कुंभकोणम – मंदिरों का पवित्र नगर: Kumbakonam – The Sacred City of Temples

Sooraj Krishna Shastri
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 प्रस्तुत लेख "कुंभकोणम – मंदिरों का पवित्र नगर" विषय पर आधारित है। इसमें कथा, धार्मिक मान्यता, स्थापत्य कला और भौगोलिक विवरण को क्रमबद्ध किया गया है:


कुंभकोणम – मंदिरों का पवित्र नगर: Kumbakonam – The Sacred City of Temples


🔱 प्रस्तावना: एक तीर्थ, अनेक रहस्य

भारत के महानतम तीर्थों में से एक है कुंभकोणम – एक ऐसा नगर जो मंदिरों की दिव्यता, पौराणिकता और भक्ति-परंपरा का अद्भुत संगम है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित यह नगर, तंजावूर जिले के कुंभकोणम तालुक का मुख्यालय है और पवित्र कावेरी नदी के तट पर अवस्थित है।

कुंभकोणम – मंदिरों का पवित्र नगर: Kumbakonam – The Sacred City of Temples
कुंभकोणम – मंदिरों का पवित्र नगर: Kumbakonam – The Sacred City of Temples


यह नगर न केवल स्थापत्य और संस्कृति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक आस्था के अनुसार भी अत्यंत पावन माना जाता है। कुंभकोणम उन तीर्थों में सम्मिलित है जहाँ तीर्थयात्रियों को सिर मुंडवाना और उपवास रखना अनिवार्य माना गया है।


🌊 तीर्थों में अनुशासन और मान्यता

धार्मिक मान्यता के अनुसार निम्नलिखित पवित्र स्थलों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को विशेष संयम रखना चाहिए – जैसे कि सिर मुंडवाना, उपवास रखना, और मानसिक शुद्धता बनाए रखना। यदि कोई लालच या अज्ञानवश बिना ये नियम निभाए लौट आता है, तो ऐसा माना जाता है कि उसके सारे पाप, जो तीर्थों पर नष्ट होने चाहिए थे, उसके साथ घर लौट जाते हैं।

इन विशेष तीर्थों में सम्मिलित हैं:

  • कुंभकोणम
  • रामेश्वरम
  • गोकर्ण
  • नैमिषारण्य
  • अयोध्या
  • दंडकारण्य
  • विरुपाक्ष (हम्पी)
  • वेंकट (तिरुपति)
  • शालिग्राम (गंडकी नदी, नेपाल)
  • प्रयाग (इलाहाबाद)
  • कांची (कांचीपुरम्)
  • द्वारका
  • मधुरा (मथुरा एवं मदुरै)
  • पद्मनाभ (त्रिवेंद्रम)
  • काशी (वाराणसी)
  • सभी नदियाँ, समुद्र और कोणार्क (भास्कर क्षेत्र)

🕉️ पौराणिक कथा: अमृत-कुंभ और शिव का किरात रूप

पेरियापुराण के रचयिता श्री सेक्किझार ने एक विशेष किंवदंती का उल्लेख किया है:

ब्रह्मांडीय प्रलय के समय, भगवान ब्रह्मा ने चिंतित होकर शिव से पूछा कि संपूर्ण सृष्टि नष्ट हो जाने पर वे पुनः सृजन कैसे करेंगे? तब शिवजी ने उन्हें एक अमृत-युक्त कुंभ (कलश) बनाने का परामर्श दिया।

🌿 कुंभ की संरचना:

  • मिट्टी, अमृत और जल से निर्मित
  • ऊपर आम के पत्ते, कुश, और नारियल से सुसज्जित
  • बिल्वपत्रों से पूजन
  • जाल में बाँधकर मेरु पर्वत पर टाँगा गया

जब प्रलय हुआ, तब वह कुंभ जलधारा में बहता हुआ दक्षिण की ओर कुंभकोणम के समीप आकर रुक गया। कुंभ के विभिन्न भाग गिरने से पवित्र तीर्थों की उत्पत्ति हुई।

