आरती अतिपावन पुराण की, भागवत भगवान की आरती

Sooraj Krishna Shastri
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 आरती अतिपावन पुराण की ।

धर्म – भक्ति – विज्ञान – खान की ।। टेक ।।


महापुराण भागवत निर्मल ।

शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल ।।

परमानन्द-सुधा रसमय फल ।

लीला रति रस रसिनधान की ।। आरती० ।।


कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी ।

जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ।।

सेवत सतत सकल सुखकारिणी ।

सुमहैषधि हरि चरित गान की ।। आरती० ।।


विषय विलास विमोह विनाशिनी ।

विमल विराग विवेक विनाशिनी ।।

भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी ।

परम ज्योति परमात्मा ज्ञान को ।। आरती० ।।


परमहंस मुनि मन उल्लासिनी ।

रसिक ह्रदय रस रास विलासिनी ।।

भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी ।

कथा अकिंचन प्रिय सुजान की ।। आरती० ।।

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