॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
"न गायत्र्या परं मन्त्रं न मातुः परदैवतम्।
न काश्याः परमं तीर्थं न एकादश्याः समं व्रतम्॥"
अर्थात्: जैसे गायत्री से श्रेष्ठ कोई मंत्र नहीं, माता से बढ़कर कोई देवता नहीं और काशी से उत्तम कोई तीर्थ नहीं है, ठीक उसी प्रकार एकादशी के समान तीनों लोकों में कोई दूसरा व्रत नहीं है।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि को 'हरि वासर' यानी भगवान श्री विष्णु का दिन कहा गया है। पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक एकादशी का व्रत पालन करता है, उसके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। यह केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि और मन को ईश्वर में एकाग्र करने का एक दिव्य अवसर है।
वर्ष 2026 की विशेषता:
आगामी वर्ष 2026 आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत विशेष रहने वाला है। सामान्यतः वर्ष में 24 एकादशियां होती हैं, लेकिन 2026 में 'अधिक मास' (पुरुषोत्तम मास) के कारण 26 एकादशियां पड़ रही हैं। ज्येष्ठ मास में अधिक मास लगने के कारण भक्तों को भगवान विष्णु की आराधना के लिए दो अतिरिक्त एकादशियां (पद्मिनी और परमा) प्राप्त होंगी, जो अनंत पुण्य प्रदान करने वाली मानी जाती हैं।
इस लेख में हम आपके लिए वर्ष 2026 की सभी एकादशियों की विस्तृत सूची, उनकी तिथियां, पक्ष और पारण का सटीक समय लेकर आए हैं, ताकि आप समय रहते अपनी आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना सकें।
आइए जानते हैं, वर्ष 2026 में कब-कब है एकादशी का पावन व्रत...
Ekadashi Vrat List 2026: Dates, Parana Time और महत्व (Complete Hindu Calendar)
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| Lord Vishnu Ekadashi Vrat Calendar 2026 |
एकादशी व्रत सूची 2026 (पक्ष हटाकर)
| महीना | तिथि | दिन | एकादशी का नाम |
|---|---|---|---|
| जनवरी | 14 जनवरी 2026 | बुधवार | षटतिला एकादशी |
| 29 जनवरी 2026 | गुरुवार | जया एकादशी | |
| फरवरी | 13 फरवरी 2026 | शुक्रवार | विजया एकादशी |
| 27 फरवरी 2026 | शुक्रवार | आमलकी एकादशी | |
| मार्च | 15 मार्च 2026 | रविवार | पापमोचनी एकादशी |
| 29 मार्च 2026 | रविवार | कामदा एकादशी | |
| अप्रैल | 13 अप्रैल 2026 | सोमवार | वरुथिनी एकादशी |
| 27 अप्रैल 2026 | सोमवार | मोहिनी एकादशी | |
| मई | 13 मई 2026 | बुधवार | अपरा एकादशी |
| 27 मई 2026 | बुधवार | पद्मिनी एकादशी | |
| जून | 11 जून 2026 | गुरुवार | परमा एकादशी |
| 25 जून 2026 | गुरुवार | निर्जला एकादशी | |
| जुलाई | 10 जुलाई 2026 | शुक्रवार | योगिनी एकादशी |
| 25 जुलाई 2026 | शनिवार | देवशयनी एकादशी | |
| अगस्त | 09 अगस्त 2026 | रविवार | कामिका एकादशी |
| 23 अगस्त 2026 | रविवार | श्रावण पुत्रदा एकादशी | |
| सितंबर | 07 सितंबर 2026 | सोमवार | अजा एकादशी |
| 22 सितंबर 2026 | मंगलवार | परिवर्तिनी एकादशी | |
| अक्टूबर | 06 अक्टूबर 2026 | मंगलवार | इंदिरा एकादशी |
| 22 अक्टूबर 2026 | गुरुवार | पापांकुशा एकादशी | |
| नवंबर | 05 नवंबर 2026 | गुरुवार | रमा एकादशी |
| 20 नवंबर 2026 | शुक्रवार | देवउठनी एकादशी | |
| दिसंबर | 04 दिसंबर 2026 | शुक्रवार | उत्पन्ना एकादशी |
| 20 दिसंबर 2026 | रविवार | मोक्षदा एकादशी |
एकादशी व्रत सूची 2026
(पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार – उत्तर भारत में प्रचलित)
