संस्कृत व्याकरण में उपसर्ग (Upasarga) के 22 प्रकार, उनके अर्थ, सूत्र, उदाहरण, और संधि नियम सहित यहाँ सरल भाषा में विस्तारपूर्वक समझाए गए हैं।
संस्कृत व्याकरण में उपसर्ग (Upasarga in Sanskrit Grammar) – सूत्र, अर्थ, उदाहरण और संधि सहित पूर्ण विवरण
📚 संस्कृत व्याकरण में उपसर्ग (Prefix in Sanskrit Grammar)
(सूत्र, अर्थ, उदाहरण एवं संधि-परिवर्तन सहित विस्तृत विवेचन)
🔹 १. उपसर्ग की संज्ञा (Definition of Upasarga)
📘 सूत्र —
उपसर्गाः क्रियायोगे (अष्टा. १।४।५९)
🪶 उदाहरण:
- प्र + गम् = प्रगच्छति → “आगे जाता है” (उपसर्ग संज्ञा)
- प्रातः → “प्र” अकेला प्रयोग (केवल अव्यय, उपसर्ग नहीं)
🔹 २. उपसर्ग की गति-संज्ञा (Gati Saṃjñā)
📘 सूत्र —
गतिश्च (अष्टा. १।४।६०)
🔹 ३. उपसर्गों की संख्या (Number of Upasargas)
पाणिनि के अनुसार संस्कृत में २२ उपसर्ग (Dvāviṃśati Upasargāḥ) माने गए हैं।
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| संस्कृत व्याकरण में उपसर्ग (Upasarga in Sanskrit Grammar) – सूत्र, अर्थ, उदाहरण और संधि सहित पूर्ण विवरण |
🔹 ४. २२ उपसर्ग — अर्थ, धातु एवं उदाहरण सहित
| क्रम | उपसर्ग | सामान्य अर्थ | धातु / शब्द | उदाहरण (क्रियापद) |
|---|---|---|---|---|
| 1 | प्र | आगे, श्रेष्ठ, आरम्भ | गम् | प्रगच्छति – आगे जाता है |
| 2 | परा | विपरीत, पीछे, त्याग | जि | पराजयते – हारता है |
| 3 | अप | दूर, निषेध, हीनता | हर | अपहरति – चोरी करता है |
| 4 | सम् | साथ, पूर्णता | कृ | संस्करोति – संस्कार करता है |
| 5 | अनु | पीछे, समानता | भू | अनुभवति – अनुभव करता है |
| 6 | अव | नीचे, बुरा | ज्ञा | अवगच्छति – समझता है |
| 7 | निस् / निर् | बाहर, निषेध | गम् | निर्गच्छति – बाहर जाता है |
| 8 | दुस् / दुर् | कठिन, बुरा | गम् | दुर्गच्छति – कठिनाई से जाता है |
| 9 | वि | विशेष, अलगाव | कृ | विकरोति – रूपांतर करता है |
| 10 | आङ् (आ) | ओर, समीप, विपरीत | गम् | आगच्छति – आता है |
| 11 | नि | नीचे, भीतर | पत् | निपतति – गिरता है |
| 12 | अधि | ऊपर, श्रेष्ठता | स्था | अधितिष्ठति – अधिकार करता है |
| 13 | अपि | समीप, आवरण | धा | अपिदधाति – ढक देता है |
| 14 | अति | अतिक्रमण, अधिकता | वृत् | अतिवर्तते – उल्लंघन करता है |
| 15 | सु | शुभ, सरलता | लभ | सुलभते – सहज प्राप्त होता है |
| 16 | उत् / उद् | ऊपर, उत्थान | स्था | उत्तिष्ठति – उठता है |
| 17 | अभि | सामने, ओर | वद् | अभिवदति – अभिवादन करता है |
| 18 | प्रति | प्रति, विपरीत, प्रत्येक | इ | प्रतिऐति – लौटता है |
| 19 | परि | चारों ओर, पूर्णता | भू | परिभवति – तिरस्कृत होता है |
| 20 | उप | समीप, गौणता | कृ | उपकरोति – उपकार करता है |
| 21 | सु / शोभन | सुंदर, शुभ | कृ | सुकृतम् – शुभ कार्य |
| 22 | आति / अनुति (विकल्प रूप) | विशेष या परे | तप् | आतितप्यते – अत्यधिक तप करता है |
🔹 ५. संधि-परिवर्तन में उपसर्गों के विशेष नियम
(A) सम् (Sam) उपसर्ग
सूत्र:
मोऽनुस्वारः (८.३.२३)अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः (८.४.५८)
नियम एवं उदाहरण:
- यदि ‘सम्’ के बाद व्यंजन आता है → ‘म्’ → अनुस्वार बनता है👉 सम् + कृत = संस्कृत
- यदि ‘सम्’ के बाद स्पर्श वर्ण (क–न वर्ग) आए → ‘म्’ परसवर्ण में बदल जाता है👉 सम् + कल्प = सङ्कल्प👉 सम् + चय = सञ्चय
(B) निस् / दुस् (Nis / Dus) उपसर्ग
सूत्र:
विसर्जनीयस्य सः (८.३.३४), इण्कोः (८.३.५८)
परिवर्तन एवं उदाहरण:
- निस् + चल = निश्छल (श्)
- दुस् + कर = दुष्कर (ष्)
- निस् + बल = निर्बल (र्)
🔹 ६. उपसर्गों का धातु पर प्रभाव (Effect on Root Meaning)
| प्रकार | विवरण | उदाहरण |
|---|---|---|
| 1. अर्थ-परिवर्तन (Semantic Shift) | धातु का मूल अर्थ बदल जाता है | हार (माला) → प्रहार (मारना), आहार (भोजन) |
