Ram Naam Mahima: The Power of Shri Ram's Name in Hindi

Sooraj Krishna Shastri
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राम नाम की शक्ति: Why 'Ram' is the Biggest Raksha Kavach (रक्षा कवच) |

श्रीरामनाम का महात्म्य: भक्ति, पोषण और प्रकाश का प्रतीक

​गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की ये चौपाइयाँ (संभवतः दोहा 23) श्रीराम के नाम और उसके अक्षरों के अद्वितीय महात्म्य को गहराई से प्रकट करती हैं। ये पंक्तियाँ नाम की महत्ता को केवल एक शब्द तक सीमित नहीं रखतीं, बल्कि इसे एक जीवित, कल्याणकारी और सर्व-पोषक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करती हैं।

​नाम की दिव्य उपमाएँ

​चौपाइयों का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि तुलसीदासजी ने श्रीराम नाम के दोनों अक्षरों ('रा' और 'म') को दिव्य उपमाओं से विभूषित किया है:

Ram Naam Mahima: The Power of Shri Ram's Name in Hindi
Ram Naam Mahima: The Power of Shri Ram's Name in Hindi
  • नर नारायन सरिस सुभ्राता (नर-नारायण के समान सुंदर भाई):
    • ​यह उपमा नाम के दो अक्षरों को नर (मानव) और नारायण (ईश्वर) के समान बताती है। इसका अर्थ है कि ये अक्षर आपस में भाई के समान घनिष्ठ और सुंदर हैं।
    • नर-नारायण स्वयं तपस्या और धर्म के प्रतीक हैं। इस तुलना से नाम के अक्षरों की दिव्यता, प्राचीनता और धर्मपरायणता सिद्ध होती है। यह भी संकेत मिलता है कि नाम के जप से भक्त को नर-नारायण के समान सद्गुण प्राप्त होते हैं।
  • जग पालक बिसेषि जन त्राता (जगत् का पालन करनेवाले और विशेष रूप से भक्तों की रक्षा करनेवाले):
    • ​यह नाम के कल्याणकारी स्वरूप को दर्शाता है। नाम केवल जप करने का विषय नहीं है, बल्कि यह संसार का पोषण करने वाला है।
    • ​विशेषकर, यह भक्तों की रक्षा (जन त्राता) करने वाला है, जो नाम-स्मरण की शक्ति और भक्तवत्सलता को स्थापित करता है। नाम स्वयं ही संरक्षक और पालक बन जाता है।

​भक्ति का आभूषण और जगत का हितैषी

​अंतिम दो पंक्तियाँ नाम के भावनात्मक और लोकोपकारी मूल्यों पर प्रकाश डालती हैं:

  • भगति सुतिय कल करन बिभूषन (भक्ति रूपिणी सुंदर स्त्री के कानों के सुंदर आभूषण):
    • ​यहां भक्ति को एक सुंदर स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है। श्रीराम का नाम उस भक्ति रूपी स्त्री के लिए कानों का सुंदर आभूषण (कर्णफूल) है।
    • ​इसका तात्पर्य है कि नाम-जप ही भक्ति का सबसे आवश्यक और शोभायमान तत्त्व है। नाम के बिना भक्ति अधूरी है, जैसे आभूषण के बिना स्त्री की शोभा। नाम ही भक्ति को पूर्णता और सौंदर्य प्रदान करता है।
  • जग हित हेतु बिमल बिधु पूषन (जगत् के हित के लिए निर्मल चंद्रमा और सूर्य):
    • ​यह उपमा नाम की चिरस्थायी उपयोगिता को व्यक्त करती है। श्रीराम का नाम जगत के कल्याण (जग हित हेतु) के लिए क्रमशः निर्मल चंद्रमा (बिधु) और सूर्य (पूषन) के समान है।
    • सूर्य अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।
    • चंद्रमा शांति और शीतलता प्रदान करता है।
    • ​इस प्रकार, नाम जप से ज्ञान और शांति दोनों की प्राप्ति होती है, जो जगत के परम हित के लिए आवश्यक है।

​निष्कर्ष

​ये चौपाइयाँ स्पष्ट करती हैं कि श्रीराम का नाम केवल दो अक्षरों का समूह नहीं है, बल्कि यह दिव्यता (नर-नारायण), पालन-पोषण (जग पालक), सुरक्षा (जन त्राता), भक्ति का सार (कर्णफूल), और ज्ञान-शांति का प्रकाश (सूर्य-चंद्रमा) है। तुलसीदासजी इन उपमाओं के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि नाम-स्मरण जीवन के हर क्षेत्र में कल्याण, सौंदर्य और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

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