इस पृष्ठ में प्रस्तुत है संस्कृत श्लोक “शशिदिवाकरयोर्ग्रहपीडनं…” का विस्तृत विश्लेषण। श्लोक में दिखाया गया है कि कैसे चंद्र और सूर्य भी ग्रह पीड़ा झेलते हैं, हाथी और सर्प भी बंधन में फँसते हैं और बुद्धिमान लोग भी दरिद्रता में जीवन व्यतीत करते हैं। इसे देखकर यही निष्कर्ष निकलता है कि विधि और भाग्य सबसे शक्तिशाली हैं। यहाँ आपको मिलेगा शब्दार्थ, व्याकरण, भावार्थ, आधुनिक संदर्भ, नीति कथा और निष्कर्ष। इस श्लोक से हमें यह समझने को मिलता है कि जीवन में चाहे कितनी भी शक्ति या बुद्धि हो, परिस्थितियाँ और नियति का महत्व सर्वोपरि है। Fate & Destiny in Sanskrit Shlok के माध्यम से आप जानेंगे कि कैसे यह श्लोक आधुनिक जीवन, सामाजिक परिस्थितियों और व्यक्तिगत अनुभवों पर लागू होता है। यह पृष्ठ विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और संस्कृत प्रेमियों के लिए उपयोगी है।
भाग्य की शक्ति | Fate & Destiny in Sanskrit Shlok – Shashidivakarayor Grahapidan
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| भाग्य की शक्ति | Fate & Destiny in Sanskrit Shlok – Shashidivakarayor Grahapidan |
1. श्लोक (Devanagari)
शशिदिवाकरयोर्ग्रहपीडनंगजभुजङ्गमयोरपि बन्धनम् ।मतिमतां च विलोक्य दरिद्रतांविधिरहो बलवान् इति मे मतिः ॥
2. अंग्रेज़ी ट्रान्सलिटरेशन (Transliteration)
Shashidivākarayor grahapīḍanaṁGajabhujangamayor api bandhanam |Matimatāṁ ca vilokya daridratāṁVidhir aho balavān iti me matiḥ ||
3. हिन्दी अनुवाद (Meaning in Hindi)
चंद्रमा और सूर्य को भी ग्रह पीड़ित करते हैं,हाथियों और साँपों को भी बंधन में फँसना पड़ता है,और बुद्धिमान लोग भी दरिद्रता में जीवन बिताते हैं।यह देखकर यही निष्कर्ष निकलता है कि विधि (भाग्य) सबसे बलवान है।
4. शब्दार्थ (Word-by-Word Meaning)
| शब्द | अर्थ |
|---|---|
| शशि | चन्द्रमा |
| दिवाकर | सूर्य |
| यः | जो / और |
| ग्रहपीडनम् | ग्रहों की पीड़ा (जैसे राहु-केतु का प्रभाव) |
| गज | हाथी |
| भुजङ्ग | सर्प |
| मयः | से संबंधित / वाले |
| अपि | भी |
| बन्धनम् | बंधन / कैद |
| मतिमताम् | बुद्धिमान / ज्ञानी लोग |
| च | और |
| विलोक्य | देखकर |
| दरिद्रताम् | दरिद्रता / गरीबी |
| विधिः | नियति / भाग्य |
| अहो | हे! / अविश्मय |
| बलवान् | शक्तिशाली |
| इति | ऐसा |
| मे | मेरा |
| मति | मत / विचार |
5. व्याकरणात्मक विश्लेषण (Grammatical Analysis)
- शशि-दिवाकरयोः – “योः” द्वन्द्व सूचक समास, चंद्र और सूर्य दोनों के लिए प्रयुक्त।
- ग्रहपीडनम् – संज्ञा, तद्भव शब्द; यहाँ ग्रहों द्वारा दी जाने वाली पीड़ा।
- गजभुजङ्गमयोरपि बन्धनम् – “अपि” द्वारा विरोधाभासी तत्व जोड़ा गया है; हाथी और सर्प भी बंधन में फँसते हैं।
- मतिमताम् च विलोक्य दरिद्रताम् – कर्ता दृष्टि से पराभूत अवस्था का वर्णन, “च” संयोजक।
- विधिरहो बलवान् इति मे मतिः – मुख्य निष्कर्ष, ‘इति’ द्वारा श्लोक का समापन; ‘मे मतिः’ – कवि का व्यक्तिगत विचार।
सारांश: श्लोक में अनुभवजन्य निरीक्षण के आधार पर निष्कर्ष व्यक्त किया गया है कि “विधि/भाग्य सबसे शक्तिशाली है।”
6. भावार्थ (Interpretation / Essence)
- सार: चाहे महान ग्रह हों, शक्तिशाली हाथी हों या बुद्धिमान व्यक्ति हों—सभी किसी न किसी बाधा या कठिनाई का सामना करते हैं।
- संदेश: भाग्य (विधि) ही वह सर्वोच्च शक्ति है जो सभी पर समान रूप से प्रभाव डालती है।
- भाव: जीवन में प्रकट हो रही कठिनाइयों और बाधाओं का प्रत्यक्ष अनुभव।
7. आधुनिक सन्दर्भ (Modern Context)
- ग्रह पीड़न → जीवन में अप्रत्याशित परिस्थितियाँ (जैसे नौकरी, स्वास्थ्य, प्राकृतिक आपदा)।
- हाथी-साँप का बंधन → शक्तिशाली और समृद्ध जीव भी कभी-कभी परिस्थितियों में बाधित होते हैं।
- बुद्धिमान लोगों की दरिद्रता → शिक्षा, योग्यता और बुद्धि की शक्ति हमेशा आर्थिक सफलता सुनिश्चित नहीं करती।
- निष्कर्ष → नियति और भाग्य का प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है; मानवीय प्रयासों के बावजूद कई बार परिस्थितियाँ निर्णयात्मक होती हैं।
आधुनिक दृष्टि से यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि जीवन में संयम, धैर्य और परिस्थिति अनुसार विवेकपूर्ण निर्णय आवश्यक हैं।
8. संवादात्मक नीति कथा (Illustrative Story)
नीति / Moral:
- ज्ञान और शक्ति का होना पर्याप्त नहीं है।
- भाग्य और परिस्थितियाँ भी हमारी सफलता और जीवन की दशा को निर्धारित करती हैं।
- संतुलित दृष्टिकोण अपनाएँ और नियति को समझते हुए प्रयास करें।
9. निष्कर्ष (Conclusion)
- यह श्लोक भाग्य और नियति की महत्ता को स्पष्ट करता है।
- व्यक्ति चाहे कितनी भी शक्ति, बुद्धि या संसाधन रखता हो, परिस्थितियों और भाग्य की भूमिका अपरिहार्य है।
- सकारात्मक संदेश: नियति को समझकर विवेकपूर्ण प्रयास करना चाहिए, क्योंकि वह अचूक और बलशाली है।
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