12.1 प्राचलिक परीक्षण
(Parametric Tests: z-test, t-test, F-test)
प्रस्तावना: सांख्यिकी में टेस्ट दो प्रकार के होते हैं: प्राचलिक (Parametric) और अप्राचलिक (Non-Parametric)। प्राचलिक टेस्ट अधिक शक्तिशाली होते हैं, लेकिन इन्हें लागू करने के लिए कुछ सख्त शर्तें होती हैं।
प्राचलिक परीक्षण एक "VIP क्लब" की तरह हैं।
इसमें हर कोई प्रवेश नहीं कर सकता। इसमें घुसने के लिए आपके डेटा को 'ड्रेस कोड' (Rules) का पालन करना पड़ता है। अगर आपका डेटा नियमों का पालन नहीं करता, तो उसे बाहर (Non-Parametric) भेज दिया जाता है।
- Normality: डेटा "घंटी के आकार" (Normal Distribution) में होना चाहिए।
- Homogeneity: विचलन (Variance) समान होना चाहिए।
- Data Type: डेटा अंतराल (Interval) या अनुपात (Ratio) स्केल पर होना चाहिए।
A. प्रमुख प्राचलिक परीक्षण (Key Tests)
यह तब लगता है जब हमारे पास बड़ा सैंपल होता है और हमें जनसंख्या के बारे में सबकुछ पता होता है।
यह तब लगता है जब सैंपल छोटा होता है और जनसंख्या का SD पता नहीं होता। (इसे 'Student t-test' भी कहते हैं)।
इसका उपयोग दो या दो से अधिक समूहों के विचलन (Variance) की तुलना करने के लिए किया जाता है। यह ANOVA का आधार है।
B. कब कौन सा टेस्ट लगाएं? (Quick Guide)
| स्थिति (Situation) | जनसंख्या SD (σ) | सैंपल साइज (n) | कौन सा टेस्ट? |
|---|---|---|---|
| माध्य की तुलना | ज्ञात (Known) | > 30 (Large) | Z-Test |
| माध्य की तुलना | अज्ञात (Unknown) | < 30 (Small) | t-Test |
| माध्य की तुलना | अज्ञात (Unknown) | > 30 (Large) | Z-Test (अक्सर) |
| विचलन की तुलना | - | Any | F-Test |
t-test और z-test में सबसे बड़ा अंतर 30 का आंकड़ा है। यदि सैंपल 30 से कम है, तो आँख बंद करके t-test चुनें। (कारण: छोटे सैंपल में गलती की संभावना ज्यादा होती है, जिसे t-test संभाल लेता है)।
सारांश: "प्राचलिक टेस्ट शक्तिशाली हैं, लेकिन वे नखरे वाले हैं। अगर शर्तें पूरी न हों, तो हमें अप्राचलिक टेस्ट (जैसे Chi-square) की ओर जाना पड़ता है।"
