भगवान जी की अनुभूति

Sooraj Krishna Shastri
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एक भक्त था, वह परमात्मा जी को बहुत मानता था। बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा किया करता था। एक दिन भगवान जी से कहने लगा – मैं आपकी इतनी भक्ति करता हूँ, पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई। मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे दर्शन ना दें, पर ऐसा कुछ कीजिये कि मुझे ये अनुभव हो कि आप हो।

  भगवान जी ने कहा - ठीक है, तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो। जब तुम रेत पर चलोगे तो तुम्हे दो पैरों की जगह चार पैर दिखाई देंगे। दो तुम्हारे पैर होंगे और दो पैरो के निशान मेरे होंगे, इस तरह तुम्हे मेरी अनुभूति होगी।  अगले दिन वह सैर पर गया, जब वह रेत पर चलने लगा तो उसे अपने पैरों के साथ-साथ दो पैरों के निशान और भी दिखाई दिये,वह बड़ा खुश हुआ। अब रोज ऐसा होने लगा ।

 एक बार उसे व्यापार में बहुत घाटा हुआ सब कुछ चला गया, उसके अपनों ने उसका साथ छोड़ दिया,देखो यही इस दुनिया की रीत है,मुसीबत में सब दुनियावी अपने साथ छोड़ देते हैं । अब वह सैर पर गया तो उसे चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त में भगवान जी ने भी साथ छोड दिया। इसका उसे बहुत दुःख था। उसने सैर को जाना भी छोड़ दिया।

 उसका समय बदला,धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा, व्यापार में वह बुलंदियों को छूने लगा। फिर सब लोग उसके पास वापस आने लगे। बेगाने भी अब अपने बनने लगे। एक दिन जब वह सैर पर गया तो उसने देखा कि चार पैरों के निशान वापस दिखाई देने लगे। उससे अब रहा नहीं गया।

 वह बोला- भगवान जब मेरा बुरा वक्त था, तो सब ने मेरा साथ छोड़ दिया , पर मुझे इस बात का गम नहीं था क्योंकि इस दुनिया में ऐसा ही होता है, पर आप ने भी उस समय मेरा साथ छोड़ दिया , मुझे आपसे यह कदापि उम्मीद नहीं थी। ऐसा क्यों किया आपने ?

  भगवान जी ने कहा – तुमने ये कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हारा साथ छोड़ दूँगा। बेटा! तुम्हारे बुरे वक्त में जो रेत पर तुमने दो पैरों के के निशान देखे वे तुम्हारे पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे। उस समय मैं तुम्हे अपनी गोद में उठाकर चलता था और आज जब कर्मोंनुसार तुम्हारा बुरा वक्त खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है। इसलिए तुम्हे फिर से चार पैरों के निशान दिखाई दे रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि ईश्वर जी हमेशा हमारे अंग संग हैं ।

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