जानिए उस संस्कृत नीति श्लोक का अर्थ जिसमें बताया गया है कि कौन-सी नौ बातें मनुष्य को सदैव गुप्त रखनी चाहिए — आयु, धन, गृहदोष, मन्त्र, मैथुन, औषधि, तप, दान और अपमान।
यह श्लोक सिखाता है कि गोपनीयता, मर्यादा और विवेक ही जीवन की सच्ची सुरक्षा हैं।
यहाँ पढ़ें “आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मन्त्र मैथुन भेषजम्...” श्लोक का हिन्दी अनुवाद, शब्दार्थ, व्याकरण, नीति कथा और आधुनिक जीवन में इसका गूढ़ सन्देश।
नीति शास्त्र के इन नौ रहस्यों से जानें जीवन को संतुलित और सुरक्षित रखने की प्राचीन भारतीय दृष्टि।
Nine Secrets of Life – Ayurvittam Gruhachchidram Mantra Maithuna Bheṣajam | नीति शास्त्र के अनुसार किन बातों को गुप्त रखना चाहिए?
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Nine Secrets of Life – Ayurvittam Gruhachchidram Mantra Maithuna Bheṣajam | नीति शास्त्र के अनुसार किन बातों को गुप्त रखना चाहिए? |
🕉️ 1. श्लोक
✍️ 2. English Transliteration
🌿 3. हिन्दी अनुवाद
मनुष्य को अपनी आयु (जीवनकाल), धन, घर की कमजोरी या दोष, मंत्र (गोपनीय शक्ति), मैथुन (दाम्पत्य व्यवहार), भेषज (औषधि/रोग), तप (आध्यात्मिक साधना), दान (परोपकार) और अपमान (अपकीर्ति) — इन नौ बातों को सदैव अत्यंत सावधानी से गोपनीय रखना चाहिए।
🪷 4. शब्दार्थ
संस्कृत शब्द | अर्थ |
---|---|
आयुः | जीवन, उम्र |
वित्तम् | धन-संपत्ति |
गृहच्छिद्रम् | घर की कमजोरी, पारिवारिक रहस्य |
मन्त्रः | गोपनीय साधना या नीति |
मैथुनम् | दाम्पत्य व्यवहार, यौन सम्बन्ध |
भेषजम् | औषधि, उपचार या रोग का उपाय |
तपः | साधना, आत्मसंयम |
दानम् | परोपकार, दान का रहस्य |
अपमानः | अपकीर्ति, अपमानजनक घटना |
नव | नौ |
गोप्यानि | छिपाने योग्य |
यत्नतः | सावधानीपूर्वक |
📘 5. व्याकरणात्मक विश्लेषण
- आयुः, वित्तम्, गृहच्छिद्रम्, मन्त्र, मैथुन, भेषजम्, तपः, दानम्, अपमानम् — ये सभी नपुंसकलिंग / पुल्लिंग संज्ञा-पद हैं, जिन्हें प्रथमा विभक्ति एकवचन में प्रयोग किया गया है।
- नव गोप्यानि — "नव" = संख्या (नौ); "गोप्यानि" = गुप्त रखे जाने योग्य (विशेषण)।
- यत्नतः — क्रियाविशेषण, जिसका अर्थ है सावधानीपूर्वक, यत्नपूर्वक।
🌏 6. आधुनिक सन्दर्भ
यह श्लोक आधुनिक जीवन में गोपनीयता, मर्यादा और आत्मसंयम का संदेश देता है।
- आयु और स्वास्थ्य — अपनी उम्र और बीमारी का अत्यधिक प्रदर्शन अनावश्यक चिंता या दया उत्पन्न करता है।
- धन — संपत्ति का प्रदर्शन ईर्ष्या और शत्रुता का कारण बनता है।
- गृहच्छिद्र (घर की कमजोरी) — परिवारिक मतभेद या आर्थिक संकट बाहरी लोगों को नहीं बताने चाहिए।
- मंत्र और साधना — आध्यात्मिक या कार्य-सिद्धि रहस्य जब प्रकट किए जाते हैं, तो उनका प्रभाव कम हो जाता है।
- मैथुन और भेषज — व्यक्तिगत और शारीरिक विषयों में मर्यादा आवश्यक है।
- तप और दान — इन्हें दिखावे के लिए नहीं, आत्म-संतोष हेतु करना चाहिए।
- अपमान — अपनी अपकीर्ति को बार-बार कहना केवल आत्मदुःख बढ़ाता है।
इस प्रकार यह श्लोक हमें “Privacy and Dignity Management” की नीति सिखाता है।
🎭 7. संवादात्मक नीति कथा
📍 स्थान: एक गुरु और शिष्य के बीच वार्ता।
🌺 8. निष्कर्ष
🔹 नीति-सूत्र:“गोपनीयता में ही सुरक्षा है, और मर्यादा में ही महानता।” 🌿