कार्तिक मास की कथा – Mangalwar Vrat Katha और हनुमान जी का आशीर्वाद
कार्तिक मास की कथा – मंगलवार की कहानी (हनुमान जी का आशीर्वाद)
पात्र परिचय
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साहूकारनी (बुढ़िया सासुजी) – एक धार्मिक महिला, जो हनुमान जी की भक्ति में लीन रहती है।
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बहू – बुढ़िया की बहू, जो घर की व्यवस्था में व्यस्त रहती है और पूजा–भक्ति के महत्व को नहीं समझती।
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हनुमान जी – भक्तों के पालनहार, जो अपनी कृपा से घर में समृद्धि और सुख लाते हैं।
कथा का प्रारंभ
प्राचीन समय की बात है।
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एक साहूकारनी हनुमान जी के मंदिर रोज जाती थी।
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वह चूरमा की पिंडी और एक रोटी ले जाती और कहती:
"कांधे सोटो लाल लंगोटो, हनुमान जी खायो चूरमे और रोटी। मैंने तुम्हें दिया जवानी में, तुम मुझे देना बुढ़ापे में।"
इसका अर्थ था कि उसने अपनी जवानी में भगवान की सेवा की, अब वह वृद्धावस्था में फल पाएगी।
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कार्तिक मास की कथा – Mangalwar Vrat Katha और हनुमान जी का आशीर्वाद |
घर की प्रतिक्रिया
पूजा करके घर लौटने पर बहू ने पूछा:
"सासुजी, तुम चूरमा और रोटी लेकर कहाँ जाती हो?"
सासुजी बोली: "बालाजी (हनुमान जी) के मंदिर में जाया करती हूँ।"
बहू ने कहा: "मंदिर में तो नहीं जाओ हो।"
सासुजी चुप रही, खाना नहीं खाया और सो गई।
हनुमान जी का आशीर्वाद
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पाँच दिन बाद हनुमान जी सासुजी के सपने में आए।
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बोले:
"तूने जवानी में दिया, मैं तुझे बुढ़ापे में दे रहा हूँ।"
सासुजी बोली: "आज तो तुम दे रहे हो, रोज कौन देगा?"
हनुमान जी बोले: "मैं रोज दे दूँगा।"
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बुढ़िया ने खुशी-खुशी चूरमा खा लिया।
घर में परिवर्तन
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बहू के घर में पहले कुछ भी नहीं बचा था; सब चीज़ों में घाटा हो गया।
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बहू ने देखा कि सासुजी खूब मोटी और स्वस्थ हो रही है, और बोली:
"सासुजी, तुम्हें खाने को भी नहीं दिया, तुम क्या खाती हो?"
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सासुजी ने उत्तर दिया:
"मुझे हनुमान जी मीठी-मीठी चूरमा और रोटी भेजते हैं, वही खाती हूँ।"
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बहू पैरों में गिरकर बोली:
"हम तो तुम्हारे भाग का खाते हैं। हमारे घर में तो कुछ भी नहीं रहा। अब आप संभालो।"
नैतिक संदेश और फल
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भक्ति और सेवा का महत्व – बुढ़िया ने अपनी जवानी में भगवान की सेवा की, इसलिए वृद्धावस्था में फल मिला।
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हनुमान जी की कृपा – सच्चे भक्तों की भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती।
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कथा का असर – घर में धर्म, भक्ति और नियमित पूजा से सुख और समृद्धि आती है।
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सर्वसमृद्धि का संदेश – जैसे सासुजी को हनुमान जी का आशीर्वाद मिला, वैसे सभी भक्तों को भी प्राप्त हो।
घटनाक्रम सारणी (संक्षिप्त)
क्रम | घटना | पात्र | संदेश / उद्देश्य |
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1 | सासुजी रोज हनुमान जी के मंदिर जाती | सासुजी | भक्ति का नियमित अभ्यास |
2 | चूरमा और रोटी का भोग | सासुजी | सेवा और भोग की महत्ता |
3 | बहू की विरोध प्रतिक्रिया | बहू | धार्मिक अनदेखी और संदेह |
4 | हनुमान जी का सपना और आशीर्वाद | हनुमान जी | भगवान की कृपा और प्रतिफल |
5 | घर में समृद्धि और सासुजी का स्वस्थ होना | सभी | भक्ति का फल, समृद्धि और धर्म की प्राप्ति |