भगवान शिव ने किरात (शिकारी) रूप धारण कर उस कुंभ को बाण से विदीर्ण किया। कुंभ के अमृत से अनेक तीर्थ बने:

  • महामाघ तीर्थ
  • पोट्टामारैकुलम (स्वर्ण कमल सरोवर)
  • अन्य अनेक जल-कुण्ड और सरोवर भी प्रकट हुए।

कुंभ के टुकड़ों से शिवलिंग निर्मित किया गया, जिसे कुंभेश्वर लिंग कहा गया। उसी स्थान पर कुंभेश्वर मंदिर की स्थापना हुई।


🛕 मुख्य मंदिर एवं धार्मिक धरोहर

🔹 कुंभेश्वर मंदिर

  • कुंभकोणम का सबसे पवित्र शिव मंदिर
  • 128 फीट ऊँचा गोपुरम् (दक्षिण भारत शैली)
  • प्राचीनतम मंदिरों में से एक, चोल कालीन
  • मंदिर परिसर में महामाघ तीर्थकुंड

🔹 नागेश्वर मंदिर

  • विशेष ज्योतिर्विज्ञान पर आधारित वास्तु
  • वर्ष में तीन बार सूर्य की किरणें गोपुरम् से होकर गर्भगृह की मूर्ति पर सीधी पड़ती हैं – इसे सूर्य द्वारा शिव पूजा का प्रतीक माना जाता है।

🔹 सारंगपाणि विष्णु मंदिर

  • विष्णु के चार प्रमुख मंदिरों में से एक
  • 147 फीट ऊँचा गोपुरम्, 12 मंज़िलें
  • छत पर सुंदर चित्रकला और नक्काशी
  • दो विशाल लकड़ी के रथ – जिनमें से एक जिले का तीसरा सबसे बड़ा है
  • नायक राजाओं द्वारा निर्मित

🔹 रामस्वामी मंदिर

  • रामायण के दृश्यों को दर्शाते आकर्षक भित्तिचित्र
  • नवरात्रि उत्सव यहाँ विशेष रूप से मनाया जाता है

🔹 चक्रपाणि मंदिर (विष्णु मंदिर)

  • चक्रपाणि-थुरल नामक दाह स्थल के समीप स्थित
  • मृत्यु के उपरांत कर्मकांडों से जुड़ा हुआ महत्व

🪷 महामाघम तीर्थकुंड – कुंभकोणम की आत्मा

नगर के मध्य स्थित महामाघम कुंड एक विशाल जलाशय है, जो चारों ओर से मंडपों और घाटों से घिरा है। इसे कन्या तीर्थ भी कहा जाता है।

  • इसमें कुएँ के रूप में अनेक तीर्थ स्थित हैं
  • माघ मास में महामाघम उत्सव मनाया जाता है – जिसमें कुंभेश्वर की प्रतिमा को पवित्र स्नान (अवभृत-स्नान) हेतु निकाला जाता है
  • हजारों श्रद्धालु इस अवसर पर इस तालाब में स्नान करते हैं

श्री अप्पार नयनार ने अपनी स्तुति में इस सरोवर को गोदावरी तीर्थ के समकक्ष बताया है।


📜 ऐतिहासिक महत्त्व

  • कुंभकोणम की पहचान प्राचीन मलैकुर्रम से की जाती है
  • 7वीं शताब्दी ई. में चोल राजाओं की राजधानी रहा है
  • नगर में शिव के 12, विष्णु के 4 और ब्रह्मा का एक दुर्लभ मंदिर भी है

🔚 निष्कर्ष: आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संगम

कुंभकोणम केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थल है जहाँ पौराणिकता, स्थापत्य कला, भक्ति परंपरा और ज्योतिषीय विज्ञान सभी एक साथ मिलते हैं। इसकी दिव्यता और अद्वितीयता ही इसे भारत के महानतम तीर्थों में स्थान दिलाती है।

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