हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों (18 Mahapuranas) की पूरी सूची देखें। जानें सभी पुराणों के नाम, श्लोक संख्या (Shloka Count), अध्याय और उनका संक्षिप्त परिचय इस विस्तृत लेख में।
18 Mahapuranas List in Hindi: नाम, श्लोक संख्या और परिचय (Complete Guide)
भारतीय संस्कृति के आधारस्तंभ – अष्टादश महापुराणों का विश्लेषणात्मक अध्ययन
सारांश (Abstract)
पुराण (अर्थात 'पुराना' या 'प्राचीन') भारतीय वाङ्मय के वे महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जो वैदिक काल के ज्ञान को सरल कथाओं, रूपकों और ऐतिहासिक वृत्तांतों के माध्यम से जनसामान्य तक पहुँचाते हैं। यह शोध पत्र पारंपरिक श्लोक "मद्वयं भद्वयं..." के माध्यम से १८ महापुराणों का वर्गीकरण और परिचय प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य इन ग्रंथों की विषयवस्तु और भारतीय दर्शन में उनके महत्व को रेखांकित करना है।
1. प्रस्तावना (Introduction)
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित माने जाने वाले ये ग्रंथ केवल धार्मिक कथाएं नहीं हैं, बल्कि इनमें—
- सृष्टि की उत्पत्ति (सर्ग)
- प्रलय (प्रतिसर्ग)
- राजवंश (वंश)
- मन्वंतर
- ऋषियों के चरित्र (वंशानुचरित)
का विस्तृत वर्णन मिलता है।
1.1 स्मरणसूत्र श्लोक
स्मरण की सुविधा के लिए शास्त्रों में एक प्रसिद्ध श्लोक है, जो इन १८ पुराणों के नाम के पहले अक्षरों को संजोकर रखता है—
मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं व चतुष्टयम्।अनापलिंगकूस्कानि पुराणानि प्रचक्षते।।
अर्थात—
- म (२): मत्स्य, मार्कण्डेय
- भ (२): भविष्य, भागवत
- ब्र (३): ब्रह्म, ब्रह्मांड, ब्रह्मवैवर्त
- व (४): विष्णु, वायु (शिव), वाराह, वामन
- अनापलिंगकूस्कानि:अग्नि (अ), नारद (ना), पद्म (प), लिंग (लिंग),गरुड़ (ग - यहाँ लुप्त है किन्तु सूची में मान्य है),कूर्म (कू), स्कंद (स्क)
2. पुराणों का वर्गीकरण और परिचय
(Classification and Introduction)
श्लोक के आधार पर इन पुराणों का विस्तृत विवेचन निम्न प्रकार है—
![]() |
| 18 Puranas List & Summary: श्लोक, अध्याय और महत्त्व जानें |
2.1 ‘म’ द्वयं
(दो पुराण ‘म’ से)
2.1.1 मत्स्य पुराण
यह भगवान विष्णु के प्रथम अवतार 'मत्स्य' को समर्पित है। इसमें जलप्रलय की कथा, राजा और प्रजा के धर्म, तथा वास्तु शास्त्र (स्थापत्य कला) का अत्यंत विस्तृत वर्णन मिलता है।
2.1.2 मार्कण्डेय पुराण
यह प्राचीनतम पुराणों में से एक है। यह संवाद शैली में है (जैमिनी और मार्कण्डेय ऋषि के बीच)। इसकी सबसे बड़ी विशेषता 'दुर्गा सप्तशती' (देवी माहात्म्य) है, जो इसी पुराण का एक अंश है।
2.2 ‘भ’ द्वयं
(दो पुराण ‘भ’ से)
2.2.1 भागवत पुराण
भक्ति साहित्य का मुकुटमणि। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का सर्वाधिक मधुर और दार्शनिक वर्णन है। यह वैष्णव संप्रदाय का मुख्य ग्रंथ माना जाता है।
2.2.2 भविष्य पुराण
इसमें भविष्य की घटनाओं, सूर्य पूजा और राजवंशों का वर्णन है। इसमें कई बाद की ऐतिहासिक घटनाओं और आक्रांताओं का भी उल्लेख मिलता है, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से रहस्यमय बनाता है।
2.3 ‘ब्र’ त्रयं
(तीन पुराण ‘ब्र’ से)
2.3.1 ब्रह्म पुराण
