Dashahra 2025: विचारों में बढ़ रहा रावणत्व और रावण के पुतले

Sooraj Krishna Shastri
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विजयदशमी पर रावण के पुतले हर साल जलाए जाते हैं, लेकिन क्या हमारे विचारों में छिपा रावण भी जलता है? आज समाज में भ्रष्टाचार, अपराध, महिलाओं व बच्चों के खिलाफ हिंसा और साइबर फ्रॉड लगातार बढ़ रहे हैं। Transparency International के 2024 भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत का स्कोर 38 रहा, जबकि महिलाओं पर अपराध के 4.5 लाख मामले दर्ज हुए। यही दर्शाता है कि “विचारों में रावणत्व बढ़ रहा” और “रावण के पुतले बड़े हो रहे हैं” केवल प्रतीकात्मक कथन नहीं, बल्कि कड़वी सच्चाई है। यह लेख रामायण, गीता और आधुनिक आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण करता है कि आज असली दशहरा मनाने के लिए हमें अपने भीतर के अहंकार, लोभ, क्रोध और अन्याय को जलाना होगा। पढ़ें कैसे समाज में रावणत्व घटाकर सच्चा रामत्व जाग्रत किया जा सकता है।


Dashahra 2025: विचारों में बढ़ रहा रावणत्व और रावण के पुतले

प्रस्तावना

विजयदशमी भारत का एक ऐसा पर्व है, जो हर वर्ष हमें यह याद दिलाता है कि सत्य की विजय और असत्य का पतन अनिवार्य है। राम और रावण के युद्ध का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों वर्ष पहले था। किंतु विडम्बना यह है कि हर साल रावण के पुतले भले ही जलाए जाते हैं, परंतु समाज और मनुष्य के भीतर बैठे रावण और भी अधिक प्रबल होते जा रहे हैं। यही कारण है कि आज यह कहना पड़ता है—
👉 “विचारों में रावणत्व बढ़ रहा है और रावण के पुतले बड़े हो रहे हैं।”


रावणत्व का प्रतीकात्मक अर्थ

रावण केवल एक ऐतिहासिक या पौराणिक चरित्र नहीं है। वह उन सभी नकारात्मक प्रवृत्तियों का प्रतीक है, जिनसे मनुष्य पतन की ओर जाता है।

  • अहंकार और दंभ – स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानना।
  • वासना और लोभ – भौतिकता और इंद्रिय भोग की अंधी दौड़।
  • क्रोध और हिंसा – असहनशीलता और प्रतिशोध की भावना।
  • अन्याय और छल – धर्म, नीति और करुणा से विमुख होना।

आज का समाज देखें तो यही प्रवृत्तियाँ—भ्रष्टाचार, अपराध, हिंसा, लालच और स्वार्थ—चारों ओर फैलती जा रही हैं।

Dashahra 2025: विचारों में बढ़ रहा रावणत्व और रावण के पुतले
Dashahra 2025: विचारों में बढ़ रहा रावणत्व और रावण के पुतले

रावण के पुतले बड़े हो रहे हैं – प्रतीक और वास्तविकता

त्योहारों में हर साल रावण का पुतला पहले से ऊँचा और विशाल बनाया जाता है। यह दर्शाता है कि हम दिखावे में बुराई का दहन करते हैं, पर असल में भीतर और बाहर दोनों स्तर पर बुराई बढ़ती जाती है।

आँकड़ों से प्रमाण – आज का रावण

  1. भ्रष्टाचार (Corruption Perceptions Index 2024)

    • भारत का स्कोर 38 है और रैंकिंग 96वीं।
    • 2023 की तुलना में गिरावट आई है।
      👉 यानी जनता की नज़र में भ्रष्टाचार की स्थिति सुधर नहीं रही।
  2. अपराध दर (Crime Rate in India 2024)

    • भारत में औसत अपराध दर 422.2 प्रति 1,00,000 लोग।
    • महानगरों में अपराधों का प्रतिशत 14.65% जबकि जनसंख्या मात्र 8.12%।
    • लखनऊ जैसे शहरों में अपराध के मामलों में 54% की वृद्धि (2023 की तुलना में)।
  3. महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध

    • 2023 में महिलाओं के खिलाफ 4.5 लाख मामले दर्ज।
    • बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9.2% वृद्धि
      👉 यह दर्शाता है कि नारी-शक्ति और बाल-संरक्षण, जो समाज की नींव हैं, खतरे में हैं।
  4. साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी

    • 2024 तक 9.94 लाख शिकायतें दर्ज।
    • ₹3,431 करोड़ की धोखाधड़ी रोकी गई, पर शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
      👉 तकनीक का दुरुपयोग भी नया “रावणत्व” बन चुका है।

शास्त्रों और चिंतकों का दृष्टिकोण

  • भगवद्गीता (16.4): अहंकार, घमंड, क्रोध, कठोरता और अज्ञान—ये सब आसुरी संपदा के लक्षण बताए गए हैं।
  • रामचरितमानस: तुलसीदास ने मानव-जीवन का महत्व धर्म और साधना के लिए बताया, न कि लोभ और वासना के लिए।
  • स्वामी विवेकानंद: “बाहरी राक्षस से डरने की आवश्यकता नहीं है, असली राक्षस हमारे भीतर बैठे हैं।”

सामाजिक परिप्रेक्ष्य

आज का समाज शिक्षा, विज्ञान और तकनीक में आगे बढ़ा है, लेकिन नैतिकता, मूल्य और आत्मसंयम में कमजोर होता जा रहा है।

  • भ्रष्टाचार राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर बढ़ता है।
  • महिला असुरक्षा रावणत्व की चरम अभिव्यक्ति है, जहाँ “सीता-हरण” आधुनिक रूप में रोज हो रहा है।
  • साइबर अपराध यह दर्शाता है कि आधुनिक युग का रावण केवल धन और सत्ता नहीं, बल्कि तकनीकी शक्ति का दुरुपयोग भी कर रहा है।

समाधान – असली दशहरा कैसे मनाएँ?

  1. आत्मचिंतन और आत्मसंयम – भीतर के रावण की पहचान और उसका दमन।
  2. शिक्षा और मूल्यसंस्कार – बच्चों में सत्य, सेवा और करुणा की शिक्षा।
  3. नैतिक नेतृत्व – समाज और राजनीति में ईमानदारी को बढ़ावा।
  4. सत्संग और आध्यात्मिकता – धर्मग्रंथों और आदर्शों से प्रेरणा लेना।
  5. सामाजिक सहयोग – अपराध और अन्याय के विरुद्ध सामूहिक आवाज़ उठाना।

Corruption Perceptions Index (India) - 2023 vs 2024
Corruption Perceptions Index (India) - 2023 vs 2024


निष्कर्ष

आज आवश्यकता है कि हम केवल बाहरी पुतले न जलाएँ, बल्कि भीतरी रावण को भी जलाएँ।
जब—

  • अहंकार के स्थान पर विनम्रता,
  • लोभ के स्थान पर संतोष,
  • क्रोध के स्थान पर क्षमा,
  • और स्वार्थ के स्थान पर सेवा
    स्थापित होगी, तभी सच्चे अर्थों में दशहरा मनाया जाएगा।

👉 तभी यह कहा जा सकेगा कि “राम हमारे भीतर जाग गए हैं” और “रावण के पुतले छोटे होने लगे हैं”



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