Shri Ram aur Hanuman की भक्ति से जुड़ी Rameshwaram Ki Kahani – Pauranik Sandarbh Mein
🔱 प्रस्तावना:
रामेश्वरम भारत के चार धामों में एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है। यह वह स्थल है जहाँ भगवान श्रीराम ने श्रीलंका से लौटते समय भगवान शंकर की आराधना कर रामेश्वर नामक शिवलिंग की स्थापना की थी। इस कथा में भक्ति, मर्यादा, तप, क्षमा और शरणागति के गहन भाव अंतर्निहित हैं।
🧭 कथा का प्रसंग:
लंका विजय के पश्चात जब श्रीराम माता सीता को लेकर लौट रहे थे, तो उन्होंने पहले गंधमादन पर्वत पर विश्राम किया। यह स्थल समुद्र किनारे स्थित था।
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Shri Ram aur Hanuman की भक्ति से जुड़ी Rameshwaram Ki Kahani – Pauranik Sandarbh Mein |
जब ऋषि-महर्षियों को ज्ञात हुआ कि श्रीराम सीता जी के साथ यहाँ पधारे हैं, तो वे दर्शन एवं आशीर्वाद देने वहाँ पहुँचे। ऋषियों ने श्रीराम को सूचित किया—
“हे रघुनंदन! आपने रावण का वध कर पुलस्त्य कुल का अंत किया है। अतः आप पर ब्रह्महत्या दोष लगा है। इससे मुक्ति हेतु आपको भगवान शंकर की आराधना करनी होगी।”
🙏 शिवलिंग स्थापना हेतु हनुमान जी की यात्रा:
श्रीराम ने हनुमान जी से कहा,
“हे पवनपुत्र! तुम शीघ्र कैलाश पर्वत जाओ और वहाँ से एक पवित्र शिवलिंग लाकर मुझे दो।”
हनुमान जी आदेश पाकर तुरंत कैलाश पर्वत पहुँचे, परंतु उपयुक्त शिवलिंग न मिल पाने के कारण उन्होंने वहीं शिवजी की कठोर तपस्या आरंभ की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और उन्हें एक दिव्य लिंग प्रदान किया।
⏳ मुहूर्त की बाध्यता और रामेश्वर लिंग की स्थापना:
उधर श्रीराम को ऋषियों द्वारा बताए गए शुभ मुहूर्त में लिंग की स्थापना करनी थी। हनुमान जी अब तक नहीं लौटे थे। अतः श्रीराम ने वहाँ की मिट्टी से ही एक शिवलिंग का निर्माण कर उसकी विधिपूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा कर दी।
हनुमान जी जब लौटे, तब तक पूजन संपन्न हो चुका था। वे अत्यंत दुःखी हुए और चरणों में गिर पड़े। श्रीराम ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा:
“मुहूर्त न बीत जाए, इसलिए मुझे यह लिंग स्वयं स्थापित करना पड़ा।”
हनुमान जी ने आग्रह किया कि वे स्वयं लाए गए लिंग की स्थापना देखना चाहते हैं। श्रीराम ने सहर्ष अनुमति दी और बोले:
“यदि तुम चाहो तो इस लिंग को उखाड़ सकते हो।”
🪨 वज्र समान लिंग और हनुमान का अनोखा अनुभव:
हनुमान जी ने शिवलिंग को उखाड़ने का भरसक प्रयास किया, परंतु वह लिंग वज्रवत कठोर हो गया था। वह तिल भर भी नहीं हिला। अत्यधिक प्रयास करते हुए हनुमान जी 3 किलोमीटर दूर जा गिरे और मूर्छित हो गए।
माता सीता की आंखों में करुणा और प्रेम छलक पड़ा। उनके आंसुओं से हनुमान जी को चेतना प्राप्त हुई। जब उन्होंने श्रीराम की ओर देखा, तो उन्हें परब्रह्म के साक्षात दर्शन हुए। उन्होंने रोते हुए क्षमा याचना की।
श्रीराम बोले:
“हनुमान! जिस शिवलिंग की स्थापना मेरे हाथों से हुई है, उसे संसार की कोई शक्ति उखाड़ नहीं सकती। परंतु तुम्हारी भक्ति अद्वितीय है। अतः तुम्हारे द्वारा लाया गया लिंग भी यहाँ स्थापित किया जाएगा।”
📿 रामेश्वर और हनुमदीश्वर:
इस प्रकार:
- श्रीराम द्वारा स्थापित लिंग को रामेश्वर कहा गया।
- हनुमान जी द्वारा लाया गया लिंग हनुमदीश्वर कहलाया।
ये दोनों आज भी रामेश्वरम क्षेत्र में पूजित हैं। यह स्थल भक्ति, क्षमा और श्रद्धा का अनुपम प्रतीक है।
🛕 रामेश्वरम के प्रमुख दर्शनीय स्थल:
रामेश्वरम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई आध्यात्मिक स्थल दर्शनीय हैं:
- रामनाथस्वामी मंदिर – रामेश्वर लिंग का मुख्य मंदिर, जो विशाल और स्थापत्य दृष्टि से अद्भुत है।
- हनुमदीश्वर लिंग स्थान – जहाँ हनुमान जी द्वारा लाया गया लिंग स्थापित है।
- साक्षी विनायक मंदिर – जहाँ भगवान गणेश श्रीराम के कार्यों के साक्षी बने।
- सीता कुंड – जहां माता सीता ने हनुमान जी को देखकर करुणावश अश्रु बहाए थे।
- कोदण्डरामस्वामी मंदिर – श्रीराम द्वारा लंका जाने से पूर्व बनाया गया एक प्रमुख मंदिर।
- विल्लूरणि कुंड – पवित्र जलकुंड जहाँ स्नान कर पाप-निर्मलता प्राप्त होती है।
- एकांत राम मंदिर – रामजी का ध्यानस्थ रूप जिसमें उन्हें आत्मचिंतन करते हुए दर्शाया गया है।
- अम्मन देवी मंदिर – क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी को समर्पित।
🌺 उपसंहार:
रामेश्वरम वह भूमि है जहाँ राम और शिव का अद्वितीय मिलन हुआ। यह स्थल दर्शाता है कि भगवान भी नियमों के पालन में सर्वोपरि होते हैं। जो भक्ति, समय, विनम्रता और मर्यादा में दृढ़ रहता है, वही प्रभु कृपा का पात्र बनता है।
🕉️ यह स्थल शिवभक्ति और रामभक्ति का संगम है। यहाँ दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट होते हैं और भक्त को परम शांति प्राप्त होती है।