संस्कृत श्लोक "गुणं पृच्छस्व मा रूपं शीलं पृच्छस्व मा कुलम्" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "गुणं पृच्छस्व मा रूपं शीलं पृच्छस्व मा कुलम्" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

🌸 जय श्रीराम! सुप्रभातम् 🌸

प्रस्तुत श्लोक हमें जीवन की वास्तविक प्राथमिकताओं की ओर संकेत करता है। मनुष्य प्रायः बाहरी आडम्बरों — रूप, कुल, धन, डिग्री — में फँस जाता है, लेकिन असली महत्व सद्गुण, चरित्र, सफलता और सुख का है। आइए इसे व्यवस्थित रूप से देखें:


१. संस्कृत मूल

गुणं पृच्छस्व मा रूपं शीलं पृच्छस्व मा कुलम्।
सिद्धिं पृच्छस्व मा विद्यां सौख्यं पृच्छस्व मा धनम् ॥


२. अंग्रेज़ी ट्रान्सलिटरेशन (IAST)

guṇaṃ pṛcchasva mā rūpaṃ śīlaṃ pṛcchasva mā kulam ।
siddhiṃ pṛcchasva mā vidyāṃ saukhyaṃ pṛcchasva mā dhanam ॥


३. पद-पद अर्थ (Word-by-Word Meaning)

पद अर्थ
गुणम् सद्गुण, उत्तम गुण
पृच्छस्व पूछो, जानो
मा मत (नकार)
रूपम् बाह्य सौन्दर्य
शीलम् आचरण, चरित्र
कुलम् वंश, परिवार
सिद्धिम् उपलब्धि, वास्तविक सफलता
विद्यां केवल ज्ञान या डिग्री
सौख्यम् वास्तविक सुख, संतोष
धनम् मात्र धन-संपत्ति

४. हिन्दी अनुवाद

गुण पूछो, रूप मत पूछो।
चरित्र पूछो, कुल मत पूछो।
सफलता पूछो, विद्या मत पूछो।
सुख पूछो, धन मत पूछो।


५. English Translation

Ask about virtues, not beauty.
Ask about character, not family lineage.
Ask about accomplishments, not mere education.
Ask about happiness, not wealth.

संस्कृत श्लोक "गुणं पृच्छस्व मा रूपं शीलं पृच्छस्व मा कुलम्" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "गुणं पृच्छस्व मा रूपं शीलं पृच्छस्व मा कुलम्" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण



६. व्याकरणिक विश्लेषण

  • पृच्छस्व → लोट् लकार, आत्मनेपदी, धातु प्रछ् (पूछना) → आज्ञार्थक/उपदेशार्थक।
  • मा → निषेध सूचक अव्यय, "मत" के अर्थ में।
  • चार उपदेशात्मक समांतर वाक्य रचना (parallel imperative clauses)।

७. आधुनिक सन्दर्भ

🔹 समाज में अक्सर लोग विवाह, मित्रता, या नौकरी के समय केवल रूप, कुल, डिग्री और धन को महत्व देते हैं।
🔹 लेकिन जीवन का सुख वास्तव में गुण, शील, वास्तविक उपलब्धियाँ और संतोष से ही आता है।
🔹 यह श्लोक हमें priorities reset करने की शिक्षा देता है — सतही चीज़ों से ऊपर उठकर गहराई में देखो।


८. संवादात्मक नीति-कथा

कथा — “राजकुमारी का वर”
एक बार एक राजकुमारी के लिए वर चयन हो रहा था।
किसी ने रूप दिखाया, किसी ने कुल वंश, किसी ने सोने-चाँदी का वैभव।
पर एक साधारण युवक बोला: “मेरे पास धन नहीं, रूप नहीं, लेकिन चरित्र और परिश्रम है।”
राजकुमारी ने उसी को चुना और कहा:
“रूप मिट जाएगा, धन चला जाएगा, कुल केवल नाम है। लेकिन गुण और शील ही जीवन भर सुख देते हैं।”


९. सार-सूत्र (Takeaway)

👉 Virtue over Beauty.
👉 Character over Lineage.
👉 True Achievement over Mere Education.
👉 Happiness over Wealth.

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