RSS – Rashtriya Swayamsevak Sangh: इतिहास, संगठन, समाज सेवा और 100 साल की यात्रा

Sooraj Krishna Shastri
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RSS यानी Rashtriya Swayamsevak Sangh भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। पिछले 100 वर्षों में RSS ने देशभर में राष्ट्रीय चेतना, अनुशासन और समाज सेवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है। इसके तहत 55,000 से अधिक शाखाएँ और करोड़ों स्वयंसेवक देश और विदेश में सक्रिय हैं। RSS ने भारत की स्वतंत्रता के बाद दादरा-नगर हवेली और गोवा की स्वतंत्रता, 1947 के विभाजन में शरणार्थियों की सहायता, 1962 और 1965 के युद्धों में सैनिकों की सेवा, और आपदाओं जैसे उड़ीसा साइक्लोन, भोपाल गैस त्रासदी और उत्तराखंड बाढ़ में राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगठन का लक्ष्य केवल हिंदू संस्कृति और सनातन परंपरा का संरक्षण नहीं है, बल्कि सभी समुदायों के लिए समाज सेवा, राष्ट्रीय एकता और संविधान का सम्मान भी है। RSS के नेतृत्व और स्वयंसेवकों ने मानवता और देशभक्ति के क्षेत्र में हमेशा मिसाल कायम की है। इस लेख में RSS के इतिहास, संगठनात्मक विस्तार, नेतृत्व, विचारधारा, समाज सेवा और 100 साल की उपलब्धियों का विस्तारपूर्वक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जो इसे भारत और दुनिया में एक अद्वितीय स्वयंसेवी संस्था बनाता है।


RSS – Rashtriya Swayamsevak Sangh: इतिहास, संगठन, समाज सेवा और 100 साल की यात्रा

RSS – Rashtriya Swayamsevak Sangh: इतिहास, संगठन, समाज सेवा और 100 साल की यात्रा
RSS – Rashtriya Swayamsevak Sangh: इतिहास, संगठन, समाज सेवा और 100 साल की यात्रा


1. RSS का परिचय

Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की। RSS का मुख्य उद्देश्य था राष्ट्रीय चेतना, अनुशासन और समाज सेवा बढ़ाना।

आरंभ में केवल पाँच स्वयंसेवक थे, लेकिन आज यह 55,000+ शाखाओं और करोड़ों स्वयंसेवकों के साथ 80+ देशों में सक्रिय है।

मुख्य उद्देश्य:

  • राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रीय चेतना का प्रचार
  • हिंदू संस्कृति और सनातन परंपरा का संरक्षण
  • समाज सेवा और मानवता की सेवा

2. डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और स्थापना का दौर

2.1 प्रारंभिक जीवन

डॉ. हेडगेवार का जन्म 1906 में हुआ। वे बचपन से ही राष्ट्रभक्ति में रुचि रखते थे।

  • 1905 में उन्होंने अपने विद्यालय में “वंदे मातरम” गाया और प्रिंसिपल से बहादुरी दिखाई।
  • यह घटना उनके साहस और देशभक्ति का प्रतीक बनी।

2.2 संघ की स्थापना

1925 में नागपुर में RSS की स्थापना केवल 5 स्वयंसेवकों के साथ हुई।
संघ का मूल सिद्धांत था:

  • राष्ट्रप्रेम
  • अनुशासन
  • सामाजिक चेतना और सेवा

3. संगठनात्मक विस्तार (Sangathan ka Vistar)

3.1 Shakhas

  • लगभग 55,000+ शाखाएँ भारत में।
  • हर शाखा में साप्ताहिक बैठक, शारीरिक प्रशिक्षण, गान और विचार-विमर्श होता है।

3.2 जिला और राज्य संगठन

  • District और State Level संगठन के माध्यम से स्वयंसेवकों का समन्वय।
  • प्रांत और राज्य स्तर पर राष्ट्रीय कार्यक्रम और प्रशिक्षण।

