भावनाओं की सुंदर कहानी: अहंकार और प्रेम

Sooraj Krishna Shastri
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भावनाओं की सुंदर कहानी: अहंकार और प्रेम
भावनाओं की सुंदर कहानी: अहंकार और प्रेम


भावनाओं की सुंदर कहानी: अहंकार और प्रेम

किसी समय की बात है, एक सुंदर द्वीप था जहाँ सभी भावनाएँ एक साथ निवास करती थीं। वहां प्रेम, करुणा, क्रोध, आनंद, दुःख, घृणा, संतोष, लोभ, अहंकार और अन्य सभी भावनाएँ साथ-साथ रहती थीं। वे सब एक-दूसरे के साथ समय बितातीं और एकता में अपना जीवन व्यतीत करतीं।

तूफान का आगमन

एक दिन अचानक समुद्र में भयंकर तूफान आ गया। आसमान में घने काले बादल छा गए, तेज़ हवाएँ चलने लगीं, और समुद्री लहरें द्वीप को निगलने के लिए बढ़ने लगीं। द्वीप धीरे-धीरे डूबने लगा, जिससे वहाँ रहने वाली सभी भावनाएँ भयभीत हो गईं। सभी अपनी-अपनी जान बचाने के लिए व्याकुल हो उठीं और बचने के उपाय खोजने लगीं।

प्रेम का प्रयास

हर भावना अपने आप को बचाने में लगी थी, लेकिन प्रेम अकेला ऐसा था, जो दूसरों की चिंता कर रहा था। उसने तुरंत एक नाव बनाई ताकि सभी भावनाओं को सुरक्षित ले जाया जा सके। एक-एक करके सभी भावनाएँ उस नाव में सवार हो गईं। प्रेम ने सुनिश्चित किया कि कोई पीछे न छूटे।

लेकिन तभी उसने देखा कि अहंकार नाव में नहीं चढ़ा था।

अहंकार की जिद

प्रेम नीचे गया और अहंकार से कहा, "आ जाओ, यह द्वीप अब डूबने वाला है। हम सबको बचना होगा।"

किन्तु अहंकार टस से मस नहीं हुआ। उसने घमंड भरे स्वर में उत्तर दिया, "मैं स्वयं सक्षम हूँ, मुझे तुम्हारी सहायता की कोई आवश्यकता नहीं है!"

प्रेम ने बार-बार आग्रह किया, "यह समय अहंकार करने का नहीं है। मृत्यु सामने खड़ी है, चलो मेरे साथ।"

लेकिन अहंकार अपनी जिद पर अड़ा रहा। वह अपनी जगह से हिला भी नहीं और अपनी ही सोच में मग्न रहा।

प्रेम का अंत

बाकी सभी भावनाएँ प्रेम को समझाने लगीं, "प्रेम, अहंकार को छोड़ दो! यह सदा से ऐसा ही रहा है। इसे समझाने का कोई लाभ नहीं।"

लेकिन प्रेम ने विश्वास से कहा, "नहीं! मैं उसे अकेला नहीं छोड़ सकता। यदि मैं उसे समझाने का प्रयास करूँ, तो शायद वह मान जाए।"

इसी बीच तूफान और तेज़ हो गया। समुद्री लहरें और भयावह हो गईं। नाव में बैठे अन्य भावनाओं ने देखा कि प्रेम अभी भी अहंकार को बचाने में लगा हुआ है। वे सभी चिल्लाईं, "प्रेम, जल्दी आ जाओ! नाव आगे बढ़ रही है!"

किन्तु प्रेम अहंकार को छोड़कर जाने को तैयार नहीं था। अंततः, नाव आगे बढ़ गई और प्रेम वहीं रह गया। तूफान के भीषण प्रकोप में प्रेम समाप्त हो गया।

शिक्षा: अहंकार के कारण प्रेम नष्ट हो जाता है

जब तूफान शांत हुआ और भावनाएँ एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचीं, तो उन्होंने पाया कि प्रेम अब उनके साथ नहीं था। प्रेम की मृत्यु हो चुकी थी। और यह सब केवल अहंकार के कारण हुआ।

इस कहानी का सार यही है कि जहाँ अहंकार होता है, वहाँ प्रेम नहीं टिक पाता। अहंकार अपने घमंड और जिद के कारण न केवल स्वयं को संकट में डालता है, बल्कि प्रेम को भी समाप्त कर देता है। यदि जीवन में प्रेम को बनाए रखना है, तो अहंकार का त्याग करना अनिवार्य है।

🌸🙏 जय श्रीकृष्ण 🙏🌸


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