संस्कृत श्लोक "वाक्सायका वदनान्निष्पतन्ति" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
१. संस्कृत मूल श्लोक
वाक्सायका वदनान्निष्पतन्ति
यैराहतः शोचति रात्र्यहानि ।
परस्परं मर्मसु ते पतन्ति
तान् पण्डितो नापसृजेत्परेषु ॥
२. अंग्रेज़ी ट्रान्सलिटरेशन (IAST)
vāksāyakā vadanān niṣpatanti
yair āhataḥ śocati rātryahāni ।
parasparaṃ marmasu te patanti
tān paṇḍito nāpasṛjet pareṣu ॥
३. पद-पद अर्थ (Word-by-Word Meaning)
संस्कृत पद | प्रकार | अर्थ |
---|---|---|
वाक् | संज्ञा | वाणी, speech |
सायका | संज्ञा | बाण, arrow |
वदनात् | संज्ञा (पञ्चमी) | मुख से, from the mouth |
निष्पतन्ति | क्रिया | निकलते हैं, come out |
यैः | सर्वनाम | जिनसे, by which |
आहतः | कृदन्त | घायल, struck |
शोचति | क्रिया | दुखी होता है, grieves |
रात्र्यहानि | द्वन्द्व | रात और दिन |
परस्परम् | क्रिया विशेषण | एक-दूसरे पर, mutually |
मर्मसु | संज्ञा (सप्तमी) | संवेदनशील अंगों में, vital spots |
ते | सर्वनाम | वे, they |
पतन्ति | क्रिया | गिरते हैं, fall |
तान् | सर्वनाम | उन्हें, those |
पण्डितः | संज्ञा | बुद्धिमान, wise man |
न अपसृजेत् | क्रिया | न छोड़े, should not let go |
परेषु | सर्वनाम (सप्तमी) | दूसरों पर, on others |
४. सरल हिन्दी अनुवाद
वचन रूपी बाण मुख से निकलते हैं, और जिन पर लगते हैं वे दिन-रात दुखी रहते हैं। ये बाण अक्सर दूसरों के संवेदनशील (कमज़ोर) स्थान पर लगते हैं। अतः पण्डित व्यक्ति ऐसे वचनों को दूसरों पर नहीं छोड़ता।
५. English Translation
Words are like arrows that fly from the mouth. The one struck by them grieves day and night. They often land on the most vulnerable spots of others. Therefore, a wise person never releases such arrows at others.
६. व्याकरणिक विश्लेषण (Grammatical Analysis)
- वाक्-सायका — समास (कर्मधारय), “वचन रूपी बाण”
- वदनात् — पञ्चमी विभक्ति, “मुख से”
- निष्पतन्ति — लट् लकार, प्रथम पुरुष, बहुवचन, “निकलते हैं”
- आहतः — कृत-प्रत्यय (कृदन्त), “घायल हुआ”
- रात्र्यहानि — द्वन्द्व समास, “रात और दिन”
- मर्मसु — सप्तमी बहुवचन, “मर्मस्थानों में”
- न अपसृजेत् — लोट् लकार, विधिलिङ् भाव, “न छोड़ना चाहिए”
७. आधुनिक सन्दर्भ (Modern Relevance)
- आज के समय में कठोर और कटु वचन भी सोशल मीडिया, कार्यस्थल या परिवार में उतना ही गहरा आघात पहुँचाते हैं जितना किसी शारीरिक चोट से होता है।
- "Once said, never taken back" — बोला गया शब्द वापस नहीं आता, और उसका असर लंबे समय तक रहता है।
- बुद्धिमान व्यक्ति बोलने से पहले सोचता है कि उसके शब्द किसी को चोट तो नहीं देंगे।
८. संवादात्मक नीति-कथा
शीर्षक: "तीर और शब्द"
एक नगर में एक युवक था जो गुस्से में कठोर बातें कह देता था। उसके गुरु ने उसे हर बार अपशब्द बोलने पर एक लकड़ी में कील ठोकने को कहा। कुछ दिनों में लकड़ी कील से भर गई।
गुरु ने कहा — “अब हर बार जब तुम संयम रखो, एक कील निकालना।”
धीरे-धीरे सभी कीलें निकल गईं।
गुरु ने लकड़ी दिखाकर कहा — “देखो, कीलें तो निकल गईं, लेकिन छेद रह गए। ऐसे ही कटु वचन मन में घाव छोड़ जाते हैं।”
नीति: शब्द तीर जैसे होते हैं — निकलने के बाद वापस नहीं आते, और उनके घाव लंबे समय तक रहते हैं।
९. सार-सूत्र (Takeaway)
विषय | शस्त्र | वाणी |
---|---|---|
प्रभाव | क्षणिक चोट | दीर्घकालिक मानसिक घाव |
वापसी | वापस ली जा सकती | वापस नहीं ली जा सकती |
बुद्धिमानी | सोचकर प्रयोग | सोचकर बोलना |