भारत–ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता FTA 2025: साझेदारी या नव-औपनिवेशिक प्रतिमान?

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

भारत–ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता 2025: साझेदारी या नव-औपनिवेशिक प्रतिमान?

सारांश (Abstract)

सन् 2025 में संपन्न भारत–ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी के नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इस समझौते के माध्यम से भारत को यूरोपीय बाजारों तक अधिक पहुँच तथा ब्रिटेन को भारत के तीव्र-विकासशील उपभोक्ता आधार से जुड़ने का अवसर मिलेगा। तथापि, इस समझौते की संरचना, बौद्धिक संपदा अधिकारों की शर्तें, सेवा क्षेत्र में ब्रिटिश प्राथमिकता, तथा कर-छूट की शर्तों ने एक गहन विमर्श को जन्म दिया है—क्या यह समझौता वास्तविक आर्थिक सहयोग का प्रतीक है या ब्रिटेन की नव-औपनिवेशिक आर्थिक रणनीति का पुनरावर्तन?


प्रस्तावना: ऐतिहासिक एवं राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

भारत और ब्रिटेन के आर्थिक संबंध औपनिवेशिक काल से ही गहराई से जुड़े रहे हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी के युग में व्यापार के नाम पर जो असमानता प्रारंभ हुई, उसने आगे चलकर औपनिवेशिक शासन का स्वरूप धारण किया। स्वतंत्रता के पश्चात् भारत ने ‘आत्मनिर्भरता’ और ‘संप्रभु आर्थिक नीति’ के सिद्धांतों पर आधारित विकास पथ अपनाया।
अब, 21वीं सदी के इस वैश्विक उदारीकरण युग में, ब्रिटेन ब्रेक्सिट के बाद एशियाई बाजारों से पुनः जुड़ने का प्रयास कर रहा है, जबकि भारत विश्व व्यापार प्रणाली में अपने प्रभाव को सुदृढ़ करना चाहता है। इस संदर्भ में FTA 2025 केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि सामरिक, राजनयिक और सांस्कृतिक अर्थों में भी एक ऐतिहासिक घटना बन गया है।

भारत–ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता FTA 2025: साझेदारी या नव-औपनिवेशिक प्रतिमान?
भारत–ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता FTA 2025: साझेदारी या नव-औपनिवेशिक प्रतिमान?


2025 के मुक्त व्यापार समझौते की संरचना एवं प्रमुख बिंदु

भारत–ब्रिटेन FTA 2025 में लगभग 26 अध्याय सम्मिलित हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्र हैं—

  1. शुल्क-मुक्त व्यापार: 90% से अधिक वस्तुओं पर सीमा शुल्क समाप्त या अत्यधिक घटाया गया है।
  2. सेवा क्षेत्र की प्राथमिकता: ब्रिटेन ने वित्तीय, कानूनी, और शैक्षिक सेवाओं में विशेष पहुंच मांगी है।
  3. बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): पेटेंट, दवा उत्पादन, और डिजिटल सामग्री पर ब्रिटिश मानकों का दबाव स्पष्ट है।
  4. निवेश संरक्षण अनुच्छेद: ब्रिटिश निवेशकों के लिए विवाद समाधान की प्राथमिकता दी गई है।
  5. हरित प्रौद्योगिकी सहयोग: जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा निवेश में साझा ढांचा प्रस्तावित है।

रणनीतिक एवं आर्थिक निहितार्थ

इस समझौते का तात्पर्य मात्र व्यापार नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति-संतुलन में भारत की भूमिका से भी है।

  • ब्रिटेन के लिए यह समझौता पोस्ट-ब्रेक्सिट अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने का साधन है।
  • भारत के लिए यह मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, और ग्रीन ग्रोथ अभियानों के लिए विदेशी पूँजी और तकनीक का स्रोत बन सकता है।

परंतु विशेषज्ञों के अनुसार, समझौते की शर्तें ब्रिटेन को निर्यात-केन्द्रित लाभ और भारत को आयात-निर्भर बाजार की स्थिति में रख सकती हैं। विशेषकर वित्तीय सेवाओं और शिक्षा क्षेत्र में ब्रिटिश प्रभुत्व बढ़ने की संभावना है।


क्षेत्रवार प्रभाव विश्लेषण

1. उद्योग एवं विनिर्माण क्षेत्र:

शुल्क में छूट के कारण भारतीय ऑटोमोबाइल, वस्त्र, और औषधि उद्योग को ब्रिटेन में निर्यात के अवसर मिल सकते हैं, परंतु ब्रिटिश मशीनरी और उच्च-तकनीकी उत्पाद भारतीय लघु उद्योगों के लिए चुनौती बनेंगे।