| हिंदू मास (पक्ष सहित) | एकादशी | तिथि (2026) | वार |
|---|---|---|---|
| माघ (कृष्ण) | षटतिला | 14 जनवरी | बुध |
| माघ (शुक्ल) | जया | 29 जनवरी | गुरु |
| फाल्गुन (कृष्ण) | विजया | 13 फरवरी | शुक्र |
| फाल्गुन (शुक्ल) | आमलकी | 27 फरवरी | शुक्र |
| चैत्र (कृष्ण) | पापमोचनी | 15 मार्च | रवि |
| चैत्र (शुक्ल) | कामदा | 29 मार्च | रवि |
| वैशाख (कृष्ण) | वरुथिनी | 13 अप्रैल | सोम |
| वैशाख (शुक्ल) | मोहिनी | 27 अप्रैल | सोम |
| ज्येष्ठ (कृष्ण) | अपरा | 13 मई | बुध |
| अधिक ज्येष्ठ (शुक्ल) | पद्मिनी | 27 मई | बुध |
| अधिक ज्येष्ठ (कृष्ण) | परमा | 11 जून | गुरु |
| ज्येष्ठ – निज (शुक्ल) | निर्जला | 25 जून | गुरु |
| आषाढ़ (कृष्ण) | योगिनी | 10 जुलाई | शुक्र |
| आषाढ़ (शुक्ल) | देवशयनी | 25 जुलाई | शनि |
| श्रावण (कृष्ण) | कामिका | 09 अगस्त | रवि |
| श्रावण (शुक्ल) | पुत्रदा | 23 अगस्त | रवि |
| भाद्रपद (कृष्ण) | अजा | 07 सितंबर | सोम |
| भाद्रपद (शुक्ल) | परिवर्तिनी | 22 सितंबर | मंगल |
| आश्विन (कृष्ण) | इंदिरा | 06 अक्टूबर | मंगल |
| आश्विन (शुक्ल) | पापांकुशा | 22 अक्टूबर | गुरु |
| कार्तिक (कृष्ण) | रमा | 05 नवंबर | गुरु |
| कार्तिक (शुक्ल) | देवउठनी | 20 नवंबर | शुक्र |
| मार्गशीर्ष (कृष्ण) | उत्पन्ना | 04 दिसंबर | शुक्र |
| मार्गशीर्ष (शुक्ल) | मोक्षदा | 20 दिसंबर | रवि |
एकादशी पारण समय 2026
(नई दिल्ली के लिए गणना अनुसार)
| एकादशी | व्रत तिथि | पारण तिथि | पारण समय |
|---|---|---|---|
| षटतिला | 14 जनवरी (बुध) | 15 जनवरी (गुरु) | प्रातः 07:15 – 09:21 |
| जया | 29 जनवरी (गुरु) | 30 जनवरी (शुक्र) | प्रातः 07:10 – 10:47 |
| विजया | 13 फरवरी (शुक्र) | 14 फरवरी (शनि) | प्रातः 07:00 – 10:44 |
| आमलकी | 27 फरवरी (शुक्र) | 28 फरवरी (शनि) | प्रातः 06:47 – 10:38 |
| पापमोचनी | 15 मार्च (रवि) | 16 मार्च (सोम) | प्रातः 06:30 – 09:40 |
| कामदा | 29 मार्च (रवि) | 30 मार्च (सोम) | प्रातः 06:14 – 07:09 |
| वरुथिनी | 13 अप्रैल (सोम) | 14 अप्रैल (मंगल) | प्रातः 06:54 – 10:13 |
| मोहिनी | 27 अप्रैल (सोम) | 28 अप्रैल (मंगल) | प्रातः 05:43 – 10:07 |
| अपरा | 13 मई (बुध) | 14 मई (गुरु) | प्रातः 05:31 – 10:02 |
| पद्मिनी (अधिक) | 27 मई (बुध) | 28 मई (गुरु) | प्रातः 05:25 – 07:56 |
| परमा (अधिक) | 11 जून (गुरु) | 12 जून (शुक्र) | प्रातः 05:23 – 10:02 |
| निर्जला | 25 जून (गुरु) | 26 जून (शुक्र) | प्रातः 05:25 – 10:04 |
| योगिनी | 10 जुलाई (शुक्र) | 11 जुलाई (शनि) | प्रातः 05:32 – 10:08 |
| देवशयनी | 25 जुलाई (शनि) | 26 जुलाई (रवि) | प्रातः 05:39 – 08:22 |
| कामिका | 09 अगस्त (रवि) | 10 अगस्त (सोम) | प्रातः 05:47 – 08:00 |
| पुत्रदा | 23 अगस्त (रवि) | 24 अगस्त (सोम) | अपराह्न 01:41 – 04:16 * |
| अजा | 07 सितंबर (सोम) | 08 सितंबर (मंगल) | प्रातः 06:02 – 08:33 |
| परिवर्तिनी | 22 सितंबर (मंगल) | 23 सितंबर (बुध) | प्रातः 06:10 – 08:35 |
| इंदिरा | 06 अक्टूबर (मंगल) | 07 अक्टूबर (बुध) | प्रातः 06:17 – 10:12 |
| पापांकुशा | 22 अक्टूबर (गुरु) | 23 अक्टूबर (शुक्र) | प्रातः 06:27 – 10:12 |
| रमा | 05 नवंबर (गुरु) | 06 नवंबर (शुक्र) | प्रातः 06:37 – 08:48 |
| देवउठनी | 20 नवंबर (शुक्र) | 21 नवंबर (शनि) | अपराह्न 01:11 – 03:18 * |
| उत्पन्ना | 04 दिसंबर (शुक्र) | 05 दिसंबर (शनि) | प्रातः 06:59 – 09:04 |
