शीर्षक: "विश्वास और समर्पण: एक मादा हिरनी की कथा"
एक बार की बात है। एक घना और विस्तीर्ण जंगल था, जहाँ जीवन अपने प्राकृतिक लय में गतिशील था। उसी जंगल में एक गर्भवती मादा हिरनी थी, जो प्रसव के निकट थी। प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार, वह एक शांत, सुरक्षित और एकांत स्थान की खोज में भटक रही थी जहाँ वह अपने शावक को जन्म दे सके।
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| विश्वास और समर्पण: एक मादा हिरनी की कथा |
🌿 एकांत की खोज और संकट का आगमन
चलते-चलते उसे एक नदी के किनारे ऊँची, घनी, और सुरक्षित घास दिखाई दी। वातावरण में एक अजीब-सी बेचैनी थी। बादल उमड़-घुमड़ कर गरज रहे थे, बिजली कड़क रही थी और वर्षा जैसे कभी भी फूट पड़ने को तैयार थी।
जैसे ही मादा हिरनी उस स्थान पर पहुँची, उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। किंतु उसकी परीक्षा अभी पूरी नहीं हुई थी।
- उसने दायीं ओर देखा, वहाँ झाड़ियों के पीछे एक शिकारी अपने तीर को कमान पर चढ़ाए निशाना साध रहा था – लक्ष्य था वही मादा हिरनी।
- बायीं ओर एक भूखा शेर झाड़ियों में छिपकर उस पर झपटने की प्रतीक्षा कर रहा था।
- सामने की सूखी घास अब जलने लगी थी। जंगल में आग फैलने लगी थी।
- और पीछे बहती नदी अब उफान पर थी – वह मार्ग भी अवरुद्ध था।
अब हिरनी चारों दिशाओं से संकटों से घिरी थी। एक क्षण को लगा कि उसका अंत निश्चित है।
🌸 निर्णय का क्षण: समर्पण और उत्तरदायित्व
मादा हिरनी एक गहरी अंतर्दृष्टि और आत्मविश्वास से भर उठी। उसने चारों दिशाओं के संकटों की ओर देखना छोड़ दिया। उस समय उसने कोई रणनीति नहीं बनाई, कोई मार्ग नहीं खोजा। उसने अपने को पूर्णतः समय और नियति के हाथ सौंप दिया और केवल एक ही कार्य पर ध्यान केंद्रित किया – अपने शावक को जन्म देना।
⚡ कुदरत का करिश्मा
उसी क्षण, प्रकृति ने अपने चमत्कारिक रूप का प्रदर्शन किया—
- बिजली ज़ोर से कड़की और उसकी चमक से शिकारी की आंखें चौंधिया गईं, तीर गलत दिशा में चला गया।
- तीर सीधे शेर की आँख में जा लगा, जिससे वह घायल हो गया और दहाड़ते हुए उल्टी दिशा में भाग खड़ा हुआ।
- शिकारी, शेर को घायल देखकर भयभीत हो गया और जान बचाकर भाग गया।
- उसी समय, घनघोर वर्षा होने लगी और जंगल की आग भीगकर बुझ गई।
- और अंततः — मादा हिरनी ने एक स्वस्थ शावक को जन्म दिया।
🕉️ जीवन का संदेश
इस अद्भुत घटना से एक गहन जीवन-दर्शन प्रकट होता है। जब जीवन में संकट चारों ओर से हमें घेर लेते हैं –
- जब निर्णय लेना कठिन हो जाता है,
- जब परिस्थितियाँ हमें कुचलने को आतुर प्रतीत होती हैं,
- जब भविष्य अनिश्चित हो और हम विवश हों...
तब हमें केवल अपने उत्तरदायित्व और वर्तमान कर्तव्य पर केंद्रित रहना चाहिए।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि:
"हमारा कर्तव्य है कर्म करना — फल का विधान तो ईश्वर के हाथ में है।"
मादा हिरनी ने मृत्यु की आशंका से भयभीत होकर भागने का प्रयास नहीं किया। उसने निर्णय लिया कि यदि यह जीवन का अंतिम क्षण भी है, तो वह इसे अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए बिताएगी। और तभी, प्रकृति ने उसका साथ दिया।
✨ नैतिक बोध:
यह कथा हमें सिखाती है कि—
- संकट के क्षणों में धैर्य और आत्म-विश्वास बनाए रखना चाहिए।
- हर परिस्थिति में हमें अपने कर्म पर केंद्रित रहना चाहिए।
- जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है – ईश्वर पर विश्वास और अपने कर्तव्य से विमुख न होना।
अंत में यही कहा जा सकता है:
🌸 "जब मनुष्य का विश्वास डगमगाता नहीं, तब ईश्वर की कृपा डगमगाती नहीं।"🌿 "जिन्हें अपने कर्तव्य पर अडिग रहने की कला आती है, उनके लिए स्वयं ब्रह्मांड भी राह बनाता है।"