3.3 राष्ट्रीय और वैश्विक विस्तार

  • राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्धारण और महासभाओं का आयोजन।
  • सहायक संगठन:
    • Vidya Bharati – शिक्षा
    • Seva Dal – समाज सेवा
    • National Muslim Manch – मुस्लिम समुदाय में राष्ट्रवाद का प्रचार
  • विश्वभर में 80+ देशों में RSS का footprint।

4. ऐतिहासिक योगदान और प्रमुख घटनाएँ

4.1 स्वतंत्रता आंदोलन और प्रारंभिक योगदान

  • 1925 के बाद RSS ने राष्ट्रीय चेतना और संगठन बढ़ाने का कार्य शुरू किया।
  • स्वतंत्रता से पूर्व उन्होंने देशभक्ति, अनुशासन और स्वयंसेवा के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाई।

4.2 दादरा और नगर हवेली (1954)

  • 2 अगस्त 1954: RSS के स्वयंसेवकों ने सिलवासा में पुर्तगाली झंडा उतारकर तिरंगा फहराया
  • इसके बाद क्षेत्र भारत सरकार के अधीन आया।

4.3 गोवा की स्वतंत्रता (1961)

  • हजारों स्वयंसेवक आंदोलन में शामिल हुए, कई गिरफ्तार हुए।
  • भारतीय सरकार की सैन्य कार्रवाई के बाद गोवा स्वतंत्र हुआ

4.4 विभाजन और शरणार्थी सहायता (1947)

  • 3000+ राहत शिविर स्थापित किए।
  • भोजन, आश्रय, चिकित्सा और सुरक्षा प्रदान की।

4.5 युद्ध और सीमा सुरक्षा

1962 – भारत-चीन युद्ध

  • सीमा क्षेत्रों में सैनिकों को भोजन, दवाइयाँ और आपूर्ति

1965 – भारत-पाक युद्ध

  • सीमा क्षेत्रों और दिल्ली में ट्रैफिक और आपूर्ति की व्यवस्था।

4.6 आपदा राहत

  • उड़ीसा साइक्लोन, भोपाल गैस त्रासदी, उत्तराखंड बाढ़, श्रीलंका और इंडोनेशिया भूकंप में राहत कार्य।

4.7 1984 सिख दंगे

  • निर्दोष सिखों को आश्रय और सुरक्षा प्रदान की।

4.8 सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम

  • Vidya Bharati: 10,000+ स्कूलों के माध्यम से शिक्षा और संस्कार।
  • युवाओं में सामाजिक सेवा और नेतृत्व का प्रशिक्षण।
  • वैश्विक स्तर पर हिंदू संस्कृति और सनातन परंपरा का प्रचार

5. नेतृत्व और शिक्षा

5.1 प्रमुख सरसंघ चालक

नाम कार्यकाल शिक्षा/योग्यता
डॉ. हेडगेवार 1925–1940 MBBS
लक्ष्मण वासुदेव परांजपे 1940–1946 MBBS
गुरु गोलवलकर 1946–1973 BSc, MSc, LLB
मधुकर दत्तात्रेय 1973–1983 LLB
रज्जू भैया 1983–1990 BSc, MSc, PhD
सुदर्शन 1990–2000 B.E.
मोहन भागवत 2009–वर्तमान Veterinary Science Graduate

विशेषताएँ:

  • उच्च शिक्षा प्राप्त नेतृत्व
  • झुकना, डरना और दबना संघ की शिक्षा में शून्य अंक

5.2 प्रशिक्षण प्रणाली

  1. Shakha Level: साप्ताहिक बैठक, शारीरिक प्रशिक्षण, राष्ट्रभक्ति गीत
  2. District & State Level Camps: नेतृत्व और सेवा कार्य प्रशिक्षण
  3. National Level Programs: नीति निर्धारण, महासभाएँ, वैश्विक सहयोग

6. विचारधारा और सिद्धांत

  • राष्ट्रप्रेम, अनुशासन, संस्कृति संरक्षण
  • संविधान और कानून का सम्मान, Uniform Civil Code का समर्थन
  • जाति, धर्म, भाषा से ऊपर राष्ट्र प्रथम
  • समाज सेवा और मानवता