इसे 'आदि पुराण' भी कहा जाता है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति और तीर्थों (विशेषकर उड़ीसा के क्षेत्र) का वर्णन है।
2.3.2 ब्रह्मांड पुराण
पहले यह वायु पुराण का ही हिस्सा माना जाता था। इसमें ब्रह्मांड के खगोलीय विवरण और अध्यात्म रामायण (ललिता सहस्रनाम भी इसी का हिस्सा है) का समावेश है।
2.3.3 ब्रह्मवैवर्त पुराण
यह ग्रंथ भगवान श्रीकृष्ण और राधा को मूल प्रकृति और पुरुष के रूप में प्रतिष्ठित करता है। इसमें गणेश और प्रकृति खंड का विशेष महत्व है।
2.4 ‘व’ चतुष्टयम्
(चार पुराण ‘व’ से)
2.4.1 विष्णु पुराण
यह पुराणों में सबसे व्यवस्थित माना जाता है। इसमें ऐतिहासिक राजवंशों (मौर्य आदि) का सटीक वर्णन है। यह पंचलक्षणों (सर्ग, प्रतिसर्ग आदि) का पूर्ण पालन करता है।
2.4.2 वायु (शिव) पुराण
शोध टिप्पणी: विद्वानों में मतभेद है कि महापुराण की सूची में 'वायु' है या 'शिव'। प्राचीन सूचियों में 'वायु पुराण' का नाम आता है, जिसे शैव दर्शन का आधार माना जाता है। कालांतर में 'शिव पुराण' ने इसकी जगह ले ली। दोनों ही भगवान शिव की महिमा का गान करते हैं।
2.4.3 वाराह पुराण
भगवान विष्णु के वाराह अवतार द्वारा पृथ्वी के उद्धार की कथा। इसमें मथुरा और अन्य तीर्थों का माहात्म्य विस्तार से बताया गया है।
2.4.4 वामन पुराण
इसमें विष्णु के वामन अवतार और शिव-पार्वती विवाह की कथाओं का सुंदर समन्वय है। यह शैव और वैष्णव मतों में सामंजस्य स्थापित करता है।
2.5 अन्य पुराण
(अ-ना-प-लिंग-कू-स्क-ग)
अग्नि पुराण
इसे 'भारतीय संस्कृति का विश्वकोश' (Encyclopedia) कहा जाता है। इसमें धर्म के अलावा व्याकरण, आयुर्वेद, धनुर्वेद, राजनीति और रत्न परीक्षा जैसे लौकिक विषयों का ज्ञान है।
नारद पुराण
यह वैष्णव पुराण है जिसमें भक्ति के साथ-साथ अन्य सभी पुराणों की संक्षिप्त सूची और उनका महत्व बताया गया है। यह धार्मिक कृत्यों और व्रतों पर केंद्रित है।
पद्म पुराण
आकार की दृष्टि से यह दूसरा सबसे बड़ा पुराण है। यह पाँच खंडों (सृष्टि, भूमि, स्वर्ग, पाताल, उत्तर) में विभाजित है। इसमें पुष्कर तीर्थ और वैष्णव भक्ति का विशेष वर्णन है।
लिंग पुराण
इसमें भगवान शिव की उपासना लिंग विग्रह के रूप में बताई गई है। यह 28 योगा अवतारों और शिव के पंचाक्षर मंत्र की व्याख्या करता है।
कूर्म पुराण
इसमें भगवान विष्णु कूर्म (कछुआ) अवतार में उपदेश देते हैं। इसमें ईश्वर गीता और व्यास गीता समाहित हैं।
स्कंद पुराण
यह सबसे विशाल पुराण है (८१,००० से अधिक श्लोक)। यह खंडों में विभाजित है (जैसे काशी खंड, केदार खंड)। भारत के तीर्थ स्थलों का सबसे विस्तृत भौगोलिक वर्णन इसी में मिलता है।
गरुड़ पुराण
इसमें मृत्यु, परलोक, पुनर्जन्म और कर्मफल का वर्णन है। इसे अक्सर श्राद्ध कर्म के समय सुना जाता है। इसमें भी आयुर्वेद और रत्न विज्ञान का उल्लेख है।
3. त्रिगुणात्मक विश्लेषण (Qualitative Analysis)
पद्म पुराण के अनुसार, इन १८ पुराणों को तीन गुणों में बांटा जा सकता है—
3.1 सात्त्विक (विष्णु प्रधान)
- विष्णु
- नारद
- भागवत
- गरुड़
- पद्म
- वाराह
3.2 राजसिक (ब्रह्मा प्रधान)
- ब्रह्म
- ब्रह्मांड
- ब्रह्मवैवर्त
- मार्कण्डेय
- भविष्य
- वामन
3.3 तामसिक (शिव/अग्नि प्रधान)
- शिव (वायु)
- लिंग
- स्कंद
- अग्नि
- मत्स्य
- कूर्म
