Karwa Chauth 2025: जानें तिथि, व्रत विधि, पूजा सामग्री, कथा, आरती और शुभ मुहूर्त। सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व।
Karwa Chauth 2025 Date, Puja Vidhi, Katha, Shubh Muhurat | करवा चौथ 2025 तिथि, पूजा विधि, कथा और सावधानियां
नीचे उत्तर भारत / समयानुसार दिल्ली / आसपास के क्षेत्रों की जानकारी और सामान्य पूजा विधि दी जा रही है। (आपके शहर – लखनऊ – के लिए समय थोड़ा भिन्न हो सकता है, इसलिए पंचांग या मोबाइल ऐप से मुहूर्त और चाँद दर्शन समय एक बार अवश्य जांच लें।)
करवा चौथ 2025 — तिथि, समय एवं शुभ मुहूर्त
तिथि (date) – 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)
व्रत आरंभ (उपवास शुरू) – सुबह 06:19 बजे
व्रत समापन (चाँद दर्शन / ब्रेक) – लगभग शाम 08:13 बजे
पूजा मुहूर्त (संध्या) – 05:57 PM – 07:11 PM
आंशिक भिन्न मुहूर्त – कुछ स्रोतों में 06:08 PM – 07:20 PM भी दर्शाया गया है
नोट: चूँकि हिंदू तिथि, स्थान व समयानुसार भिन्नता हो सकती है, आपके इलाके के पंचांग अनुसार पूजा समय ही मानें।
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Karwa Chauth 2025 Date, Puja Vidhi, Katha, Shubh Muhurat | करवा चौथ 2025 तिथि, पूजा विधि, कथा और सावधानियां |
करवा चौथ व्रत विधि — सामग्री एवं पूजा क्रम
नीचे पूजा-सामग्री और व्रत विधि को चरणबद्ध रूप में प्रस्तुत किया गया है:
पूजा / व्रत सामग्री (पांडालिका सामान)
आमतौर पर निम्न वस्तुएँ उपयोग की जाती हैं:
- करवा (मिट्टी या कढ़ाई का छोटा बर्तन)
- घी या तेल (दीप के लिए)
- छोटी पूजा थाली (दीप, फूल, पुष्प, चावल आदि के लिए)
- दिवा / दीपक
- सिंदूर / कुमकुम
- हल्दी, अक्षत (चावल)
- फूल, पुष्पमाला (मालाएं)
- मिठाई, फल, शक्कर, गुड़ आदि प्रसाद के लिए
- सुपारी, लौंग, इलायची, मिश्री आदि
- चाँद दर्शन के लिए चाँनी / छलनी (सिव)
- पानी, दूध एवं चावल मिलाकर पानी (अरघ)
- लाल चुनरी / दुपट्टा (थाली ढकने के लिए)
- अन्य आवश्यक: माचिस, अगरबत्ती, दीप बत्ती व काँच या छोटी कटोरी
शुभ टिप: थाली को हल्के रंग या लाल कपड़े से ढकना अच्छा माना जाता है (नज़र से बचाने हेतु)
व्रत पूजा विधि — क्रमवार
नीचे एक सामान्य विधि प्रस्तुत है, जिसे आपकी पारिवारिक परंपरा अनुसार थोड़ा भिन्न किया जा सकता है:
1. सूर्योदय पूर्व (सारगी)
- व्रत रखने से पूर्व माता–सास / परिवार “सारगी” तैयार करें — यह भोजन और उपवास हेतु आवश्यक ऊर्जा स्रोत होता है (फल, सूखे मेवे, हल्की मिठाई आदि)।
- व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले करनी चाहिए।
2. दिन भर उपवास एवं सतर्कता
- दिन भर पानी न पिएँ (निर्जला व्रत)
- व्यर्थ की बातें, क्रोध, दुखी करने वाली बातें नहीं करनी चाहिए
- पूजा सामग्री तैयार रखें
3. संध्या समय पूजा (शाम को पूजा मुहूर्त के समय)
- घर की पूजा स्थल की सफाई करें, साफ वस्त्र पहनें
- पूजा थाली सजाएँ — दीप, फूल, चावल, मिठाई, फल, सिंदूर, अक्षत आदि रखें
- करवा में साफ पानी और कुछ चावल एवं दूध मिश्रित रखें
- हाथ में थाली लेकर (थाली हाथ में लेकर) कथा सुनी जाए या स्वयं पाठ किया जाए
- देवी-देवताओं की अराधना करें (स्वरूप या चित्र में)
करवा चौथ व्रत कथा (Karwa chauth Vrat Katha) -1
बहुत समय पहले की बात है — एक साहूकार के सात पुत्र थे और एक पुत्री, जिसका नाम करवा था। सभी भाई अपनी बहन करवा से बहुत प्रेम करते थे। जब एक बार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (चौथ) आई, तो करवा और उसकी सभी भाभियों ने व्रत रखा।
रात्रि के समय, जब सभी भाई भोजन करने बैठे, उन्होंने बहन करवा को भी खाने को कहा। लेकिन करवा ने उत्तर दिया कि वह चाँद निकलने के बाद अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी, क्योंकि आज उसका व्रत है।
