अत्यासन्नः विनाशाय — Sanskrit Niti Shloka Meaning in Hindi | Raja, Agni, Guru aur Stri ke Saath Madhyam Marg
यह संस्कृत नीति श्लोक — “अत्यासन्नः विनाशाय दूरस्था न फलप्रदाः। सेव्या मध्यमभावेन राजावह्निर्गुरुः स्त्रियः॥” — जीवन के…
यह संस्कृत नीति श्लोक — “अत्यासन्नः विनाशाय दूरस्था न फलप्रदाः। सेव्या मध्यमभावेन राजावह्निर्गुरुः स्त्रियः॥” — जीवन के…
यह संस्कृत श्लोक — “अनन्तकार्यं लघुजीवनञ्च...” — हमें जीवन की वास्तविक प्राथमिकताओं की याद दिलाता है। मानव जीवन अत्यंत …
नियमित व्यायाम से स्वास्थ्य, दीर्घायु, बल और सुख प्राप्त होता है। जानिए इस संस्कृत श्लोक का अर्थ, व्याकरणिक विश्लेषण, औ…
यह संस्कृत श्लोक — “शास्त्राण्यधीत्यापि भवन्ति मूर्खाः, यस्तु क्रियावान् पुरुषः स विद्वान्” — जीवन में ज्ञान और आचरण के…
यह संस्कृत श्लोक — “यज्जीव्यते क्षणमपि प्रथितं मनुष्यैः...” — जीवन के वास्तविक मूल्य को दर्शाता है। इस नीति वचन में कहा…
यह संस्कृत श्लोक — “अरक्षितं तिष्ठति दैवरक्षितं, सुरक्षितं दैवहतं विनश्यति” — नियति और पुरुषार्थ के गूढ़ संबंध को उजागर…
"जानिए संस्कृत नीति श्लोक का गूढ़ अर्थ — सच्चा मित्र कौन है, धन का सही उपयोग क्या है, और संयमित जीवन से सुख कैसे प…
लोभ (Greed) मनुष्य की बुद्धि को विचलित कर देता है और अंतहीन तृष्णा (unending desire) को जन्म देता है। “लोभेन बुद्धिश्चल…
यह संस्कृत श्लोक सिखाता है कि मूर्खता जीवन का सबसे बड़ा दुःख है। बुद्धि, विवेक और शिक्षा ही वास्तविक संपत्ति हैं, जो मा…
“लोभात्क्रोधः प्रभवति लोभात्कामः प्रजायते। लोभान्मोहश्च नाशश्च लोभः पापस्य कारणम्॥” यह नीति श्लोक हमें बताता है कि लोभ …