संस्कृत श्लोक "विद्या शस्त्रस्य शास्त्रस्य द्वे विद्ये प्रतिपत्तये" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "विद्या शस्त्रस्य शास्त्रस्य द्वे विद्ये प्रतिपत्तये" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

यह श्लोक ज्ञान के दो प्रकारों — शस्त्र-विद्या (अर्थात् आयुध-कलाएँ / युद्ध-कौशल) और शास्त्र-विद्या (अर्थात् ग्रन्थीय/सैद्धान्तिक/धार्मिक/दार्शनिक ज्ञान) — के विषय में नीति-वाक्य के रूप में कहता है।


१. श्लोक का संस्कृत मूल (पारंपरिक रूप)

विद्या शस्त्रस्य शास्त्रस्य द्वे विद्ये प्रतिपत्तये ।
आद्या हास्याय वृद्धत्वे द्वितीया द्रियते सदा ॥


२. अंग्रेज़ी ट्रान्सलिटरेशन (IAST)

vidyā śastrasya śāstrasya dve vidye pratipattaye ।
ādyā hāsyāya vṛddhatve dvitīyā driyate sadā ॥

संस्कृत श्लोक "विद्या शस्त्रस्य शास्त्रस्य द्वे विद्ये प्रतिपत्तये" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "विद्या शस्त्रस्य शास्त्रस्य द्वे विद्ये प्रतिपत्तये" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 



३. शाब्दिक हिन्दी अर्थ (Word-by-Word Meaning)

  • विद्या — ज्ञान
  • शस्त्रस्य — शस्त्र (हथियार/युद्ध-कला) का
  • शास्त्रस्य — शास्त्र (ग्रंथ, नीति, वेद-ज्ञान) का
  • द्वे — दो
  • विद्ये — विद्याएँ
  • प्रतिपत्तये — अर्जन/प्राप्ति के लिए
  • आद्या — पहली (यहाँ: शस्त्र-विद्या)
  • हास्याय — हास्य का कारण बनने हेतु
  • वृद्धत्वे — वृद्धावस्था में
  • द्वितीया — दूसरी (यहाँ: शास्त्र-विद्या)
  • द्रियते — सम्मानित होती है / मूल्यवान मानी जाती है
  • सदा — हमेशा

४. सरल हिन्दी अनुवाद

शस्त्र-विद्या और शास्त्र-विद्या — इन दो प्रकार की विद्या होती हैं। वृद्धावस्था में शस्त्र-विद्या हँसी का कारण बनती है, जबकि शास्त्र-विद्या सदा मान-सम्मान पाती है।


५. अंग्रेज़ी अनुवाद (English Translation)

There are two kinds of learning — mastery of weapons (martial arts) and mastery of scriptures (scholarly wisdom). In old age, martial skills often become a cause for amusement, but scriptural knowledge remains respected at all times.


६. व्याकरणिक विश्लेषण (Grammatical Analysis)

पद प्रकार लिंग/वचन/कारक मूल शब्द अर्थ
विद्या संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन, प्रथमा विद्या ज्ञान
शस्त्रस्य संज्ञा नपुंसकलिंग, एकवचन, षष्ठी शस्त्र हथियार
शास्त्रस्य संज्ञा नपुंसकलिंग, एकवचन, षष्ठी शास्त्र ग्रंथ/धर्म/विज्ञान
द्वे संख्यावाचक स्त्रीलिंग, द्विवचन, प्रथमा द्वि दो
विद्ये संज्ञा स्त्रीलिंग, द्विवचन, प्रथमा विद्या विद्याएँ
प्रतिपत्तये संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन, चतुर्थी प्रतिपत्ति प्राप्ति के लिए
आद्या विशेषण स्त्रीलिंग, एकवचन, प्रथमा आदि पहली
हास्याय संज्ञा नपुंसकलिंग, एकवचन, चतुर्थी हास्य हँसी के लिए
वृद्धत्वे संज्ञा नपुंसकलिंग, एकवचन, सप्तमी वृद्धत्व वृद्धावस्था में
द्वितीया विशेषण स्त्रीलिंग, एकवचन, प्रथमा द्वितीय दूसरी
द्रियते क्रिया लट् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन, आत्मनेपदी द्री सम्मानित होना
सदा अव्यय सदा हमेशा

७. आधुनिक सन्दर्भ (Modern Relevance)

  • शारीरिक कौशल (Sports, Martial Arts, Military) — युवावस्था में उपयोगी, पर वृद्धावस्था में सक्रिय अभ्यास कठिन और हास्यजनक हो सकता है।
  • ज्ञान-कौशल (Academics, Research, Philosophy) — उम्र के साथ और गहरा, परिपक्व, और सम्मानित होता है।
  • संदेश: जीवन में दीर्घकालिक प्रतिष्ठा के लिए केवल बल-प्रदर्शन नहीं, बल्कि ज्ञान-संचय आवश्यक है।

८. संवादात्मक नीति-कथा

शीर्षक: "तलवार और पुस्तक"

एक गाँव में दो मित्र थे — वीरेंद्र, जो तलवार चलाने में माहिर था, और ज्ञानेश, जो पुस्तकों और शास्त्रों में निपुण था।
युवा होने पर लोग वीरेंद्र की बहादुरी के किस्से सुनाते, और ज्ञानेश की शांति पर कम ध्यान देते।
वर्षों बाद, जब वीरेंद्र बूढ़ा हो गया, उसने एक बार फिर तलवारबाज़ी दिखाने की कोशिश की — लोग मुस्कुरा दिए।
उसी समय, ज्ञानेश के पास लोग कठिन प्रश्न लेकर आते, और उसकी बातें सबके दिल को छू जातीं।
तब गाँववालों ने कहा — “शक्ति क्षणभंगुर है, पर ज्ञान अमर और सदैव आदरणीय।”

नीति: अस्थायी बल से अधिक, स्थायी ज्ञान का अर्जन करना श्रेष्ठ है।


९. सारांश (Takeaway Table)

क्रम विद्या का प्रकार युवा अवस्था में वृद्धावस्था में दीर्घकालिक मान
1 शस्त्र-विद्या सम्मान/प्रशंसा हास्य/सीमा कम
2 शास्त्र-विद्या सम्मान और अधिक सम्मान अधिकतम

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