उपवेद कितने हैं ?

Sooraj Krishna Shastri
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ऋग्वेद का उपवेद - आयुर्वेद

यजुर्वेद का उपवेद - धनुर्वेद

सामवेद का उपवेद - गान्धर्ववेद

अथर्ववेद का उपवेद - अर्थशास्त्र

आयुर्वेद

इसके आठ अंग है -

1. सूत्र

2. शरीर

3. इंद्रियां

4. चिकित्सा

5. निदान

6. विमान

7. कल्प

8. सिद्धि।

आयुर्वेद के उपदेशक 

1. प्रजापति ब्रह्मा

2. अश्विनी कुमार 

3. धन्वन्तरि 

4. इंद्र 

5. भारद्वाज

6. आत्रेय 

7. अग्निवेश्य

8. पतञ्जलि 

धनुर्वेद

 यह चारों पादों से युक्त हैं। इसके कर्ता विश्वामित्र हैं। 

इसके चार पाद हैं= 

दीक्षा पाद - दीक्षा पाद में शस्त्रों के विशेषण तथा लक्षण दिये हैं। पहले पाद में धनुष के लक्षण और अधिकार का निरूपण है। धनुष को आयुध कहते हैं।

संग्रह पाद - अस्त्र शस्त्रों के संग्रह और संरक्षण करने की युक्ति।

सिद्धि पाद - सिद्धि पाद में गुरु-परम्परा से मन्त्रों की सिद्धि, देवताओं की कृपा तथा अभ्यास का निरूपण है।

प्रयोग पाद - प्रयोग पाद में देवताओं की पूजा के अभ्यास से सिद्ध अस्त्र विशेष के प्रयोग का वर्णन है।

धनुर्वेद के चार भेद हैं -

1. मुक्त -  जिसका हाथ से प्रहार किया जाता है, जैसे चक्र, हथगोला आदि।

2. अमुक्त  - जिसको हाथ से नहीं छोड़ा जाता जैसे तलवार आदि।

3. मुक्तामुक्त  -  शल्य आदि।

4. यन्त्रमुक्त -  वाण आदि ।

👉 मुक्तों को अस्त्र और अमुक्तों को शस्त्र कहते हैं। जैसे-- ब्रह्मास्त्र, वैष्णवास्त्र, पाशुपत अस्त्र।

👉 धनुर्वेद के संग्रह पाद में देवताओं के मंत्रों सहित चारों प्रकार के आयुधों का वर्णन है। इसमें क्षत्रियों का ही अधिकार है।

👉 इस उपवेद का प्रयोजन दुष्टों का वध तथा प्रजा पालन है।

गान्धर्ववेद

  इस वेद के रचयिता भरतमुनि हैं। नाट्भयशास्त्र भरतमुनि का सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसमें नृत्य, गीत, वाद्यादि के बहुत से भेदों का विस्तार है। गान्धर्व उपवेद का प्रयोजन देवताओं की आराधना द्वारा निर्विकल्प समाधि से मुक्ति की प्राप्ति है।

अर्थशास्त्र

   इसके अनेकों भेद हैं। उनमें से नीति शास्त्र, अश्व शास्त्र, गज शास्त्र, शिल्प शास्त्र, पाक शास्त्र तथा चौसठ कला शास्त्र है।

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