भाईयों को उसकी हालत देखकर दुख हुआ। वे बाहर जाकर एक पीपल के वृक्ष पर जा पहुँचे, वहाँ एक दीपक जलाया और चलनी (छन्नी) को उस प्रकाश के आगे रखा, जिससे दूर से वह प्रकाश चाँद जैसा दिखाई देने लगा।
वे कारिगरी से करवा को यह दिखाने की कोशिश करने लगे कि चाँद निकल गया है। करवा ने वह प्रकाश देख कर अर्घ्य दिया, और भोजन शुरू कर लिया। लेकिन जैसे ही उसने पहला निवाला लिया, उसमें छींक आ गई। दूसरे निवाले में उसने बाल देखा। तीसरे निवाले में उसने छलावा पता चला। उस दिन ही उसका पति मृत्यु को प्राप्त हो गया। करवा गहरे दुःख में डूब गई और उसने अनवरत व्रत करने की दृढ़ निश्चय किया। उसने पूरे वर्ष चौथ का व्रत रखा।
वर्ष पूरा होने पर, उसकी भाभियों ने उससे आशीर्वाद लेने आईं। करवा ने उनसे कहा कि वे मुझे अपनी भाभियों की तरह ही सुहागिन बना दें जिससे मैं भी पति के साथ वापस आ सकूँ।
अंत में, करवा की तपस्या देख कर भगवान गणेश और अन्य देव प्रसन्न हुए, और उसके पति को पुनर्जीवन मिला। उस दिन से इस व्रत को “करवा चौथ” कहा गया।
✨ करवा माता की कथा (karwa chauth vrat Katha 2)
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री रहती थी। उसका पति बहुत दीर्घायु था और वह अपने सुहाग की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहती थी।
एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय वहाँ एक मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया। पति को संकट में देखकर करवा तुरंत वहाँ पहुँची। उसने एक कच्चा धागा (सूत्र) लिया और मगरमच्छ को बाँधकर यमराज के पास पहुँच गई।
करवा ने यमराज से कहा —
“हे धर्मराज! इस मगर ने मेरे पति को पकड़ लिया है, इसे तुरंत नरक में भेजो।”
यमराज ने कहा —
“हे सती स्त्री! इसका आयुष्य अभी शेष है, मैं इसे अभी नहीं मार सकता।”
यह सुनकर करवा ने दृढ़ वचन कहा —
“यदि आप इसे नरक नहीं भेजेंगे तो मैं अपने तप और सत्य से आपको ही नष्ट कर दूँगी।”
यमराज करवा के सत्य और पतिव्रत की शक्ति से भयभीत हो उठे। उन्होंने तत्काल मगर को यमलोक भेज दिया और उसके पति को दीर्घायु आशीर्वाद दिया।
तब से करवा माता की पूजा करवा चौथ पर की जाती है और इस दिन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
आरती करें —
करवा माता की आरती (karwa chauth ki arti)
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
ओम जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
चाँद दर्शन (चंद्र दर्शन / चाँद निकलने के बाद)
- चाँद निकलने पर, पहले चाँद को छलनी (चाँनी) से देखें
- फिर अपने पति की ओर देखें
- पति को पानी या फल देने के लिए कहें
- इस प्रकार व्रत का समापन करें
प्रसाद एवं भोज
- व्रत खोलने के बाद हल्की मिठाई या फल आदि का सेवन करें
- सामान्य भोजन धीरे-धीरे करें
🌸 करवा चौथ व्रत में सावधानियाँ 🌸
1. व्रत शुरू करने से पहले
- सारगी अवश्य लें – सूर्योदय से पहले सास या परिवार से प्राप्त सारगी खाना शुभ होता है।
- संकल्प करें – मन में यह दृढ़ भाव रखें कि यह व्रत पति की मंगलकामना और दीर्घायु के लिए है।
2. व्रत के दौरान
- दिनभर निर्जला उपवास रखने का नियम है (कुछ लोग पानी भी नहीं पीते)।
- क्रोध, झूठ, वाद-विवाद, अपशब्दों से बचें।
- आलस्य, गुस्सा और दूसरों को दुख देने वाले विचार न रखें।
- पूरे दिन सकारात्मक सोच, मन की शांति और भक्ति भाव रखें।
- घर का वातावरण शुद्ध रखें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. पूजा की सावधानियाँ
- पूजा का मुहूर्त देखकर ही आरंभ करें, समय का पालन जरूरी है।
- पूजा के समय पूरी श्रद्धा और भक्ति रखें।
- करवा (मिट्टी या तांबे का बर्तन) को स्वच्छ जल और अक्षत (चावल) से भरकर रखें।
- कथा अवश्य सुनें/पढ़ें — कथा सुनना व्रत को पूर्णता देता है।
- आरती के समय दीपक बुझने न पाए।
4. चाँद दर्शन की सावधानियाँ
- छलनी (छन्नी) से पहले चाँद को देखें, फिर उसी से पति को देखें।
- पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ें।
- पति को प्रणाम करें और आशीर्वाद लें।
5. स्वास्थ्य संबंधी सावधानियाँ
- गर्भवती महिलाएँ, बीमार या बहुत वृद्ध महिलाएँ व्रत को अपने सामर्थ्य अनुसार करें (जल या फल ग्रहण कर सकती हैं)।
- यदि कमजोरी महसूस हो तो चिकित्सकीय सलाह लेकर ही कठोर निर्जला व्रत करें।
- व्रत का उद्देश्य पति की दीर्घायु और श्रद्धा है, केवल कठोरता दिखाना नहीं।
6. अन्य सावधानियाँ
- व्रत के दौरान नाखून न काटें, बाल न कटवाएँ।
- नकारात्मक सोच, झगड़ा, चुगली और अपशब्दों से दूर रहें।
- शाम के बाद बुनाई, सिलाई, कपड़े काटना अशुभ माना जाता है।
- व्रत खोलने से पहले कोई भी ठोस भोजन न खाएँ।
🌼 संक्षेप में: भक्ति, श्रद्धा, संयम और शुद्ध आचरण — यही करवा चौथ व्रत की सबसे बड़ी सावधानी है।
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Karwa Chauth 2025 Date, Puja Vidhi, Katha, Shubh Muhurat | करवा चौथ 2025 तिथि, पूजा विधि, कथा और सावधानियां |
🔹 Karwa Chauth 2025 – 20 FAQs
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करवा चौथ 2025 कब है?
करवा चौथ 2025 शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। -
करवा चौथ 2025 का चंद्रोदय समय क्या है?
10 अक्टूबर 2025 को चंद्रोदय रात लगभग 8:08 बजे होगा (स्थान अनुसार भिन्न)। -
करवा चौथ 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है?
शाम 5:55 से 7:12 बजे तक पूजा का श्रेष्ठ समय है। -
करवा चौथ का व्रत कौन रखता है?
मुख्यतः विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए, परंतु अविवाहित लड़कियाँ भी रखती हैं। -
क्या पुरुष भी करवा चौथ का व्रत रख सकते हैं?
हाँ, कई पुरुष भी अपनी पत्नियों के लिए यह व्रत रखते हैं। -
करवा चौथ की सरगी कब खाई जाती है?
सुबह सूर्योदय से पहले, सास अपनी बहू को सरगी देती हैं। -
करवा चौथ की पूजा विधि क्या है?
शाम को करवा चौथ माता की पूजा, करवा जल, दीपक, कथा श्रवण और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। -
करवा चौथ व्रत कथा कौन-सी है?
वीरवती की कथा, जिसमें झूठे चाँद दिखाने पर उसके पति की मृत्यु हुई और फिर व्रत से जीवन वापस मिला। -
दूसरी करवा चौथ कथा कौन-सी है?
सती सावित्री और सत्यवान की कथा, जिसमें सावित्री ने यमराज से पति का जीवन लौटवाया। -
करवा चौथ पर कौन-सी आरती होती है?
करवा चौथ माता की आरती और चंद्रमा की पूजा आरती। -
करवा चौथ की पूजा सामग्री में क्या चाहिए?
करवा, छलनी, दीपक, नारियल, रोली, चावल, कलश, श्रृंगार सामग्री, मिठाई, पानी। -
क्या करवा चौथ व्रत निर्जला होता है?
परंपरा अनुसार हाँ, परंतु स्वास्थ्य कारणों से जल या फल लेना भी उचित माना जाता है। -
क्या गर्भवती महिलाएँ करवा चौथ व्रत रख सकती हैं?
हाँ, लेकिन डॉक्टर की सलाह और फलाहार/पानी के साथ रखना चाहिए। -
करवा चौथ पर कौन-से रंग के कपड़े शुभ होते हैं?
लाल, हरा, गुलाबी और पीले रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं। -
करवा चौथ की पूजा किस देवता से जुड़ी है?
भगवान शिव-पार्वती, गणेश जी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। -
करवा चौथ का महत्व क्या है?
पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और वैवाहिक सुख का प्रतीक है। -
करवा चौथ का सामाजिक महत्व क्या है?
यह त्याग, समर्पण और परिवार के रिश्तों को मजबूत करने का पर्व है। -
करवा चौथ की कथा कौन सुनाता है?
परंपरा अनुसार किसी बुजुर्ग स्त्री या पंडित द्वारा कथा सुनाई जाती है। -
करवा चौथ पर कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
स्वास्थ्य का ध्यान रखें, झगड़ा न करें, नकारात्मक बातें न करें, नियम पालन करें। -
करवा चौथ का उपसंहार कैसे होता है?
चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति का दर्शन करने के बाद व्रत खोला जाता है।