Self Change is World Change – खुद बदलो, दुनिया बदले

Sooraj Krishna Shastri
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Self Change is World Change – खुद बदलो, दुनिया बदले

यह प्रेरक कथा जीवन के सबसे बड़े सत्य को सरल और मार्मिक ढंग से सामने रखती है — "बदलाव की शुरुआत स्वयं से होती है।"


🕉️ बदलाव की शुरुआत स्वयं से करें 🕉️

(एक जीवनदर्शी प्रेरणात्मक प्रसंग)

एक दिन की बात है…
घर के आँगन में पुराने झूले पर बूढ़े दादाजी चुपचाप बैठे थे। चेहरे पर झुर्रियाँ थीं पर अनुभवों की रेखाएँ भी उतनी ही गहरी थीं। वे बहुत उदास लग रहे थे।

छोटे-छोटे बच्चों ने उन्हें देख लिया और भागते हुए उनके पास आ गए।

👧🏻👦🏻 बच्चों ने पूछा:
"दादाजी, आप इतने उदास क्यों हैं? क्या सोच रहे हैं?"

👴🏻 दादाजी मुस्कुराए पर वो मुस्कान कहीं गहरी वेदना में डूबी थी।
"कुछ नहीं बच्चों… बस यूं ही… अपनी ज़िंदगी के बारे में सोच रहा था।"
Self Change is World Change – खुद बदलो, दुनिया बदले
Self Change is World Change – खुद बदलो, दुनिया बदले


बच्चे ज़िद करने लगे –
"दादाजी! हमें भी सुनाइए न अपनी ज़िंदगी की कहानी… आपने क्या-क्या किया?"

दादाजी कुछ देर चुप रहे… फिर शांत स्वर में कहना आरम्भ किया –


🔹 बचपन का आदर्शवाद:

"जब मैं बहुत छोटा था, तब मेरे ऊपर कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी।
मेरी कल्पनाओं की उड़ान में कोई सीमा नहीं थी।
मैं सोचता था — मैं इस दुनिया को बदल दूँगा!
एक बेहतर दुनिया बनाऊँगा…
जहाँ कोई दुःखी न हो, अन्याय न हो, भूख न हो, युद्ध न हो।"


🔹 यौवन का यथार्थ:

"जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ,
जीवन का व्यवहारिक पक्ष समझ में आने लगा,
तब अहसास हुआ — पूरी दुनिया बदलना बहुत कठिन है।

फिर मैंने सोचा —
चलिए, दुनिया नहीं तो कम से कम अपना देश तो बदल सकता हूँ।

पर जब और समय बीता,
मैं अधेड़ आयु में पहुँचा,
तब समझ आया कि यह देश भी अनेक जटिलताओं से भरा है…
इसे बदलना भी मेरे बस का नहीं।"


🔹 परिवार तक सिमटा प्रयास:

"तब मैंने सोचा —
देश नहीं तो कम से कम अपने परिवार और करीबी लोगों को तो बदल ही सकता हूँ…
उन्हें अच्छे संस्कार दूँ, उन्हें सुधारूँ।

पर अफ़सोस…
मैं वो भी नहीं कर पाया।"


🔹 बुढ़ापे की आत्मस्वीकृति:

"और अब जब जीवन की संध्या है…
जब मैं इस संसार में कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ,
तब मुझे यह गहरी सीख मिली है —

काश! मैंने किसी और को बदलने की बजाय, खुद को बदलने की कोशिश की होती।
तो शायद…

मुझे देखकर मेरा परिवार बदलता…
परिवार से समाज प्रभावित होता…
समाज से राष्ट्र और फिर शायद विश्व में भी एक सकारात्मक लहर दौड़ती…

यही सोचकर मेरी आँखें नम हो जाती हैं…"


🔸 शब्दों में अनुभव का सार:

"बच्चों!
मेरी यह गलती तुम मत दोहराना…
कुछ और बदलने से पहले, खुद को बदलो!
जब तुम खुद में परिवर्तन लाओगे,
तब स्वतः ही आसपास की दुनिया भी बदलने लगेगी।"


बदलाव का मूल सूत्र

हर मनुष्य में परिवर्तन की शक्ति है।
पर शुरुआत बाहर से नहीं, भीतर से होती है।
हमें दूसरों को बदलने से पहले –
स्वयं को सुधारना, मजबूत करना, जागरूक बनाना और परिपक्व बनाना होता है।

💠 अपने व्यवहार को निखारिए
💠 अपनी सोच को सकारात्मक बनाइए
💠 अपने कर्मों को शुद्ध कीजिए
💠 अपने लक्ष्य को स्पष्ट कीजिए
💠 और फिर देखिए – बदलाव की एक चेन प्रतिक्रिया कैसे आरंभ होती है।


🕊️ महात्मा गांधी का संदेश:

"खुद वो बदलाव बनिए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।"

यही एक सत्य है —
कि यदि हर व्यक्ति अपने भीतर क्रांति लाए,
तो यह विश्व स्वतः ही स्वर्ग बन जाए।


🔚 निष्कर्ष:
यदि आप वास्तव में दुनिया को बेहतर बनाना चाहते हैं —
तो एक सही जगह से शुरुआत कीजिए…

"अपने आप से!"

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