इस पोस्ट में हम भगवान श्रीविष्णु एवं वैष्णव परंपरा से जुड़े विवरण को एक सुसंगठित, सुव्यवस्थित, और विस्तार से प्रस्तुत करता हूँ।
भगवान विष्णु की कथा, स्वरूप, अवतार और वैष्णव परंपरा | Lord Vishnu Story, Forms, Avatars & Vaishnav Tradition
1. परिचय
हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु ‘परमेश्वर’ के तीन मुख्य रूपों में से एक हैं — ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता), विष्णु (पालनकर्ता) और महेश/शिव (संहारकर्ता)।
भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार माने जाते हैं और सम्पूर्ण विश्व की व्यवस्था उनके द्वारा संचालित होती है। वे निर्गुण, निराकार रूप में
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भगवान विष्णु की कथा, स्वरूप, अवतार और वैष्णव परंपरा | Lord Vishnu Story, Forms, Avatars & Vaishnav Tradition |
भी विद्यमान हैं और सगुण, साकार रूप में भी पूजित हैं।
2. उत्पत्ति और दैवी शक्ति
- सृष्टि की शुरुआत में, ईश्वर के ताप से जल की उत्पत्ति हुई।
- जल से सगुण रूप में भगवान विष्णु प्रकट हुए।
- उनकी सहचारिणी लक्ष्मीजी हैं, जो ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी हैं।
- विष्णु की नाभि से कमल का प्राकट्य हुआ, जिसमें ब्रह्माजी विराजमान हुए, जिन्होंने सृष्टि की रचना की।
- वेदों में, विष्णु को आदित्य वर्ग के श्रेष्ठ देव कहा गया है।
3. नाम का अर्थ
"विष्णु" शब्द के दो प्रमुख अर्थ हैं—
- विश्व का अणु (सूक्ष्मतम रूप)
- जो विश्व के कण-कण में व्याप्त है (सर्वव्यापी)
4. स्वरूप
भगवान विष्णु का दिव्य रूप इस प्रकार है:
- विराजमान: क्षीरसागर में शेषनाग पर।
- चार भुजाएँ:
- शंख (पाञ्चजन्य)
- चक्र (सुदर्शन)
- गदा (कौमोदकी)
- कमल (पद्म)
- आभूषण और अलंकार:
- कौस्तुभ मणि
- वनमाला (वैजयंती माला)
- किरीट और कुण्डल
- लक्ष्मीजी के साथ निवास करते हैं।
5. भगवान विष्णु की लीलाएँ
- अवतारों की संख्या: 24 (मुख्यतः 10 को मान्यता)
- प्रसिद्ध लीलाएँ:
- मधु-केटभ का वध
- सागर मंथन में मोहिनी रूप धारण
- असुर जालंधर की पत्नी वृन्दा का सतीत्व भंग
- धर्म की रक्षा हेतु विभिन्न युगों में अवतार
6. विष्णु मंत्र
(क) स्मरण मंत्र
ॐ नमो नारायणाय।श्री मन नारायण नारायण हरि हरि॥
(ख) वैदिक मंत्र (ऋग्वेद से)
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर।भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतः पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।आ नो भजस्व राधसि॥
7. निवास (लोक व्यवस्था)
- मुख्य निवास: क्षीरसागर (दुग्ध सागर)
- विष्णु पुराण अनुसार भूगोल:
- पृथ्वी सात द्वीपों में विभक्त:
- जम्बूद्वीप
- प्लक्षद्वीप
- शाल्मलद्वीप
- कुशद्वीप
- क्रौंचद्वीप
- शाकद्वीप
- पुष्करद्वीप
- प्रत्येक द्वीप चारों ओर समुद्र से घिरा है।
- शाकद्वीप के चारों ओर क्षीरसागर है।
8. भगवान विष्णु के नाम
नारायण, श्रीहरि, गरुड़ध्वज, पीताम्बर, विष्वक्सेन, जनार्दन, उपेन्द्र, इन्द्रावरज, चक्रपाणि, चतुर्भुज, लक्ष्मीकांत, पद्मनाभ, मधुरिपु, त्रिविक्रम, शौरि, श्रीपति, पुरुषोत्तम, विश्वम्भर, कैटभजित, विधु, केशव, शालीग्राम आदि।
9. विष्णु के 24 अवतार
मुख्य 10 (दशावतार)
मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।
पूर्ण 24 क्रम
- आदि पुरुष
- चार सनत्कुमार
- वराह
- नारद
- नर-नारायण
- कपिल
- दत्तात्रेय
- याज्ञ
- ऋषभ
- पृथु
- मत्स्य
- कूर्म
- धन्वंतरि
- मोहिनी
- नृसिंह
- हयग्रीव
- वामन
- परशुराम
- व्यास
- राम
- बलराम
- कृष्ण
- बुद्ध
- कल्कि
10. वैष्णव संप्रदाय और उपसंप्रदाय
- मुख्य: वैष्णव
- उपसंप्रदाय: बैरागी, दास, रामानंदी, वल्लभ, निम्बार्क, माध्व, राधावल्लभ, सखी, गौड़ीय इत्यादि।
- मूल परंपरा वेदों के आदित्य देवता की आराधना से संबंधित है।
11. वैष्णव ग्रंथ
- वेद: ऋग्वेद
- आरण्यक और ब्राह्मण ग्रंथ: शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय ब्राह्मण
- महाकाव्य: महाभारत, रामायण
- पुराण: विष्णु पुराण, भागवत पुराण
- तंत्र और संहिताएँ: ईश्वर संहिता, पाद्मतंत्र, विष्णु संहिता
12. प्रमुख वैष्णव तीर्थ
- बद्रीनाथ
- मथुरा
- अयोध्या
- तिरुपति बालाजी
- श्रीनाथजी (नाथद्वारा)
- द्वारकाधीश
13. वैष्णव संस्कार और आचार
- मंदिरों में विष्णु, राम, कृष्ण की मूर्तियों की स्थापना।
- एकेश्वरवाद में लचीलापन, परंतु विष्णु की प्रधान आराधना।
- संन्यासियों का सिर मुंडा, चोटी युक्त।
- दशकर्म और उपनयन में चोटी का पालन।
- दिन में अनुष्ठान संपन्न करना।
- सात्त्विक मंत्रों का प्रयोग।
- जनेऊ धारण, पीताम्बरी वस्त्र, कमंडल, दंड का उपयोग।
- सूर्य-आधारित व्रत-उपवास।
- दाह संस्कार की परंपरा।
- माथे पर उर्ध्व-पुण्ड्र (चंदन का खड़ा तिलक)।
14. वैष्णव साधु-संत
- उपाधियाँ: आचार्य, संत, स्वामी, प्रभुपाद, महाराज इत्यादि।
- लक्ष्य: भक्ति-भाव से भगवान विष्णु के नाम और गुणों का प्रचार।
।। श्री विष्णवे नमः ।।