7. समाज सेवा और मानवता में योगदान

7.1 आपदा राहत कार्य

  • उड़ीसा साइक्लोन, भोपाल गैस त्रासदी, उत्तराखंड बाढ़, अंतरराष्ट्रीय आपदाएँ

7.2 युद्ध और सीमा सुरक्षा

  • 1962 – भारत-चीन युद्ध
  • 1965 – भारत-पाक युद्ध
  • बिना सैन्य प्रशिक्षण के स्वयंसेवकों का साहस

7.3 विभाजन और शरणार्थी सहायता

  • 3000+ राहत शिविर
  • भोजन, आश्रय, चिकित्सा

7.4 1984 सिख दंगे

  • निर्दोष सिखों को आश्रय और सुरक्षा

7.5 शिक्षा और सांस्कृतिक योगदान

  • Vidya Bharati, Seva Dal, Global Outreach

8. 100 साल की उपलब्धियाँ

  • राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रभक्ति का प्रचार
  • समाज सेवा में अद्वितीय योगदान
  • शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से शिक्षा
  • वैश्विक स्तर पर स्वयंसेवकों का नेटवर्क
  • संविधान और कानून का सम्मान, UCC का समर्थन
  • करोड़ों स्वयंसेवक और लाखों परिवारों में सक्रिय योगदान

9. विवाद और आलोचना का निष्पक्ष विश्लेषण

  • कभी RSS को कम्युनल या मुस्लिम विरोधी कहा गया।
  • तथ्य: Muslim Manch और मुस्लिम स्वयंसेवक संगठन से जुड़े।
  • उद्देश्य हमेशा संविधान और राष्ट्रीय एकता पर आधारित।

10. 🗣️ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी समारोह में संबोधन के मुख्य बिंदु:

कल, 1 अक्टूबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी समारोह में संबोधन दिया। इस अवसर पर उन्होंने RSS के योगदान को सराहा और वर्तमान चुनौतियों पर विचार व्यक्त किए।

RSS की शताब्दी पर सराहना:

  • प्रधानमंत्री मोदी ने RSS की 100 वर्षों की यात्रा को राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण बताया।
  • उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से लेकर वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत तक के योगदान को सराहा।

वर्तमान चुनौतियाँ:

  • प्रधानमंत्री ने 'जनसांख्यिकीय परिवर्तन' को सामाजिक सद्भाव के लिए एक बड़ा खतरा बताया।
  • उन्होंने इसे भारत की आंतरिक सुरक्षा और शांतिपूर्ण भविष्य से जुड़ा मुद्दा बताया और इसके प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता व्यक्त की।

संघ के पंच परिवर्तन:

  • प्रधानमंत्री ने संघ के पंच परिवर्तन – स्वबोध, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक शिष्टाचार और पर्यावरण – को राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण बताया।
  • उन्होंने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में इन मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता जताई।

RSS का सामाजिक योगदान:

  • प्रधानमंत्री ने RSS के समाज में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ निरंतर संघर्ष को सराहा।
  • उन्होंने महात्मा गांधी के संघ के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का उल्लेख किया।

समारोह में जारी सिक्का और डाक टिकट:

  • प्रधानमंत्री ने स्वतंत्र भारत में पहली बार 'भारत माता' की छवि वाले ₹100 के सिक्के और डाक टिकट का विमोचन किया।
  • इस सिक्के पर राष्ट्रीय प्रतीक और संघ का आदर्श वाक्य "राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय, इदं न मम" अंकित है।
  • प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन RSS के शताब्दी वर्ष के अवसर पर संघ के योगदान को मान्यता देने और वर्तमान चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास था।


11. निष्कर्ष

RSS केवल संगठन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना, अनुशासन और मानवता की सेवा का प्रतीक है।
विवादों के बावजूद, इसका मूल उद्देश्य राष्ट्र और समाज की सेवा रहा है।
शताब्दी वर्ष 2025 RSS के लिए समानुभूति, सेवा और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है।



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