संस्कृत श्लोक "वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

🌞 🙏 जय श्रीराम 🌷 सुप्रभातम् 🙏
आज एक अत्यंत महत्वपूर्ण और नीतिपूर्ण श्लोक साझा किया है, जो मानवीय जीवन के पाँच प्रमुख आदरणीय पहलुओं और उनकी श्रेष्ठता की क्रमवृद्धि को दर्शाता है। आइए इस श्लोक का विश्लेषण एक व्यवस्थित रूप में करें:


🟡 1. संस्कृत मूल श्लोक

वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी।
एतानि मान्यस्थानानि गरीयो यद्यदुत्तरम्॥ 


🔤 2. Transliteration (IAST)

vittaṁ bandhur vayaḥ karma vidyā bhavati pañcamī |
etāni mānyasthānāni garīyo yadyad uttaram ||

संस्कृत श्लोक "वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

 


🇮🇳 3. हिन्दी अनुवाद (भावार्थ सहित)

धन, सम्बन्धी (या मित्र), आयु, कर्म और विद्या — ये पाँच मान्य (आदर योग्य) स्थान माने जाते हैं।
इनमें से प्रत्येक उत्तरवर्ती (बाद में आने वाला) तत्व, पूर्ववर्ती (पहले वाले) से अधिक श्रेष्ठ होता है।

🔹 अर्थात:

  • विद्या > कर्म > वयः > बन्धुः > वित्तम्

👉 विद्या सबसे श्रेष्ठ है, और धन सबसे कम मान्य है।


🧠 4. व्याकरणिक विश्लेषण

पद प्रकार अर्थ
वित्तम् नपुं. एक. धन
बन्धुः पुं. एक. सम्बन्धी / मित्र
वयः नपुं. एक. आयु
कर्म नपुं. एक. कार्य / कर्म
विद्या स्त्री. एक. शिक्षा
भवति क्रिया होती है
पञ्चमी स्त्री. एक. पाँचवीं (क्रम में)
एतानि सर्वनाम ये (पाँचों)
मान्यस्थानानि नपुं. बहु. आदरणीय स्थान
गरीयः विशेषण अधिक श्रेष्ठ
यद्यदुत्तरम् समास जो-जो बाद में (क्रमशः)

🧩 5. आधुनिक सन्दर्भ (Modern Context)

इस श्लोक का सन्देश आज के समय में भी पूर्णत: प्रासंगिक है:

क्रम तत्व आधुनिक व्याख्या
1️⃣ वित्तम् (धन) सबसे नीचे — केवल पैसा होने से व्यक्ति को अल्प सम्मान
2️⃣ बन्धुः (संबंध / नेटवर्क) सामाजिक जुड़ाव से प्रतिष्ठा बढ़ती है
3️⃣ वयः (आयु) उम्र अनुभव देती है, सम्मान लाती है
4️⃣ कर्म (कार्य / आचरण) व्यक्ति के कार्य ही वास्तविक सम्मान का कारण होते हैं
5️⃣ विद्या (ज्ञान) सर्वोच्च – शिक्षा ही समाज में सर्वोच्च पद व प्रतिष्ठा का कारण है

👉 यह मूल्यक्रम "सत्-गुणाधारित आदर्श मूल्य प्रणाली" को दर्शाता है।


🎭 6. संवादात्मक नीति कथा

"पाँच भाई – कौन सबसे श्रेष्ठ?"

पंचभूत गाँव में पाँच भाई थे:

  • पहला था धनी,
  • दूसरा संबंधों से भरपूर,
  • तीसरा बुज़ुर्ग,
  • चौथा कर्मठ,
  • पाँचवाँ विद्वान

एक दिन गाँव में विवाद हुआ कि सबसे योग्य कौन है?

ग्रामसभा में सभी ने अपनी बात रखी।
धनी बोला – "मैं पैसे से सब कुछ ला सकता हूँ।"
संबंधी बोला – "मेरे रिश्तों से सब सुलभ है।"
बुज़ुर्ग बोला – "अनुभव ही श्रेष्ठ है।"
कर्मठ बोला – "श्रम से ही निर्माण होता है।"
विद्वान मुस्कराया – “पर इन सबका संयोजन, दिशा और विवेक विद्या से ही आता है।

सभा ने कहा –
जिसके पास ज्ञान नहीं, वह बाकी सबको नष्ट कर सकता है। इसलिए विद्या सर्वश्रेष्ठ है।


🪔 7. नैतिक शिक्षा (Moral Insight)

  • धन क्षणिक है, संबंध बदल सकते हैं, आयु सीमित है, कर्म कभी विफल हो सकते हैं –
    👉 पर विद्या स्थायी, आत्मसाथ, और उत्थानकारी है।

"विद्या धनं सर्वधनात् प्रधानम्।"
(विद्या सभी प्रकार के धन से श्रेष्ठ है)


📝 8. उपयोगी उपसंहार

यह श्लोक हमें मूल्य आधारित जीवन जीने की प्रेरणा देता है, जहाँ केवल धन या संबंध नहीं, बल्कि ज्ञान और कर्म के आधार पर प्रतिष्ठा और सम्मान मिलता है।

🌟 "शिक्षा ही वह दीपक है, जो जीवन को दिशा देता है।"

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