Sarpitru Amavasya: Pitr Paksh Ke Antim Din Ke 5 Shubh Karm Aur Pitr Dosh Mukti Upay
यहाँ प्रस्तुत पोस्ट में सर्वपितृ अमावस्या के विषय को मैंने व्यवस्थित, स्पष्ट और विस्तारपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया है, ताकि पाठक को न केवल जानकारी मिले, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व और व्यवहारिक विधि भी समझ में आए।
सर्वपितृ अमावस्या: पितृ तृप्ति और सर्वबाधा मुक्ति का पावन अवसर
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Sarpitru Amavasya: Pitr Paksh Ke Antim Din Ke 5 Shubh Karm Aur Pitr Dosh Mukti Upay |
🔱 सर्वपितृ अमावस्या पर किए जाने वाले पाँच मुख्य कार्य
1️⃣ पंचबलि कर्म – सभी जीवों को अन्न अर्पण
पंचबलि का अर्थ है पाँच प्रकार के जीवों को अन्न अर्पित करना:
- गोबलि – गाय को
- श्वानबलि – कुत्ते को
- काकबलि – कौवे को
- पिप्लादिबलि – चींटी को
- देवबलि – देवताओं को
🕉 विशेष महत्व –
- अन्न अर्पण करते समय प्रत्येक के लिए विशेष मंत्र बोलना चाहिए।
- अंत में ब्राह्मण, भांजे, जमाई, मामा, नाती को भोजन कराना शुभ होता है।
- पौराणिक मान्यता है कि पीपल, बरगद, बेल, कौआ, हंस, गरुड़, कुत्ता, गाय, हाथी, ब्राह्मण, भांजा, जमाई, बेटी, मछली, कछुआ और नाग – इन 16 को तृप्त करने से पितृ और देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
2️⃣ तर्पण और पिंडदान – पितृ तृप्ति का मुख्य विधान
विधि:
- चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद मिलाकर पिंड बनाएँ।
- पितरों को अर्पित करने के बाद जल में प्रवाहित करें।
- तर्पण के लिए काले तिल, जौ, कुशा और सफेद फूल जल में डालकर अर्पण करें।
🕉 महत्व – यह क्रिया पितरों को भोजन अर्पण के समान है, जिससे वे तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
3️⃣ दिव्य पितरों की पूजा – चार दिव्य गणों का सम्मान
- काव्यवाडनल, सोम, अर्यमा, यम – ये चार दिव्य पितरों के प्रमुख गण हैं।
- अर्यमा – पितरों के प्रधान
- यमराज – न्यायाधीश
🕉 विधि:
- इन चारों की चित्र या प्रतीक के रूप में स्थापना करें।
- धूप, दीप, पुष्प, जल और नैवेद्य अर्पण करें।
- पितृगायत्री मंत्र या “ॐ पितृभ्यः स्वधा” का जप करें।
4️⃣ प्रायश्चित कर्म – पापों के शमन हेतु
शास्त्रों में इस दिन निम्न प्रायश्चित कर्मों का विधान है:
- और्ध्वदैहिक संस्कार
- पिंडदान
- तर्पण
- श्राद्ध
- एकादशाह
- सपिण्डीकरण
- अशौचादि निर्णय
- कर्म विपाक शांति
🕉 महत्व – योग्य ब्राह्मण से विधिवत करवाने पर सभी प्रकार के पितृदोष, पाप और अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं।
5️⃣ श्रीमद्भगवद्गीता और गरुड़ पुराण का पाठ – आत्मिक कल्याण हेतु
- गीता में जीवन, मृत्यु और मृत्यु के बाद की अवस्था का विस्तृत वर्णन है।
- इस दिन गीता के विशेष अध्याय (विशेषकर 2, 8 और 15वां अध्याय) या संपूर्ण गीता पाठ करना शुभ है।
- साथ ही, गरुड़ पुराण के कुछ अध्यायों का पाठ करके पितरों की आत्मा की शांति हेतु संकल्प लें।
🌼 सारांश
सर्वपितृ अमावस्या केवल पितृ तर्पण का दिन नहीं, बल्कि यह दिन समस्त जीवों, देवताओं और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का है। पंचबलि, तर्पण, पिंडदान, दिव्य पितरों की पूजा, प्रायश्चित और पवित्र ग्रंथों का पाठ – इन पाँच कर्मों से न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि सर्वबाधा मुक्ति, पितृदोष निवारण और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है।