विश्वकर्मा पूजा 2025: Vishwakarma Jayanti Date, Puja Vidhi, Aarti और महत्व

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

विश्वकर्मा पूजा 2025: Vishwakarma Jayanti Date, Puja Vidhi, Aarti और महत्व

विश्वकर्मा पूजा 2025 (Vishwakarma Jayanti 2025) बुधवार, 17 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव के कन्या राशि में प्रवेश (कन्या संक्रांति) के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व होता है। भगवान विश्वकर्मा को देवशिल्पी और प्रथम इंजीनियर कहा जाता है, जिन्होंने स्वर्ण लंका, द्वारका, इन्द्रप्रस्थ और हस्तिनापुर जैसी अद्भुत नगरी बनाई तथा सुदर्शन चक्र, त्रिशूल, पुष्पक विमान जैसे अस्त्र-शस्त्र का निर्माण किया। इस दिन औजारों, मशीनों, गाड़ियों, कंप्यूटर और दुकानों की विशेष पूजा की जाती है। पूजा विधि के अंतर्गत घर और कार्यस्थल की सफाई, भगवान विष्णु और विश्वकर्मा की आराधना, कलश स्थापना और आरती का विधान है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से व्यापार-उद्योग में प्रगति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जानिए यहाँ विश्वकर्मा पूजा 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और आरती।

विश्वकर्मा पूजा 2025: Vishwakarma Jayanti Date, Puja Vidhi, Aarti और महत्व
विश्वकर्मा पूजा 2025: Vishwakarma Jayanti Date, Puja Vidhi, Aarti और महत्व



विश्वकर्मा पूजा 2025: तिथि, विधि, आरती और महत्व

✨ प्रस्तावना

हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को शिल्प, निर्माण, इंजीनियरिंग और वास्तुशास्त्र का देवता माना गया है। उन्हें देवताओं का वास्तुकार और प्रथम इंजीनियर कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ण लंका, द्वारका नगरी, इन्द्रप्रस्थ, हस्तिनापुर जैसे अद्भुत नगरों का निर्माण किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने सुदर्शन चक्र, त्रिशूल, वज्र और पुष्पक विमान जैसे अद्भुत अस्त्र-शस्त्र भी बनाए।
हर वर्ष उनकी जयंती को विश्वकर्मा पूजा, विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है।


📅 विश्वकर्मा पूजा 2025 की तिथि

  • तिथि: बुधवार, 17 सितंबर 2025
  • संक्रांति समय: रात 01:55 बजे (सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश)
  • विशेष पर्व: इस दिन कन्या संक्रांति और इंदिरा एकादशी भी रहेगी।

🕖 विश्वकर्मा पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: 04:33 AM – 05:20 AM
  • विजय मुहूर्त: 12:18 PM – 03:07 PM
  • गोधूलि मुहूर्त: 06:24 PM – 06:47 PM
  • राहु काल (अशुभ समय): 12:15 PM – 01:47 PM (इस समय पूजा न करें)

🙏 कौन हैं भगवान विश्वकर्मा?

  • ब्रह्मा जी के सातवें धर्मपुत्र।
  • देवताओं के वास्तुकार और शिल्पशास्त्र के अधिष्ठाता।
  • प्रसिद्ध निर्माण: स्वर्ण लंका, द्वारका, इन्द्रप्रस्थ, हस्तिनापुर
  • प्रसिद्ध मूर्तियाँ: पुरी जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियाँ
  • प्रसिद्ध अस्त्र-शस्त्र: त्रिशूल, सुदर्शन चक्र, कालदंड, पुष्पक विमान, कर्ण के कुंडल, इन्द्र का वज्र

🌟 विश्वकर्मा पूजा का महत्व

  • भगवान विश्वकर्मा को ‘देव बढ़ई’ (विष्णु पुराण) और ‘मशीनों का देवता’ कहा गया है।
  • यह दिन विशेष रूप से इंजीनियरों, आर्किटेक्ट्स, शिल्पकारों, मजदूरों, कारीगरों और मशीनों से जुड़े लोगों के लिए खास महत्व रखता है।
  • मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से:
    • व्यापार और उद्योग में उन्नति होती है।
    • मशीनें और औजार खराब नहीं होते।
    • घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

🌼 कैसे मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती?

  • घरों, दुकानों, दफ्तरों और कारखानों की सफाई व सजावट।
  • भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजा।
  • गाड़ियों, औजारों, मशीनों, कंप्यूटर आदि की विशेष पूजा।
  • आरती और भजन के बाद प्रसाद वितरण।

🌼 विश्वकर्मा पूजा सामग्री सूची (Vishwakarma Puja Samagri List)

  1. भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र
  2. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  3. पवित्र जल (गंगाजल/कुम्भजल)
  4. कलश (तांबे या मिट्टी का)
  5. सुपारी (कलाई बंधन व कलश के लिए)
  6. रोली/कुमकुम/अक्षत (चावल)
  7. हल्दी, चंदन, केसर
  8. सिंदूर और मौली (लाल धागा)
  9. सात प्रकार के अनाज (गेहूँ, चावल, मूंग, उड़द, जौ, तिल, मसूर)
  10. सात प्रकार की मिट्टी (विभिन्न तीर्थस्थलों/स्थान की)
  11. आठ पंखुड़ियों वाला कमल (अष्टदल चित्रित/बनाया हुआ)
  12. पुष्प और माला (गेंदा, कमल, तुलसी आदि)
  13. धूप, दीपक, कपूर, अगरबत्ती
  14. घी का दीपक और रुई की बाती
  15. नैवेद्य / प्रसाद (पकवान, मिठाई, फल, नारियल)
  16. पान, इलायची, लौंग, सुपारी
  17. दक्षिणा (सिक्के या मुद्रा)
  18. औजार, मशीनें और वाहन (जिन्हें सजाकर पूजा करनी है)
  19. आरती की थाली
  20. शंख और घंटी

🕉 विशेष बातें

  • जिनकी दुकान, फैक्ट्री, ऑफिस या वर्कशॉप है, वहाँ मशीनों और औजारों को धोकर साफ करें और हल्दी-रोली से तिलक लगाएँ।
  • पूजा के बाद सभी औजारों पर पुष्प, अक्षत और प्रसाद अर्पित करना अनिवार्य है।
  • प्रसाद में मीठा पकवान (लड्डू, मालपुआ या खीर) विशेष रूप से चढ़ाया जाता है।

🕉 विश्वकर्मा पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर औजारों, गाड़ियों और मशीनों को साफ करें।
  2. घर के मंदिर में विष्णु भगवान का ध्यान कर पुष्प अर्पित करें।
  3. एक कमंडल में जल भरकर उसमें पुष्प डालें।
  4. भूमि पर आठ पंखुड़ियों वाला कमल बनाकर सात प्रकार के अनाज रखें।
  5. वरुण देव का ध्यान कर जल का छिड़काव करें।
  6. सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी और दक्षिणा कलश में रखकर ढक दें।
  7. भगवान विश्वकर्मा को पुष्प अर्पित कर दीप, धूप और नैवेद्य चढ़ाएं।
  8. अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें।

🌺 विश्वकर्मा आरती

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥

रोगग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकटमोचन बनकर, दूर दुख कीना ॥


📌 निष्कर्ष

विश्वकर्मा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि श्रम, तकनीक और निर्माण कला का उत्सव है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सभ्यता का विकास औजारों, ज्ञान और श्रम से ही संभव है। 2025 में यह पर्व 17 सितंबर बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन अपने औजारों और मशीनों की पूजा अवश्य करें और भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करें।



Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!