14.2 साहित्यिक चोरी
(Plagiarism)
प्रस्तावना: जब कोई लेखक किसी दूसरे के विचारों, भाषा, या काम को अपना बताकर पेश करता है और उसे उचित श्रेय (Credit) नहीं देता, तो उसे 'साहित्यिक चोरी' या 'प्लेगरिज्म' कहते हैं। यह अनैतिक और अवैध है।
अगर आप किसी की दुकान से सामान उठाकर अपना बताकर बेचें, तो वह चोरी है।
ठीक वैसे ही, किसी की लिखी हुई लाइनों या शोध को बिना बताए अपने नाम से छपवाना बौद्धिक चोरी है।
(यह न केवल शब्दों की चोरी है, बल्कि दूसरे की मेहनत का अपमान भी है।)
A. साहित्यिक चोरी के प्रकार (Types)
किसी के टेक्स्ट को शब्द-दर-शब्द (Word-to-word) कॉपी करना और कोटेशन मार्क न लगाना।
अपने ही पुराने शोध कार्य को बिना बताए दोबारा नए शोध के रूप में पेश करना।
अलग-अलग लेखकों के वाक्यों को मिलाकर एक नया पैराग्राफ बनाना (बिना श्रेय दिए)।
गलती से सोर्स लिखना भूल जाना या संदर्भ का गलत तरीका उपयोग करना।
B. दंड के प्रावधान (UGC Regulations)
भारत में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इसके लिए सख्त नियम बनाए हैं:
| स्तर (Level) | समानता (Similarity) | दंड (Penalty) |
|---|---|---|
| Level 0 | 10% तक | कोई दंड नहीं (स्वीकार्य)। |
| Level 1 | 10% से 40% | 6 महीने के भीतर संशोधित पांडुलिपि जमा करने को कहा जाएगा। |
| Level 2 | 40% से 60% | छात्र को 1 साल के लिए शोध पत्र जमा करने से रोका जाएगा। |
| Level 3 | 60% से ऊपर | उस कोर्स का पंजीकरण (Registration) रद्द कर दिया जाएगा। |
- उद्धरण (Citation): किसी का विचार लेने पर उसका नाम और साल (जैसे: शर्मा, 2023) जरूर लिखें।
- पैराफ्रेसिंग (Paraphrasing): दूसरे के विचारों को अपने शब्दों में लिखें (लेकिन क्रेडिट फिर भी दें)।
- कोटेशन (Quotations): अगर शब्द-दर-शब्द ले रहे हैं, तो "..." का उपयोग करें।
- सॉफ्टवेयर का उपयोग: जमा करने से पहले प्लेगरिज्म चेक करें।
निष्कर्ष: "साहित्यिक चोरी आपके करियर और सम्मान को खत्म कर सकती है। शोध में 'कम लेकिन मौलिक' (Original) काम करना, 'ज्यादा लेकिन चोरी' के काम से कहीं बेहतर है।"
