8.2 द्वितीयक स्रोत
(Secondary Sources)
प्रस्तावना: जब प्राथमिक स्रोतों (Primary Sources) का विश्लेषण, व्याख्या या सारांश किया जाता है, तो जो नई सामग्री बनती है, उसे द्वितीयक स्रोत कहते हैं। यह "Second-Hand" जानकारी होती है।
अगर प्राथमिक स्रोत कच्ची सब्जियां (Raw Data) हैं, तो द्वितीयक स्रोत पकी हुई स्वादिष्ट सब्जी (Processed Info) है।
शेफ (लेखक) ने कच्ची सब्जियों को काटकर, पकाकर और मसाले (अपने विचार) मिलाकर उसे खाने योग्य (समझने योग्य) बना दिया है।
(Raw)
(Filter & Interpret)
(Cooked)
A. द्वितीयक स्रोतों के उदाहरण (Examples)
ये वे स्रोत हैं जिनका उपयोग हम अपनी शुरूआती समझ बनाने के लिए करते हैं:
स्कूल/कॉलेज की किताबें। लेखक खुद प्रयोग नहीं करता, बल्कि दूसरों के प्रयोगों को सार रूप में लिखता है।
जैसे Wikipedia या Britannica। ये जानकारी का संग्रह हैं, मूल स्रोत नहीं।
जब कोई शोधकर्ता पिछले 50 शोध पत्रों को पढ़कर उनका निष्कर्ष (Summary) लिखता है।
अगर गाँधी जी खुद लिखें तो 'आत्मकथा' (Primary), लेकिन अगर कोई और उनके जीवन पर लिखे तो 'जीवनी' (Secondary)।
B. प्राथमिक बनाम द्वितीयक (Comparison)
| तुलना बिंदु | प्राथमिक (Primary) | द्वितीयक (Secondary) |
|---|---|---|
| दूरी | घटना के एकदम करीब (Direct)। | घटना से एक कदम दूर (Indirect)। |
| शुद्धता | कच्चा और शुद्ध (Raw)। | संसाधित और व्याख्यायित (Filtered)। |
| समय | ज्यादा समय लगता है (समझने में)। | कम समय लगता है (आसानी से समझ आता है)। |
| उदाहरण | इंटरव्यू, डायरी, मूल डेटा। | किताब, आर्टिकल, न्यूज़ रिपोर्ट। |
बचपन का खेल 'कान में फुसफुसाना' (Chinese Whispers) याद है? बात एक कान से दूसरे कान तक जाते-जाते बदल जाती है।
यही द्वितीयक स्रोतों का खतरा है। लेखक अपनी राय (Bias) या गलती से तथ्यों को तोड़-मरोड़ सकता है। इसलिए शोधकर्ता को हमेशा "मूल स्रोत" (Primary) से क्रॉस-चेक करना चाहिए।
निष्कर्ष: "द्वितीयक स्रोत नक्शे (Map) की तरह हैं जो रास्ता दिखाते हैं, लेकिन प्राथमिक स्रोत वह जमीन (Terrain) हैं जिस पर आपको असल में चलना है।"
