Sandhi Parichay: यण् संधि का विस्तृत परिचय और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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इस पोस्ट में यण् संधि (इको यणचि) का सूत्र परिचय और उदाहरण विश्लेषण सहित प्रस्तुत कर रहे हैं।


🌸Sandhi Parichay: यण् संधि का विस्तृत परिचय और विश्लेषण 🌸

📜 सूत्रम् –

इको यणचि (अष्टाध्यायी 6।1।77)

🔹 तात्पर्य –

"इकः स्थाने यण् स्यात् अचि परे संहितायाम्।"
अर्थात् –
यदि किसी पद के अंत में इक् (इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ) वर्ण हो और उसके बाद असवर्ण स्वर (अ, आ, इत्यादि) आए, तो उस इक् वर्ण के स्थान पर क्रमशः यण् वर्ण का आदेश होता है।


1. इक् वर्ण और उनके यण् आदेश

इक् वर्ण यण् आदेश
इ, ई य्
उ, ऊ व्
ऋ, ॠ र्
लृ ल्

2. नियम

👉 जब किसी पद का अंतिम स्वर इक् हो और उसके बाद कोई असवर्ण स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ) आए, तब उस इक् के स्थान पर यण् वर्ण आ जाता है।
👉 यही यण् संधि कहलाती है।


3. उदाहरण (वर्गीकृत रूप में)

(क) इ, ई → य्

  1. इ + अ → य्

    • प्रति + अङ्गम् = प्रत्यङ्गम्
    • इति + उक्त्वा = इत्युक्त्वा
    • यदि + अपि = यद्यपि
    • नदी + अम्बुः = नद्यम्बुः
  2. ई + आ → य्

    • नदी + आगमः = नद्यागमः
    • नारी + आश्रमः = नार्याश्रमः
    • सती + आगता = सत्यागता

(ख) उ, ऊ → व्

  1. उ + अ → व्

    • मधु + अरिः = मध्वरिः
    • सु + अंशः = स्वांशः
    • सु + अल्पः = स्वल्पः
  2. उ + आ → व्

    • लघु + आचारः = लघ्वाचारः
    • सु + आगतम् = स्वागतम्
  3. ऊ + इ → व्

    • वधू + इयम् = वध्वियम्
    • वधू + आगमनम् = वध्वागमनम्

(ग) ऋ, ॠ → र्

  1. ऋ + अ → र्

    • पितृ + अज्ञा = पित्राज्ञा
    • पितृ + अर्थम् = पित्रर्थम्
    • मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा
    • नेतृ + आकारः = नेत्राकारः
    • भ्रातृ + अंशः = भ्रात्रंशः
  2. ऋ + आ → र्

    • मातृ + आदेशः = मात्रादेशः
    • मातृ + अनुज्ञा = मात्रनुज्ञा

(घ) लृ → ल्

  1. लृ + अ → ल्
    • लृ + अर्थम् = लार्थम्
    • लृ + आकृतिः = लाकृतिः

4. अन्यान्य उदाहरण

  • शम्भु + आकारः = शम्भ्वाकारः
  • अनु + एषणम् = अन्वेषणम्
  • अनु + अयः = अन्वयः
  • विष्णु + आज्ञा = विष्ण्वाज्ञा
  • हि + आत्मन् = ह्यात्मन्
  • जननी + उदकम् = जनन्युदकम्
  • कर्तृ + आ = कर्त्रा

5. विशेष टिप्पणी 📝

  • यण् वर्ण (य्, व्, र्, ल्) को ही "यण्" कहा जाता है।
  • यह संधि केवल तब होती है जब "इक्" वर्ण के बाद असवर्ण स्वर आता है।
  • यदि सवर्ण स्वर आता है (जैसे – इ + इ, उ + उ), तब गुण/वृद्धि संधि होती है, न कि यण् संधि।

6. सारांश

  • सूत्र: इको यणचि
  • इक् वर्ण: इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ
  • यण् आदेश: य्, व्, र्, ल्
  • प्रयोग: इक् + असवर्ण स्वर = यण्


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