(नोट: यह वर्गीकरण संप्रदाय विशेष के दृष्टिकोण को दर्शाता है, साहित्यिक दृष्टि से सभी पुराण महत्वपूर्ण हैं।)
अष्टादश महापुराण
श्लोक संख्या, संरचना एवं अध्याय – सारणीबद्ध विवरण
| क्र.सं. | पुराण का नाम | श्लोक संख्या (लगभग) | विभाजन (खण्ड / स्कंध / संहिता) | विशेष विवरण / अध्याय |
|---|---|---|---|---|
| 1 | ब्रह्म पुराण | 10,000 | 2 भाग (पूर्व और उत्तर) | इसे 'आदि पुराण' कहा जाता है। लगभग 246 अध्याय। |
| 2 | पद्म पुराण | 55,000 | 5 खण्ड | 1. सृष्टि, 2. भूमि, 3. स्वर्ग, 4. पाताल, 5. उत्तर खण्ड। (यह दूसरा सबसे बड़ा पुराण है)। |
| 3 | विष्णु पुराण | 6,300 (या 23,000*) | 6 अंश | इसमें खण्ड को 'अंश' कहा गया है। (126 अध्याय)। *पारंपरिक गणना 23,000 कहती है पर उपलब्ध प्रति में 6–7 हजार हैं। |
| 4 | शिव पुराण (या वायु) | 24,000 | 7 संहिताएं | विद्येश्वर, रुद्र, शतरुद्र, कोटिरुद्र, उमा, कैलास, और वायु संहिता। (457 अध्याय)। |
| 5 | भागवत पुराण | 18,000 | 12 स्कंध | इसमें खण्ड को 'स्कंध' कहा गया है। कुल 335 अध्याय। यह सर्वाधिक प्रचलित पुराण है। |
| 6 | नारद पुराण | 25,000 | 2 भाग | 1. पूर्व भाग (4 पाद), 2. उत्तर भाग। इसे 'बृहन्नारदीय' भी कहते हैं। |
| 7 | मार्कण्डेय पुराण | 9,000 | (निरंतर अध्याय) | इसमें खण्ड विभाजन नहीं है, सीधा 137 अध्याय हैं। 'दुर्गा सप्तशती' (अध्याय 81–93) इसी का हिस्सा है। |
| 8 | अग्नि पुराण | 15,400 | (निरंतर अध्याय) | 383 अध्याय। इसे 'भारतीय ज्ञानकोश' माना जाता है। |
| 9 | भविष्य पुराण | 14,500 | 4 पर्व | 1. ब्राह्म, 2. मध्यम, 3. प्रतिसर्ग, 4. उत्तर पर्व। |
| 10 | ब्रह्मवैवर्त पुराण | 18,000 | 4 खण्ड | 1. ब्रह्म, 2. प्रकृति, 3. गणेश, 4. श्रीकृष्णजन्म खण्ड। (276 अध्याय)। |
| 11 | लिंग पुराण | 11,000 | 2 भाग | 1. पूर्व भाग (108 अध्याय), 2. उत्तर भाग (55 अध्याय)। कुल 163 अध्याय। |
| 12 | वाराह पुराण | 24,000 | (निरंतर अध्याय) | उपलब्ध प्रतियों में लगभग 10,000 श्लोक और 217 अध्याय मिलते हैं। |
| 13 | स्कंद पुराण | 81,100 | 7 खण्ड | 1. माहेश्वर, 2. वैष्णव, 3. ब्राह्म, 4. काशी, 5. अवन्ती, 6. नागर, 7. प्रभास। (यह सबसे विशाल पुराण है)। |
| 14 | वामन पुराण | 10,000 | (निरंतर अध्याय) | 95 अध्याय। इसमें सरोमाहात्म्य मुख्य है। |
| 15 | कूर्म पुराण | 17,000 | 2 विभाग | 1. पूर्व विभाग (51 अध्याय), 2. उत्तर विभाग (44 अध्याय)। |
| 16 | मत्स्य पुराण | 14,000 | (निरंतर अध्याय) | 291 अध्याय। |
| 17 | गरुड़ पुराण | 19,000 | 2 खण्ड | 1. पूर्व खण्ड (आचार काण्ड), 2. उत्तर खण्ड (प्रेत कल्प / धर्म काण्ड)। |
| 18 | ब्रह्मांड पुराण | 12,000 | 4 पाद | 1. प्रक्रिया, 2. अनुषंग, 3. उपोद्घात, 4. उपसंह्शार पाद। (अध्यात्म रामायण इसी का भाग है)। |
सारांश (Quick Summary)
| विषय | विवरण |
|---|---|
| सबसे बड़ा पुराण | स्कंद पुराण (८१,१०० श्लोक) |
| सबसे छोटा पुराण (उपलब्धता में) | विष्णु पुराण या मार्कण्डेय पुराण |
| सबसे अधिक खण्ड / संहिता | स्कंद पुराण (७ खण्ड), शिव पुराण (७ संहिताएं) |
| सर्वाधिक लोकप्रिय | श्रीमद्भागवत पुराण |
4. निष्कर्ष (Conclusion)
18 Mahapuranas names
Puranas in Hindi
Ashtadash Puran list
Bhagwat Puran Shloka count
अष्टादश पुराण परिचय
Hindu Scriptures Summary