2. कृषि क्षेत्र:

भारत में कृषि उत्पादों पर आयात-छूट से ब्रिटिश डेयरी और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद भारतीय बाजार में सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सकते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।

3. सेवा क्षेत्र:

ब्रिटेन का सबसे बड़ा लाभ इसी क्षेत्र में है। शिक्षा, स्वास्थ्य बीमा, और वित्तीय सेवा संस्थान भारतीय बाजार में प्रवेश करेंगे। यह भारत के घरेलू सेवा प्रदाताओं के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकता है।

4. प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्षेत्र:

ब्रिटिश डिजिटल कंपनियों को भारत के डाटा-सुरक्षा ढांचे में प्रवेश की अनुमति दी गई है। यह साइबर-संप्रभुता और डेटा लोकलाइजेशन पर गंभीर प्रश्न उठाता है।


विषम शक्ति-संबंध और नव-औपनिवेशिक प्रवृत्तियाँ

भारत और ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति में आज भी स्पष्ट असमानता है—ब्रिटेन की प्रति व्यक्ति आय भारत से 20 गुना अधिक है। इस परिप्रेक्ष्य में, समझौते की शर्तें समान नहीं कही जा सकतीं।
ब्रिटिश पक्ष द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों, वित्तीय नियंत्रण, और शिक्षा-क्षेत्र में प्रभुत्व के आग्रह ने “नव-औपनिवेशिक आर्थिक संरचना” की आशंका को जन्म दिया है—जहाँ व्यापारिक समानता के आवरण में पूँजी और नीति-नियंत्रण का हस्तांतरण हो सकता है।

आर्थिक समीक्षक अमर्त्य सेन के शब्दों में—

“जब आर्थिक निर्णय बाहरी पूँजी और विदेशी बौद्धिक मानकों से नियंत्रित होते हैं, तब स्वतंत्रता केवल राजनीतिक रह जाती है, आर्थिक नहीं।”


भारत के लिए नीतिगत सुझाव

  1. समान लाभ सुनिश्चित करना:
    भारत को अपने निर्यात-उन्मुख उद्योगों (फार्मा, वस्त्र, MSME) के लिए न्यूनतम सुरक्षा मानक तय करने चाहिए।

  2. डेटा-सुरक्षा एवं डिजिटल स्वायत्तता:
    ब्रिटिश कंपनियों की पहुँच सीमित करते हुए भारत को अपने डेटा लोकलाइजेशन कानून को सख्ती से लागू करना होगा।

  3. सेवा क्षेत्र में पारस्परिकता:
    यदि ब्रिटेन भारतीय IT और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए वीज़ा सुगमता नहीं बढ़ाता, तो सेवा क्षेत्र में समानता का सिद्धांत अधूरा रहेगा।

  4. कृषि संरक्षण नीति:
    ब्रिटिश कृषि उत्पादों के अनियंत्रित आयात से भारतीय किसान प्रभावित न हों, इसके लिए कस्टम ट्रिगर मेकैनिज्म आवश्यक है।

  5. संवेदनशील क्षेत्रों में FDI समीक्षा:
    शिक्षा, मीडिया, और वित्तीय सेवाओं में विदेशी निवेश की समीक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग द्वारा की जानी चाहिए।


निष्कर्ष

भारत–ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता 2025 एक अवसर भी है और परीक्षा भी। यह भारत के वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, परंतु इसके भीतर छिपी शक्ति-संतुलन की असमानता भारत की आर्थिक स्वायत्तता को चुनौती भी दे सकती है।
इस समझौते की सफलता भारत की नीति-चतुराई, नियामक दृढ़ता, और आत्मनिर्भरता की भावना पर निर्भर करेगी।
यदि भारत समता, स्वायत्तता और दीर्घकालिक राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देता है, तो यह साझेदारी वास्तविक प्रगति का प्रतीक बन सकती है; अन्यथा यह 21वीं सदी की नव-औपनिवेशिक व्यवस्था का आधुनिक संस्करण भी सिद्ध हो सकती है।


संदर्भ सूची (Select References)

  1. Government of India & UK Department for Business and Trade, India–UK FTA Summary Document, 2025.
  2. Amartya Sen, Development as Freedom, Oxford University Press, 1999.
  3. World Trade Organization (WTO) Data Reports, 2024.
  4. Observer Research Foundation (ORF), Policy Brief on India–UK Trade Relations, 2025.
  5. The Economist, “Britain’s Post-Brexit Asia Strategy,” March 2025.


Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!