चित्रगुप्त पूजन विधि का यह संपूर्ण और शास्त्रीय विवरण श्री चित्रगुप्त जी महाराज की पूजा, मंत्र, ध्यान, आवाहन, षोडशोपचार पूजन, दवात-लेखनी पूजन, लेखन विधान एवं श्री चित्रगुप्त जी की आरती को विस्तार से प्रस्तुत करता है। इस विशेष पर्व पर कलश स्थापना, वरुण पूजन, गणेश-अम्बिका पूजन, नवग्रह आवाहन तथा आय-व्यय लेखन का धार्मिक महत्व बताया गया है। मान्यता है कि विधिपूर्वक चित्रगुप्त पूजन करने से कर्मों की शुद्धि होती है, न्याय, बुद्धि, विद्या, धन-धान्य एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह पूजा विशेष रूप से कायस्थ समाज के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है, किंतु सभी भक्त इसे श्रद्धा से कर सकते हैं। लेखन विधि में स्वस्तिक निर्माण, देवी-देवताओं के नाम लेखन, आय-व्यय विवरण और आगामी वर्ष हेतु निवेदन का विधान अत्यंत फलदायी माना गया है। साथ ही दान-दक्षिणा के शास्त्रीय महत्व को भी स्पष्ट किया गया है। यह लेख चित्रगुप्त पूजा की सम्पूर्ण जानकारी सरल, क्रमबद्ध और प्रामाणिक रूप में प्रदान करता है।
Chitragupta Puja Vidhi Hindi | चित्रगुप्त पूजा विधि, मंत्र, आरती एवं लेखन विधान
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| Chitragupta Puja Vidhi Hindi | चित्रगुप्त पूजा विधि, मंत्र, आरती एवं लेखन विधान |
चित्रगुप्त पूजन विधि
पूजन का प्रारम्भिक विधान
पूजन एवं हवन सामग्री
धूप, दीप, चन्दन, लाल फूल, हल्दी, रोली, अक्षत, दही, दूब, गंगाजल, घी, कपूर, कलम, दवात, कागज, पान, सुपारी, गुड़, पांच फल, पांच मिठाई, पांच मेवा, लाई, चूड़ा, धान का लावा, हवन सामग्री एवं हवन के लिए लकड़ी आदि।
पवित्रिकरण
सामग्री पर पवित्र जल छिड़कते हुए प्रभु का स्मरण करें।
प्रारम्भिक स्तुति
गणेश जी ध्यान
ॐ गणना त्वां गणपति हवामहे, प्रियाणां त्वां प्रियेपत्र हवामहे निधीनां त्वां निधिपते हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधामा त्वमजासि गर्भधम
देवताओं का आवाहन
ॐ गणपत्यादि पंचदेवा नवग्रहाः इन्द्रादि दिग्पाला दुर्गादि महादेव्यः इहा गच्छत स्वकीयाम् पूजां ग्रहीत भगवतः चित्रगुप्त देवस्य पूजमं विघ्नरहित कुरूत
ध्यान
तच्छरी रान्महाबाहुः श्याम कमल लोचनः कम्वु ग्रीवोगूढ शिरः पूर्ण चन्द्र निभाननः
आवाहन
हे! चित्रगुप्त जी मैं आपका आवाहन करता हूँ
ॐ भगवन्तं श्री चित्रगुप्त आवाहयामि स्थापयामि
षोडशोपचार पूजन
आसन
पाद्य
आचमन
स्नान
वस्त्र
पुष्प
धूप
दीप
नैवेद्य
ताम्बूल-दक्षिणा
दवात-लेखनी मंत्र
लेखन विधान
इस कागज और अपनी कलम को हल्दी रोली अक्षत और मिठाई अर्पित कर पूजन करें।
जप मंत्र (कम से कम ११ बार)
श्री चित्रगुप्त जी की आरती 1
5. भगवान चित्रगुप्त की आरती 2
(Chitragupta Aarti)
ॐ जय चित्रगुप्त देवा, स्वामी जय चित्रगुप्त देवा।
भक्त जनों के स्वामी, तुम ही हो रखवाला॥
(ॐ जय चित्रगुप्त देवा...)
ब्रह्मा जी की काया से, तुम जग में आये।
कायस्थ कुल के स्वामी, तुम ही कहलाये॥
(ॐ जय चित्रगुप्त देवा...)
हाथ में लेखनी अनुपम, मसिभाजन सोहे।
ब्रह्मांड के सब प्राणी, देख तुम्हें मोहे॥
(ॐ जय चित्रगुप्त देवा...)
पाप-पुण्य का लेखा, तुम ही रखते हो।
न्याय धर्म के पालक, तुम ही जपते हो॥
(ॐ जय चित्रगुप्त देवा...)
जो जन तुमको ध्याते, सब सुख वो पाते।
अंत समय में निशदिन, बैकुंठ को जाते॥
(ॐ जय चित्रगुप्त देवा...)
चित्रगुप्त जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
दक्षिणा का विधान
आरती सम्पन्न हो जाने के बाद दक्षिणा दें।
दान-दक्षिणा देने से पुण्य की भी प्राप्ति होती है और मनुष्य के सारे पाप कट जाते हैं।
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