रामनाथस्वामी मंदिर रामेश्वरम – Rameshwaram Jyotirlinga Ki Kahani, Mahatva Aur Itihas
मैं इस पोस्ट में रामनाथस्वामी मंदिर – रामेश्वरम की जानकारी और कथा को व्यवस्थित, क्रमबद्ध एवं विस्तारपूर्वक प्रस्तुत करता हूँ :-
🛕 रामनाथस्वामी मंदिर – रामेश्वरम (तमिलनाडु) 🛕
📍 स्थान एवं भौगोलिक विवरण
- स्थान: रामेश्वरम, तमिलनाडु (भारत)
- ऊँचाई: समुद्र तल से लगभग 33 फीट
- निकटतम रेलवे स्टेशन: रामेश्वरम (2 किमी)
- भौगोलिक विशेषता: यह एक शंखाकार द्वीप पर स्थित है, जो हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ है।
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रामनाथस्वामी मंदिर रामेश्वरम – Rameshwaram Jyotirlinga Ki Kahani, Mahatva Aur Itihas |
✨ मंदिर की विशेषताएँ
- भगवान शिव को समर्पित – यह मंदिर शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- चार धाम में शामिल – बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी के साथ यह भी हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है।
- ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्त्व – माना जाता है कि यहीं पर भगवान श्रीराम ने लंका अभियान से पहले भगवान शिव की पूजा कर शिवलिंग की स्थापना की थी।
- 120 फीट ऊँचा मुख्य मंदिर – वास्तुकला का अद्भुत नमूना।
- जटा तीर्थ – यहीं श्रीराम ने लंका विजय के बाद अपने केश धोए थे।
- नवग्रह स्थापना – श्रीराम ने यहाँ नवग्रहों की स्थापना की थी।
- सेतुबंध का प्रारंभिक स्थल – यहीं से रामसेतु (आदम ब्रिज) का निर्माण प्रारंभ हुआ।
- महिषासुर वध का स्थल – पौराणिक मान्यता है कि यहीं देवी ने महिषासुर का वध किया।
- धनुष्कोटि (30 किमी दूर) – जहाँ अरब सागर और हिंद महासागर का संगम होता है, पितृकर्म हेतु प्रसिद्ध तीर्थ।
- 24 मीठे जल के कुएँ – माना जाता है कि इनका निर्माण भगवान राम ने अपने बाण से किया।
- मोक्षदायी स्थल – यहाँ गंगाजल अर्पित करने वाला भक्त जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
📜 रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग स्थापना की पौराणिक कथा
(स्कंदपुराण के अनुसार)
1️⃣ समस्या का आरंभ
- जब भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान एवं वानर सेना के साथ समुद्र तट पर पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि लंका समुद्र के उस पार है।
- यह दूरी पार करना बड़ी चुनौती थी, क्योंकि उन्हें माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराना था।
2️⃣ पूजा का विस्मरण और स्मरण
- भगवान राम प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करते थे।
- लेकिन इस दिन समस्या में उलझे होने के कारण पूजा रह गई।
- जब उन्हें प्यास लगी और जल ग्रहण करने वाले थे, तभी उन्हें ध्यान आया कि आज उन्होंने शिव जी की पूजा नहीं की।
3️⃣ शिवलिंग की स्थापना
- उसी स्थान पर भगवान राम ने मिट्टी एवं रेत से एक पार्थिव शिवलिंग बनाया।
- श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजन-अर्चन किया।
- फिर भगवान शिव से प्रार्थना की:
"हे प्रभु! मैं विपत्ति में हूँ, मेरी समस्या का समाधान कीजिये। लंका समुद्र के उस पार है, इसे पार करने का मार्ग बताइये। रावण आपका भक्त है और आपके वरदान से शक्तिशाली है, कृपया मेरे विजय की व्यवस्था करें।"
4️⃣ भगवान शिव का आशीर्वाद
- भगवान शिव प्रकट हुए और बोले:
"राम! तुम मेरे परमप्रिय भक्त हो। तुम्हारी विजय निश्चित है। मांगो, तुम्हें जो वर चाहिए।"
- श्रीराम ने कहा:
"हे प्रभु! मेरी लंका विजय सुनिश्चित हो और आप यहाँ सदा के लिए भक्तों के कल्याण हेतु विराजमान रहें।"
- भगवान शिव ने यह वरदान स्वीकार किया और उसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग रूप में विराजमान हो गए।
🌊 आध्यात्मिक महत्त्व
- रामेश्वरम तीर्थ न केवल शैव भक्तों के लिए, बल्कि वैष्णव परंपरा में भी उतना ही पूजनीय है।
- यहाँ आने वाला हर तीर्थयात्री 24 पवित्र कुंडों का जल स्नान, गंगाजल अर्पण और ज्योतिर्लिंग दर्शन कर स्वयं को धन्य मानता है।
- यह स्थल रामायण की ऐतिहासिक घटनाओं का सजीव साक्षी है।