मत बाँटो इन्सान को, बहुत ही प्यारी कविता

Sooraj Krishna Shastri
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मन्दिर मस्जिद गिरजाघर ने बाँट लिया भगवान को 

धरती बाँटा सागर बाँटा मत बाँटो इन्सान को ।।

                                (1)

अभी तो राह शुरू हुई है,मंजिल बैठी दूर है।

उजियाला महलो में बन्दी हर दीपक मजबूर है।

मिलता ना सूरज का संदेश हर घाटी मैदान को

धरती बाँटा सागर बाँटा मत बाँटो इन्सान को ॥

                                  (2)

अभी भी हरी भरी धरती उपवन नील विज्ञान है 

पर न प्यारा हो तो सूनो जलता रेगिस्तान है।

अभी प्यार का जल देना है हर प्यासी चट्टान को 

धरती बाँटा, सागर बाँटा मत बाँटो, इन्सान को ॥

                                  (3)

साथ उठे सब तो पहरा हो सूरज के हर द्वार पर

हर उदास आँगन का हक है खिलती हुई बहार पर ।

रूठ पायेगा फिर कोई मौसम की मुस्कान को 

धरती बाँटा,  सागर बाँटा मत बाँटो इन्सान को ।।

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