Karwa Chauth: करवा चौथ पर छलनी से क्यों करते हैं पति का दीदार? कैसे देना चाहिए अर्ध्य, जानें १० रोचक सवाल-जबाव
🌕 करवा चौथ: परंपरा, मान्यताएँ और १० महत्वपूर्ण सवाल-जवाब
करवा चौथ व्रत हिंदू धर्म में विवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत पवित्र पर्व है। इसे सुहागिनों का त्यौहार कहा जाता है, जो पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह व्रत निर्जला उपवास के रूप में दिनभर किया जाता है और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर तथा पति के हाथों से जल ग्रहण कर पूरा किया जाता है।
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Karwa Chauth: करवा चौथ पर छलनी से क्यों करते हैं पति का दीदार? कैसे देना चाहिए अर्ध्य, जानें १० रोचक सवाल-जबाव |
🚩१. करवा चौथ की तैयारी कैसे करें?
- पूजा की थाली में आटे का दीपक रखें, जिसमें रुई की बाती अवश्य हो।
- मिट्टी का करवा (घड़ा) रखें।
- जल का कलश रखें, जिससे चंद्रमा को अर्घ्य देंगे।
- छलनी अवश्य रखें, जिससे चंद्रमा और पति का दर्शन किया जाएगा।
- थाली को रोली, चावल, मिठाई और फल से सजाएँ।
🚩२. करवे में क्या भरा जाता है?
- परंपरा अनुसार करवा में गेहूँ भरा जाता है और ढक्कन पर शक्कर रखी जाती है।
- करवा पर 13 रोली की बिंदियाँ बनाई जाती हैं।
- कथा सुनते समय गेहूँ या चावल हाथ में लेकर पूजा की जाती है।
- पूजा के बाद महिलाएँ अपनी सासु माँ के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेती हैं और उन्हें करवा भेंट करती हैं।
- कहीं-कहीं करवा में दूध और चाँदी/ताँबे का सिक्का भी डाला जाता है।
🚩३. छलनी से पति का दीदार क्यों किया जाता है?
मान्यता है कि छलनी में हजारों छोटे छेद होते हैं। जब महिला छलनी से चंद्रमा का दर्शन करती है, तो प्रत्येक छिद्र में चंद्र का प्रतिबिंब दिखाई देता है।
- यह अनंत आशीर्वाद का प्रतीक है।
- जब स्त्री छलनी से पति का मुख देखती है, तो यह माना जाता है कि पति की आयु और सौभाग्य उतनी ही गुना बढ़ जाता है।👉 इसीलिए छलनी से पति-दर्शन करवा चौथ की परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
🚩४. क्या सरगी से पहले स्नान आवश्यक है?
हाँ, प्रथा अनुसार महिलाएँ सूर्योदय से पूर्व स्नान करती हैं।
- इसके बाद सास द्वारा दी गई सरगी खाती हैं।
- सरगी थाली में फल, मिठाई, मेवे, पूड़ी-सब्ज़ी और मिठा परांठा होता है।
- यह थाली दिनभर निर्जला व्रत रखने वाली महिला को ऊर्जा प्रदान करती है।
🚩५. चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें?
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करना चाहिए।
- तांबे या चाँदी के लोटे में जल, दूध, पुष्प और अक्षत डालकर चंद्रमा को अर्पित करें।
- मंत्र जपें—"ॐ सों सोमाय नमः"
- इससे वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
🚩६. घर में करवा चौथ की पूजा कैसे करें?
- करवा और जल का लोटा साथ रखें।
- दीपक जलाएँ और करवा चौथ की कथा का श्रवण करें।
- चंद्र उदय होने के बाद छलनी से पति-दर्शन करें और फिर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना करें।
🚩७. करवा चौथ पर कौन-सा रंग नहीं पहनना चाहिए?
- करवा चौथ का शुभ रंग लाल है। महिलाएँ लाल, गुलाबी, हरा, पीला या नारंगी रंग पहन सकती हैं।
- काला और सफेद रंग वर्जित माना गया है, क्योंकि यह अशुभता और शोक का प्रतीक है।
🚩८. करवा चौथ पर किन देवताओं की पूजा होती है?
- चंद्रमा की पूजा इस व्रत का मुख्य अंग है।
- साथ ही भगवान शिव, माता पार्वती और श्रीगणेश की पूजा भी की जाती है।
- चाँदी के लोटे में दूध भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दें और मंत्र का जप करें—"ॐ सों सोमाय नमः"
🚩९. चंद्रमा को अर्घ्य देने का शास्त्रीय मंत्र
अर्घ्य देते समय यह श्लोक बोलें—
👉 इसके बाद पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन की प्रार्थना करें।
🚩१०. चंद्रमा को जल चढ़ाने का महत्व
- शास्त्रों में कहा गया है कि चंद्र देव को जल अर्पित करने से सौभाग्य, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर 108 बार मंत्र जपें—"ॐ सों सोमाय नमः"
- इससे जीवन में सफलता, वैवाहिक सुख और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
✨ निष्कर्ष
करवा चौथ का व्रत न केवल पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, बल्कि यह धैर्य, श्रद्धा और समर्पण का भी पर्व है। छलनी से पति-दर्शन की परंपरा इसके सबसे अनोखे और भावुक क्षणों में से एक है, जो इस व्रत को पूर्णता प्रदान करता है।