने बृहन्नला (अर्जुन) को सारथी बनाकर युद्ध किया और समस्त कौरवों को पराजित कर गायें वापस ले आया।

सती उत्तरा कथा – Uttara Story in Mahabharat | Abhimanyu ki Patni aur Parikshit ki Mata
सती उत्तरा कथा – Uttara Story in Mahabharat | Abhimanyu ki Patni aur Parikshit ki Mata


  • इस पर महाराज विराट आनंद से अपने पुत्र की प्रशंसा करने लगे।
  • युधिष्ठिर (कङ्क) ने कहा— “जिसका सारथी बृहन्नला है, उसकी विजय निश्चित है।”
  • यह सुनकर महाराज विराट क्रोधित हुए और पासा उठाकर कङ्क को मार दिया जिससे उनके नासिका से रक्त निकलने लगा।
  • सैरन्ध्री (द्रौपदी) ने दौड़कर कटोरी में रक्त पकड़ लिया ताकि पाण्डव-राजा का रक्त भूमि पर न गिरे।

3. महाराज विराट की पश्चाताप और विवाह प्रस्ताव

कुछ दिनों बाद महाराज विराट को ज्ञात हुआ कि जिनका उन्होंने अपमान किया था, वे वास्तव में महाराज युधिष्ठिर हैं। उन्हें अत्यंत खेद हुआ।

  • उन्होंने पाण्डवों से स्थायी मैत्री हेतु अपनी पुत्री उत्तरा का विवाह अर्जुन से करने का प्रस्ताव रखा।
  • अर्जुन ने धर्मनिष्ठा का पालन करते हुए कहा—
    “मैंने उत्तरा को बृहन्नला रूप में एक वर्ष तक नृत्य और संगीत की शिक्षा दी है। वह मेरे लिए पुत्री समान है। अतः मैं उसे पत्नी के रूप में नहीं, अपने पुत्र अभिमन्यु की पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूँ।”
  • इस प्रकार अभिमन्यु और उत्तरा का विवाह सम्पन्न हुआ।

4. महाभारत युद्ध और अभिमन्यु वध

  • युद्ध में अर्जुन संसप्तकों से लड़ रहे थे।
  • द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह रचा और जयद्रथ ने पाण्डवों को उसमें प्रवेश से रोका।
  • केवल अभिमन्यु ही व्यूह में प्रवेश कर पाए।
  • उन्होंने अद्भुत पराक्रम दिखाया, परंतु अन्यायपूर्वक अनेक महारथियों ने मिलकर उनका वध कर दिया।
  • उस समय उत्तरा गर्भवती थीं।

5. अश्वत्थामा का ब्रह्मास्त्र और उत्तरा की करुण पुकार

  • युद्ध के बाद जब अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पाँचों पुत्रों को मार डाला, तब क्रोध में उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया ताकि पाण्डवों का वंश नष्ट हो जाए।
  • यह अस्त्र उत्तरा के गर्भस्थ शिशु को लक्ष्य करके छोड़ा गया।
  • उत्तरा ने भयभीत होकर श्रीकृष्ण से प्रार्थना की—
    “हे प्रभो! मेरे गर्भ की रक्षा कीजिए।”
  • भगवान श्रीकृष्ण ने सूक्ष्म रूप से गर्भ में प्रवेश कर शिशु की रक्षा की।

6. परीक्षित का जन्म

  • उत्तरा के गर्भ से बालक मृत जन्मा।
  • वे रोते हुए मृत शिशु को गोद में लेकर बोलीं—
    “बेटा! त्रिभुवन के स्वामी स्वयं तुम्हारे सामने खड़े हैं। यह अशिष्टता मत करो, उठो और उन्हें प्रणाम करो।”
  • श्रीकृष्ण ने करुणा करके शिशु पर जल छिड़का और उसे जीवनदान दिया।
  • तभी बालक के प्राण लौटे और वह परीक्षित नाम से विख्यात हुआ।

7. उत्तरा का गौरव

  • उत्तरा ने विधवा होने पर भी सती नहीं की, क्योंकि श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि उनके गर्भ का शिशु पाण्डव वंश का भविष्य है।
  • भगवान की भक्ति, धर्मपरायणता और मातृत्व के आदर्श स्वरूप के कारण वे सती उत्तरा के नाम से विख्यात हुईं।
  • उनके पुत्र परीक्षित ने ही आगे चलकर कुरुवंश को जीवित रखा और धर्म-राज्य की स्थापना की।

🌿 निष्कर्ष 🌿

सती उत्तरा केवल एक वीरांगना की पत्नी नहीं थीं, बल्कि—

  • धर्मनिष्ठा और भक्ति की प्रतीक,
  • मातृत्व और त्याग की मूर्ति,
  • और पाण्डव वंश की रक्षक थीं।

उनकी कथा हमें यह सिखाती है कि स्त्री के धैर्य, विश्वास और मातृत्व से ही वंश और संस्कृति की रक्षा होती है।


❀༺꧁||🙏 जय माँ 🙏||꧂༻❀


❓ FAQs on Sati Uttara Story (महाभारत की उत्तरा कथा)

1. उत्तरा कौन थीं?

👉 उत्तरा, महाराज विराट की पुत्री, अभिमन्यु की पत्नी और परीक्षित की माता थीं।

2. उत्तरा का विवाह किससे हुआ था?

👉 उत्तरा का विवाह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ था।

3. अभिमन्यु का वध कैसे हुआ?

👉 महाभारत युद्ध में चक्रव्यूह में प्रवेश करने पर अभिमन्यु ने वीरता दिखाई, किंतु कौरवों के सभी महारथियों ने मिलकर अन्यायपूर्वक उनका वध कर दिया।

4. उत्तरा गर्भवती होने पर क्या हुआ?

👉 अभिमन्यु के वध के समय उत्तरा गर्भवती थीं। युद्ध के अंत में अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चलाया, जिससे उनके गर्भस्थ शिशु की मृत्यु हो गई।

5. श्रीकृष्ण ने उत्तरा के पुत्र को कैसे बचाया?

👉 भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा की करुण पुकार सुनकर गर्भ में प्रवेश किया और मृत जन्मे शिशु को जल छिड़ककर पुनः जीवन प्रदान किया।

6. उत्तरा के पुत्र का क्या नाम था?

👉 उत्तरा के पुत्र का नाम परीक्षित रखा गया। वही पाण्डव वंश के एकमात्र उत्तराधिकारी बने।

7. उत्तरा को ‘सती’ क्यों कहा जाता है?

👉 अभिमन्यु के वीरगति प्राप्त करने पर उत्तरा सती होना चाहती थीं, किंतु श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका। उन्होंने धर्म, भक्ति और मातृत्व की रक्षा की, इसलिए उन्हें सती उत्तरा कहा जाता है।

8. परीक्षित का महाभारत से क्या संबंध है?

👉 परीक्षित पाण्डवों के वंशज और अर्जुन के पौत्र थे। आगे चलकर वे हस्तिनापुर के राजा बने और भागवत महापुराण की कथा उन्हीं के प्रश्नों पर कही गई।



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