संस्कृत श्लोक "न शापो नाभिचरणं न वह्निर्न विषं तथा" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "न शापो नाभिचरणं न वह्निर्न विषं तथा" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

🙏 जय श्रीराम 🙏
🌹 सुप्रभातम् 🌹
 प्रस्तुत श्लोक अत्यंत गूढ़, नीति-संप्रेरक और जीवनोपयोगी है। आइए इसका विस्तृत विश्लेषण करें:


🔹 मूल संस्कृत श्लोकः

न शापो नाभिचरणं न वह्निर्न विषं तथा ।
नास्त्राणि न च शस्त्राणि यथा तीक्ष्णतमा क्षमा ॥


🔸 English Transliteration

na śāpo nābhicaraṇaṁ na vahnirna viṣaṁ tathā ।
nāstrāṇi na ca śastrāṇi yathā tīkṣṇatamā kṣamā ॥


🔹 हिन्दी अनुवाद

न शाप, न अभिचार (काला जादू), न अग्नि, न विष, न अस्त्र और न ही शस्त्र — इनमें से कोई भी क्षमा के समान तीक्ष्ण और प्रभावशाली नहीं है।

संस्कृत श्लोक "न शापो नाभिचरणं न वह्निर्न विषं तथा" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "न शापो नाभिचरणं न वह्निर्न विषं तथा" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 



🔸 शब्दार्थ एवं व्याकरणात्मक विश्लेषण

पद प्रकार अर्थ
अव्यय नहीं
शापः पुं. लिंग, प्रथमा एकवचन श्राप
अभिचरणम् नपुंसक लिंग, प्रथमा एकवचन काला जादू, अनिष्ट क्रिया
वह्निः पुं. लिंग, प्रथमा एकवचन अग्नि
विषम् नपुंसक लिंग, प्रथमा एकवचन ज़हर
अस्त्राणि नपुंसक लिंग, बहुवचन शस्त्र जिनका प्रयोग दूर से हो
शस्त्राणि नपुंसक लिंग, बहुवचन हाथ में पकड़े जाने वाले शस्त्र
यथा अव्यय जैसे
तीक्ष्णतमाः विशेषण, पुल्लिंग, प्रथमा एकवचन सबसे तीक्ष्ण
क्षमा स्त्रीलिंग, प्रथमा एकवचन क्षमाशीलता, forgiveness

🔹 "तीक्ष्णतमाः" = तीक्ष्ण + तम (तीव्रता का उत्कृष्टतम रूप)


🔸 भावार्थ

इस नीति श्लोक में क्षमा की महानता को उजागर किया गया है। संसार में अनेक प्रकार की घातक शक्तियाँ हैं— जैसे श्राप, जादू-टोना, अग्नि, विष, अस्त्र-शस्त्र — ये सभी बाह्य हानि पहुँचा सकते हैं। किंतु क्षमा एक ऐसी शक्ति है जो आंतरिक और बाह्य दोनों रूपों में सबसे तीक्ष्ण (प्रभावशाली और प्रभावोत्पादक) होती है। क्षमा करने वाला व्यक्ति महान होता है, और क्षमा प्राप्त कर लेने वाला भी अनुगृहीत होता है।


🔹 आधुनिक सन्दर्भ

आज के समय में जहाँ प्रतिशोध की भावना, ईगो, क्रोध और अहंकार समाज में व्याप्त हैं, वहाँ क्षमा एक शक्तिशाली उत्तर है।

  • सोशल मीडिया ट्रोलिंग हो या व्यक्तिगत जीवन में किसी की गलती — क्षमा हमें न केवल मानसिक शांति देती है बल्कि समाज में नैतिक नेतृत्व भी प्रदान करती है।
  • नेल्सन मंडेला जैसे महापुरुषों ने क्षमा के बल पर ही अपने शत्रुओं को मित्र बना लिया।
  • क्षमा कोई कमजोरी नहीं, बल्कि अत्यधिक आत्मबल की पहचान है।

🗣️ संवादात्मक नीति कथा:

शीर्षक: "राजा की क्षमा और योद्धा का पराजय"

राजा विक्रमसेन अपने समय के महान योद्धा थे। एक बार उनके राज्य के एक सेनापति ने गुप्त रूप से विद्रोह कर दिया और युद्ध के लिए सेना इकट्ठा कर ली। लेकिन युद्ध से पहले ही राजा को यह समाचार मिल गया। उन्होंने अपनी सेना के साथ विद्रोही को घेर लिया।

जब विद्रोही सेनापति को बंदी बनाकर दरबार में लाया गया, तो सभी मंत्रियों और जनता ने दण्ड की माँग की — "राजद्रोह की यही सजा है — मृत्यु!"

किन्तु राजा विक्रमसेन ने मुस्कराते हुए कहा —
"मैं इसे क्षमा करता हूँ। क्योंकि मैं चाहता हूँ कि यह देखे कि क्षमा भी एक शस्त्र है – वह जो हृदय को बेधता है, देह को नहीं!"

सेनापति भाव-विह्वल हो गया, उसने पुनः राजा की सेवा करने की प्रतिज्ञा की और जीवन भर राजा का समर्पित सहायक बना रहा।

नैतिक शिक्षा:

क्षमा शत्रु को मित्र बना सकती है। क्षमा उस शक्ति का नाम है जो अन्य सभी अस्त्रों से अधिक प्रभावशाली होती है।


🌟 निष्कर्ष

  • क्षमा केवल धार्मिक गुण नहीं, यह मानवीय उत्कृष्टता की चरम सीमा है।
  • यह क्रोध, द्वेष, घृणा को शांत करती है और समाज को सह-अस्तित्व की ओर ले जाती है।
  • क्षमा की शक्ति जितनी आंतरिक है, उतनी ही बाह्य परिणाम देने वाली भी।

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