| मोक्षदा | 20 दिसंबर (रवि) | 21 दिसंबर (सोम) | प्रातः 07:10 – 09:13 |
विशेष सूचना
* श्रावण पुत्रदा (24 अगस्त) और देवउठनी (21 नवंबर) एकादशी में हरि वासर (द्वादशी का प्रथम चतुर्थांश) देर से समाप्त होता है, इसलिए इनका पारण दोपहर में किया जाता है। इससे पहले पारण करना शास्त्रसम्मत नहीं माना जाता।
⚠️ ये समय नई दिल्ली के लिए हैं। अन्य शहरों में सूर्योदय/तिथि के अनुसार पारण समय बदल सकता है।
एकादशी व्रत के नियम: क्या करें और क्या न करें ?
एकादशी का व्रत केवल भोजन का त्याग नहीं है, बल्कि यह मन, वचन और कर्म की शुद्धि का पर्व है। शास्त्रों में एकादशी व्रत को तीन चरणों में विभाजित किया गया है: दशमी, एकादशी और द्वादशी। इस व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है जब इसका पालन विधि-विधान से किया जाए।
1. दशमी (व्रत के एक दिन पूर्व) के नियम
व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानी दशमी तिथि से ही शुरू हो जाती है।
- सात्विक भोजन: दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले भोजन कर लेना चाहिए। भोजन पूर्णतः सात्विक होना चाहिए (लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि का सेवन न करें)।
- कांस्य पात्र का त्याग: शास्त्रों के अनुसार, दशमी के दिन कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य: दशमी की रात्रि से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है।
2. एकादशी (व्रत वाले दिन) के नियम
एकादशी के दिन शरीर और मन को पूर्णतः भगवान नारायण के चरणों में समर्पित रखें।
क्या न करें (वर्जित कार्य):
- अन्न का त्याग: एकादशी के दिन किसी भी प्रकार के अन्न (गेहूं, दाल, मक्का आदि) का सेवन वर्जित है।
- चावल निषेध: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन चावल (Rice) का सेवन घोर पाप माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से व्यक्ति रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है।
- व्यवहार: इस दिन क्रोध, झूठ, चुगली और कठोर वचनों का प्रयोग बिल्कुल न करें।
- दिन में शयन: एकादशी के दिन दोपहर में सोना (Day sleep) वर्जित माना गया है, हालांकि बीमार और वृद्धजनों के लिए यह नियम शिथिल है।
क्या करें (करणीय कार्य):
- मंत्र जाप: दिन भर "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का मानसिक जाप करते रहें।
- रात्रि जागरण: एकादशी की रात्रि में जागरण कर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करने का विशेष महत्व है।
- तुलसी पूजन: भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल अवश्य अर्पित करें, क्योंकि बिना तुलसी के प्रभु भोग स्वीकार नहीं करते। (ध्यान रहे: एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, एक दिन पूर्व ही तोड़कर रख लें)।
3. फलाहार (आहार कैसा हो?)
यदि आप निर्जला (बिना जल के) व्रत नहीं रख रहे हैं, तो आप फलाहारी व्रत रख सकते हैं:
- दूध, दही, फल, सूखे मेवे (Dry fruits), आलू, साबूदाना, कूटू का आटा और सेंधा नमक का प्रयोग किया जा सकता है।
4. द्वादशी (व्रत पारण) के नियम
- पारण का समय: एकादशी व्रत का समापन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद और 'हरि वासर' समाप्त होने के बाद ही करना चाहिए। (ऊपर दी गई तालिका में पारण का सही समय देखें)।
- दान: व्रत खोलने से पहले किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन या सीधा (कच्चा राशन) दान करना शुभ माना जाता है।

