एक राजा बहुत ही मूर्ख और सनकी था।एक दिन राजा अपने मंत्री के साथ संध्या के समय नदी के किनारे टहल रहा था। तभी उसने मंत्री से पूछा, मंत्री ! बताओ यह नदी किस दिशा की ओर, और कहाँ बहकर जाती है ?
मंत्री ने उत्तर दिया ~ महाराज,यह पूर्व दिशा की ओर बहती है,और पूर्व की ओर स्थित देशो में बहकर समुद्र में मिल जाती है।यह सुनकर राजा बोला:-यह नदी हमारी है, और इसका पानी भी हमारा है, क्या पूर्व में स्थित देश इस नदी के पानी का उपयोग करते हैं ?
मंत्री ने उत्तर दिया ~ जी, महाराज, जब नदी उधर बहती है तो करते ही होंगे.इस पर राजा बोला ~जाओ, नदी पर दीवार बनवा दो, और सारा का सारा पानी रोक दो।
हम नहीं चाहते , कि पूर्व दिशा में स्थित देशों को पानी दिया जाये।मंत्री ने उत्तर दिया लेकिन, महाराज ! इससे हमें ही नुकसान होगा।
राजा गुस्से में बोला ~नुकसान ! कैसा नुकसान ।नुकसान तो हमारा हो रहा है, हमारा पानी पूरब के देश मुफ्त में ले रहे हैं, और तुम कहते हो , कि नुक्सान हमारा ही होगा। मेरी आज्ञा का शीघ्र से शीघ्र पालन करो।मंत्री ने तुरंत कारीगरों को बुलाया और नदी पर दीवार बनाने का काम शुरू करवा दिया।कुछ ही दिनों में दीवार बन कर तैयार हो गयी।
राजा बहुत खुश हुआ, पर उसकी मूर्खता की वजह से कुछ समय बाद नदी का पानी शहर के घरों में घुसने लगा।
लोग अपनी परेशानी लेकर मंत्री के पास आये।मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया, कि वह सब कुछ ठीक कर देगा।
मंत्री ने एक योज़ना बनाई,महल में एक घंटा बजाने वाला था।वह हर घंटे पर समय के अनुसार घंटा बजा देता था, जिससे सभी को समय का पता चल जाता था।मंत्री ने उस आदमी को आदेश दिया, कि वह आज रात को जितना समय हो उसका दोगुना घंटा बजाये।आदमी ने ऐसा ही किया,जब रात के तीन बजे , तो उसने 6 बार घंटा बजाया, जिसका अर्थ था कि सुबह के 6 बज गए हैं।
घंटा बजते ही सभी लोग उठ गए,राजा भी उठ गया और बाहर आ गया,वहाँ पर मंत्री मौजूद था।राजा ने मंत्री से पूछा - मंत्री ,अभी तक सुबह नहीं हुई है क्या ? और सूरज अभी तक निकला क्यों नहीं है ?
मंत्री ने उत्तर दिया ~ महाराज,सुबह तो पूरब की ओर से होती है क्योंकि सूरज ... पूरब की ओर से निकलता है,शायद पूरब के देशों ने सूरज को रोक दिया है।हमने उनका पानी रोक दिया था,इसीलिए अब हमारे राज्य में कभी सूरज नहीं निकलेगा।
राजा बहुत चिंतित हुआ और बोला - क्या अब कभी भी हमारे देश में सूरज नहीं निकलेगा ? हम सब अन्धकार में कैसे रहेंगे ? इसका उपाय बताओ मंत्री।
महाराज,यदि आप नदी का पानी छोड़ दें, तो शायद वे भी सूरज छोड़ देंगे, मंत्री ने उत्तर दिया।
राजा ने तुरंत मंत्री को हुक्म दिया, कि वह नदी पर बनाई गयी दीवार को तुड़वाए. मंत्री ने राजा की आज्ञा का पालन किया और कारीगरों को आदेश दिया कि ... दीवार को तोड़ दिया जाये।
कारीगरों ने दीवार तोड़ दी, और।जैसे ही दीवार टूटी , सचमुच।सूर्योदय का समय हो चुका था, और दिव्यमान सूरज चारों तरफ अपनी लालिमा बिखेर रहा था।
सूरज को उगता देख ...राजा बहुत खुश हुआ ओर मंत्री को इनाम दिया और कहा - तुम्हारी वजह से आज हम फिर सूरज को देख पाये हैं। अब हमारे राज्य में कभी अँधेरा नहीं रहेगा। मंत्री ने मासूम सा मुँह बनाकर जवाब दिया - महाराज, यह तो मेरा फ़र्ज़ था।
सारांश :
एक चतुर व्यक्ति ...आने वाली कठिनाईयों को पहले से देख लेता है , और उनका सामना करने की तैयारी कर लेता है।एक मूर्ख व्यक्ति आँखें बंद करके राह पर चलता रहता है , और दुष्परिणामों को भोगता रहता है।मूर्ख और समझदार में यही फर्क है कि ... चतुर बेवकूफी भरे सवाल से भी कुछ ना कुछ सीख लेता है।
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