Asato’pi Bhavati Gunavaan – चरित्र और उत्पत्ति पर अद्भुत नीति श्लोक | Niti Shlok on Character and Origin

Sooraj Krishna Shastri
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यह संस्कृत श्लोक बताता है कि श्रेष्ठता जन्म से नहीं, गुणों से होती है। कीचड़ में कमल की तरह, साधारण से भी महानता उत्पन्न हो सकती है।

Asato’pi Bhavati Gunavaan – चरित्र और उत्पत्ति पर अद्भुत नीति श्लोक | Niti Shlok on Character and Origin


🕉️ 1. श्लोक

असतोऽपि भवति गुणवान् सद्भ्योऽपि परं भवन्त्यसद्वृत्ताः।
पङ्कादुदेति कमलं क्रिमयः कमलादपि भवन्ति॥


✍️ 2. English Transliteration

Asato’pi bhavati guṇavān sadbhyo’pi paraṃ bhavanty asadvṛttāḥ ।
Paṅkād udeti kamalaṃ krimayaḥ kamalād api bhavanti ॥


🌿 3. हिन्दी अनुवाद

दुष्ट कुल से भी कभी-कभी गुणवान व्यक्ति उत्पन्न हो सकता है, और सद्गुणी परिवार से भी दुर्वृत्ति वाले लोग जन्म ले सकते हैं। जैसे कीचड़ से सुंदर कमल उत्पन्न होता है, वैसे ही कमल से भी कीड़े (कृमि) उत्पन्न होते हैं।

Asato’pi Bhavati Gunavaan – चरित्र और उत्पत्ति पर अद्भुत नीति श्लोक | Niti Shlok on Character and Origin
Asato’pi Bhavati Gunavaan – चरित्र और उत्पत्ति पर अद्भुत नीति श्लोक | Niti Shlok on Character and Origin



🪷 4. शब्दार्थ

संस्कृत शब्द अर्थ
असतः दुष्ट या अधार्मिक व्यक्ति से
अपि भी
भवति उत्पन्न होता है / बनता है
गुणवान् सद्गुणों से युक्त व्यक्ति
सद्भ्यः सज्जनों से, सद्गुणी लोगों से
परम् आगे, उच्चतर, श्रेष्ठ या विपरीत
भवन्ति बन जाते हैं / उत्पन्न होते हैं
असद्वृत्ताः दुष्ट आचरण वाले लोग
पङ्कात् कीचड़ से
उदेति उत्पन्न होता है, प्रकट होता है
कमलम् कमल पुष्प
क्रिमयः कीड़े
कमलात् अपि कमल से भी
भवन्ति उत्पन्न होते हैं

📘 5. व्याकरणात्मक विश्लेषण

  1. असतः / सद्भ्यः — षष्ठी विभक्ति, एकवचन / बहुवचन; सम्बन्ध सूचक (से, का)।
  2. भवति / भवन्ति — “भू” धातु, लट् लकार, वर्तमान काल (होता है / होते हैं)।
  3. गुणवान् / असद्वृत्ताः — विशेषण रूप; सद्गुण या दुर्वृत्ति से युक्त व्यक्ति।
  4. पङ्कात् / कमलात् — पञ्चमी विभक्ति, एकवचन (से, से निकलकर)।
  5. उदेति — “उद् + इ” धातु, वर्तमान काल; अर्थ: ऊपर उठना, उत्पन्न होना।
  6. क्रिमयः — प्रथमा विभक्ति, बहुवचन (कीड़े)।

🌏 6. आधुनिक सन्दर्भ

यह श्लोक सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से अत्यंत व्यावहारिक संदेश देता है—

  • मनुष्य का मूल्य उसकी उत्पत्ति से नहीं, उसके गुण और आचरण से आँका जाना चाहिए।
  • कभी-कभी सज्जन परिवारों से भी दुर्वृत्ति वाले व्यक्ति उत्पन्न हो जाते हैं, और साधारण या दुष्ट परिवारों से भी महान आत्माएँ जन्म लेती हैं।
  • जैसे कीचड़ में कमल खिलता है, वैसे ही कठिन परिस्थितियों में भी महानता संभव है।
  • यह श्लोक हमें यह भी सिखाता है कि हमें किसी का निर्णय उसकी पृष्ठभूमि से नहीं, बल्कि उसके कर्मों से करना चाहिए।

🎭 7. संवादात्मक नीति कथा (Moral Story in Dialogue Form)

स्थान – एक आश्रम में, गुरु और शिष्य के मध्य वार्ता।

शिष्य: गुरुदेव, लोग कहते हैं कि उच्च कुल में जन्म लेने वाला ही श्रेष्ठ होता है। क्या यह सत्य है?

गुरु: नहीं वत्स, श्रेष्ठता जन्म से नहीं, गुणों से होती है।

शिष्य: परंतु दुष्ट वंश से कोई अच्छा कैसे हो सकता है?

गुरु: वत्स, देखो — कमल गंदे कीचड़ में भी खिलता है और उसकी सुगंध संसार को पवित्र कर देती है।

शिष्य: तब तो विपरीत भी संभव है?

गुरु: हाँ, कमल से भी कीड़े उत्पन्न होते हैं। इसलिए हमें कुल नहीं, चरित्र देखना चाहिए।

शिष्य: अब समझ गया, मनुष्य की महानता उसके कर्म से होती है, न कि जन्म से।


🌺 8. निष्कर्ष (Conclusion)

  • यह श्लोक हमें सिखाता है कि “जन्म नहीं, गुण ही पहचान है।”
  • सच्चा मनुष्य वह है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सद्गुणों को विकसित करे।
  • समाज में किसी की पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
  • इस नीति में समता, नैतिकता और विवेक का सन्देश निहित है।

नीति-सूत्र:
“कीचड़ में भी कमल खिले, और कमल से भी कीड़े उत्पन्न हों — यह संसार का स्वभाव है। विवेकवान् वही है जो कीचड़ में कमल बनने का प्रयास करे।” 🌷



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