वसिष्ठ जी को राघवेन्द्र हनुमानजी का परिचय

Sooraj Krishna Shastri
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सुनिये मुनि ए अञ्जनी के बारे । 

पिङ्ग नयन पवि दशन अरुण मुख, त्रिभुवन के उजियारे। 

साधु शिरोमणि जनकलली सुत, मेरेहु तात दुलारे।। 

शतयोजन बारीश लांधि जेहि भयो सिय प्राण अधारे, 

दै मुद्रिका बाहुबल पावक जातुधान तृन जारे।। 

कोटि कोटि भट एक धाय करि अक्षहिं चपरि पछारे, 

मेघनाद को गर्व दूरि करि जेहि वाटिका उजारे ।। 

कनकपुरी होरी जराइ जेहि सुखी किये सुर सारे, 

मुठिका घात तोरि छाती जेहिं निदरि निशाचर मारे । । 

जिनके सुमिरि प्रताप तेज बल हृदय हहरि सुर हारे, 

ते कपि नाथ भानु लखि सहमे जनु चकोर भट भारे।। 

सिय सिन्दूर जीवन लछिमन को भरत प्राण रखवारे, 

रावन समर अगाध जलधि ते कौतुक महँ मोहि तारे।। 

इनको ऋनी भानुकुल है यह ये अति हितू हमारे,

'गिरिधर' प्रभु हनुमन्त लाइ उर श्रीमुख बिरुद उचारे ।।

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