| 2. अर्थ-बल (Intensification) | अर्थ में बल या विशेषता आती है | शास् → अनुशास् (सुसंगठित शासन) |
| 3. अर्थ-निषेध (Negation / Reversal) | विपरीत अर्थ व्यक्त होता है | इ → प्रतिऐति (लौटता है) |
🔹 ७. उपसर्ग और धातु का प्रयोगिक भेद
| स्थिति | नाम | उदाहरण |
|---|---|---|
| क्रिया से संयुक्त | उपसर्ग | प्र + गम् → प्रगच्छति |
| क्रिया से पृथक | गति / अव्यय | प्रातः, परम् |
🌿 उपसर्गों के ५० प्रमुख उदाहरण (50 Important Examples of Sanskrit Prefixes)
| क्रम | उपसर्ग | सामान्य अर्थ | उदाहरण | रूपांतरित अर्थ |
|---|---|---|---|---|
| 1 | प्र | आगे, श्रेष्ठ, आरंभ | प्र + भवति → प्रभवति | उत्पन्न होता है |
| प्र + चारः → प्रचारः | प्रसिद्धि, फैलाव | |||
| प्र + नमति → प्रणमति | प्रणाम करता है | |||
| 2 | परा | विपरीत, पीछे | परा + जयते → पराजयते | हारता है |
| परा + मर्शः → परामर्शः | सलाह | |||
| 3 | अप | दूर, हीनता | अप + हरति → अपहरति | चोरी करता है |
| अप + मानः → अपमानः | निरादर | |||
| 4 | सम् | साथ, पूर्णता | सम् + कृ → संस्करोति | सुधार करता है |
| सम् + गमः → संगमः | मिलन | |||
| सम् + वदति → संवादति | बातचीत करता है | |||
| 5 | अनु | पीछे, समानता | अनु + भवति → अनुभवति | अनुभव करता है |
| अनु + सारः → अनुसारः | अनुरूप | |||
| अनु + गच्छति → अनुगच्छति | पीछे जाता है | |||
| 6 | अव | नीचे, हीनता | अव + तरति → अवतरेत् | उतरता है |
| अव + ज्ञा → अवजानाति | तिरस्कार करता है | |||
| 7 | निस्/निर् | बिना, बाहर | निर् + गच्छति → निर्गच्छति | बाहर जाता है |
| निर् + दोषः → निर्दोषः | दोषरहित | |||
| 8 | दुस्/दुर् | बुरा, कठिन | दुर् + जनः → दुर्जनः | बुरा व्यक्ति |
| दुर् + बोधम् → दुर्बोधम् | कठिन ज्ञान | |||
| 9 | वि | विशेष, भिन्नता | वि + जयः → विजयः | जीत |
| वि + हारः → विहारः | भ्रमण | |||
| 10 | आङ् (आ) | ओर, पूर्णता | आ + गच्छति → आगच्छति | आता है |
| आ + दानम् → आदानम् | ग्रहण | |||
| 11 | नि | नीचे, भीतर | नि + पतति → निपतति | गिरता है |
| नि + यमः → नियमः | नियंत्रण | |||
| 12 | अधि | ऊपर, प्रधानता | अधि + कारः → अधिकारः | अधिकार |
| अधि + तिष्ठति → अधितिष्ठति | शासन करता है | |||
| 13 | अपि | समीप, आवरण | अपि + धानम् → अपिधानम् | ढक्कन |
| 14 | अति | अतिरेक, परे | अति + क्रमति → अतिक्रामति | उल्लंघन करता है |
| अति + शयः → अतिशयः | अत्यधिक | |||
| 15 | सु | अच्छा, सरल | सु + गमः → सुगमः | आसान मार्ग |
| सु + पुत्रः → सुपुत्रः | अच्छा बेटा | |||
| 16 | उत्/उद् | ऊपर, उत्थान | उद् + भवः → उद्भवः | उत्पत्ति |
| उत् + तिष्ठति → उत्तिष्ठति | उठता है | |||
| 17 | अभि | सामने, ओर | अभि + वदति → अभिवदति | अभिवादन करता है |
| अभि + नयः → अभिनयः | अभिनय | |||
| 18 | प्रति | विपरीत, ओर | प्रति + दिनम् → प्रतिदिनम् | हर रोज |
| प्रति + कारः → प्रतिकारः | बदला | |||
| 19 | परि | चारों ओर | परि + भ्रमणम् → परिभ्रमणम् | परिक्रमा |
| परि + त्यागः → परित्यागः | त्याग करना | |||
| 20 | उप | समीप, गौण | उप + देशः → उपदेशः | शिक्षा |
| उप + नयति → उपनयति | पास ले जाना | |||
| 21 | अ | नकारात्मकता | अ + न्यायः → अन्यायः | अन्याय |
| अ + विद्या → अविद्या | अज्ञान | |||
| 22 | नि: (निः) | बिना, बाहर | निः + स्वः → निःस्वः | निर्धन |
| निः + शब्दः → निःशब्दः | मौन |
📚 सारांश (Summary):
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि —
- उपसर्ग केवल "पूर्वसर्ग" नहीं बल्कि अर्थ-गति का विस्तार हैं।
- वे शब्द के भाव, दिशा, मात्रा और गुण को गहराई से प्रभावित करते हैं।
- उपसर्गों का ज्ञान धातुरूप संयोजन, शब्द निर्माण, और संस्कृत पठन में अत्यंत आवश्यक है।
🪷 निष्कर्ष (Conclusion)
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